शिमला। डीजीपी बनने के लिए लालायित 1986 बैच के सीनियर आईपीएस सीताराम मरढ़ी का पता साफ कर प्रदेश का डीजीपी की कुर्सी हासिल करने में कामयाब हुए आइपीएस सोमेश गोयल की नियुक्ति ने पुलिस महकमे में नई हलचल पैदा की हैं। सोमेश गोयल 1984बैच के आपीएस अफसर थे लेकिन बूट घोटाले में नाम आने की वजह से 1985 बैच के जूनियर आइपीएस संजय कुमार उनकी जगह डीजीपी बन गए थे।संजय कुमार केंद्रीय डेपुटेशन में एनआरडीएफ में डीजी बन गए हैं। वो एक अरसे से केंद्र में जाने की कोशिश कर रहे थे।
सबसे ज्यादा खलबली उन अफसरों में मची हैं जो 1986 काडर के अफसर सीताराम मरढ़ी को डीजीपी बनाने की मुहिम छेड़े हुए थे।
इसके अलावा पुलिस महकमे में अफसरों की निगाह इस बात पर भी लगी हैं कि वो मुख्यमंत्री के बेहद करीबी पुलिस अफसर शिमला के एसपी डी डब्ल्यू नेगी के मामले में क्या कर पाते हैं।डी डब्ल्यू नेगी वीरभद्र सरकार में बहुत ताकतवर अफसर हैं। लेकिन वो किन्नौर में एक व्यक्ति द्धारा की आत्महत्या के मामले में विवादों में हैं। जिस व्यक्ति ने आत्महत्या की उसके पास जो सुसाइड नोट मिला हैं उसमें उसने आतमहत्या के लिए बाकियों के अलावा डीडब्ल्यू नेगी को भी जिम्मेदार ठहराया हैं।
मीडिया की ओर से शिमला के एसपी डीडब्ल्यू डी नेगी को लेकर पूछे सवाल के जवाब में सोमेशगोयल ने कहा कि वो किन्नौर के एसपी यहां आए हैं,,वो इस मामले में उनसे जानकारी लेंगे।
एसपी शिमला डी डब्ल्यू नेगी मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेहद करीबी अफसर हैं। उनके बारे में कहा जाता रहा हैं कि वो अपने वरिष्ठों से आदेश नहीं लेते,सीधे मुख्यमंत्री से आदेश लेते हैं।मीडिया ने इसी पहलु को लेकर सवाल पूछा था व जानना चाहा था कि रिकांगपिओ में हुए सुसाइड मामले में सुसाइड नोट में डीडब्ल्यू नेगी का नाम हैं,तो क्या एसपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज होगी।
गोयल ने कहा कि पुलिस अफसरों के खिलाफ आने वाली शिकायतों को लेकर सख्त कानून हैं।
बीते रोज तक किसी को भी ये भनक नहीं थी कि हाशिए पर फेंके गए 1984 बैच के डीजीपी जेल सोमेश गोयल को वीरभद्र सिंह सरकार अचानक प्रदेश का डीजीपी बना देंगी। लेकिन बीती रात दस बजे के बाद वीरभद्र सरकार ने गोयल के नाम पर मुहर लगा दी ।
सूत्रों के मुताबिक वीरभद्र सिंह के बहुत से करीबी पुलिस अफसर डीजीपी होमगार्ड सीताराम मरढ़ी को डीजीपी बनाने की मुहिम चलाए हुए थे। लेकिन वो कामयाब नहीं हुए। एक अरसा पहले मरढ़ी की फाइल सीएम की टेबल पर पहुंच गई थी व सीएम के साइन होने को ही बचे थे। लेकिन तभी डीजीपी संजय कुमार को भनक लग गई। वो सीधे सीएम कार्यालय पहुंचे थे व जूनियर सीताराम मरढ़ी का डीजीपी बनना रुक गया था। बताते थे कि मरढ़ी ने तो कमान संभालने की पूरी तैयारी भी कर ली थी।
इस बीच ,गोयल की बूट घोटाले को लेकर चल रही जांच को सरकार ने ड्रॉप कर दिया व उनका डीजीपी बनने का रास्ता साफ हो गया। बूट घोटाले में उनके खिलाफ मौजूदा डीजीपी रेलवे पृथ्वी राज जो पहले एडीजीपी विजीलेंस रह चुके है की रिपोर्ट पर मामला बनाया गया था। पृथ्वी राज कुछ महीने बाद रिटायर होने वाले हैं।
बताते हैं कि एनडीआरएफ में डीजी बने संजय कुमार भी गोयल के नाम की सिफारिश कर गए थे। चूंकि गोयल सीनियर थे तो बताते हैं कि मुख्य सचिव वी सी फारका ने भी गोयल के नाम पर मुहर लगाने में अपनी भूमिका निभाई।फारका खुद चीफ सेक्रेटरी कई सीनियर अफसरों को दरकिनार कर बने हैं व उनकी नियुक्ति को लेकर सीनियर आईएएस अफसर विनीत चौधरी ने कैट में मुकदमा किया हुआ हैं।
गोयल ने तुरंत डीजीपी का कार्याकाल संभालने के बाद मीडिया से कहा कि वो ड्रग्स के खिलाफ चली मुहिम को वो जारी रखेंगे व बार्डर पर मॉनिटरिंग बढ़ाई जाएगी।
(3)