शिमला। कांग्रेस की मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के मंत्रियों के पास संभवत: काम ही बहुत ज्यादा हैं।
सुक्खू के मंत्री अनिरुद्ध सिंह, विक्रमादित्य सिंह और शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर की समिति को एसएमसी शिक्षकों को नियमित करने के मसले पर 31 दिसंबर 2023 तक मुख्यमंत्री सुक्खू को रपट सौंपनी थी। इस समिति में शिक्षा विभाग के सबसे बड़े बाबू यानी शिक्षा सचिव भी सदस्य थे। लेकिन मंत्रियों की ये समिति 31 दिसंबर तक रपट ही तैयार नहीं कर पाए। अब प्रदेश में जगह –जगह तैनात 2555 एसएमसी शिक्षक आंदोलन की राह पर चलने का एलान कर चुके हैं।
इस समिति का गठन 28 जून 2023 को किया गया था । इस बावत बाकायदाअधिसूचना निकाली गई थी। लेकिन इन मंत्रियों ने कुछ नहीं किया। यह ठीक है कि ये तीनों ही नेता पहली बार मंत्री बने हैं लेकिन सरकार की अधिसूचनाओं की कद्र अगर मंत्री नहीं करेंगे तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि नौकरशाही व उनके मातहत अधिकारी क्या करेंगे। सुक्खू सरकार में सब कुछ कछुआ गति से ही चलता हैं। सुक्खू को खुद अपने दो मंत्रियों को पोर्टफोलियो देने में ही एक महीना लग गया था। साफ है कांग्रेस सरकार में शासन को किस गंभीरता से लिया जा रहा हैं।
एसएमसी शिक्षकों का धूमल से लेकर सुक्खू सरकार तक का सफर
प्रदेश में एसएमसी शिक्षकों को जून –जुलाई 2012 में धूमल सरकार में तैनात करने की शुरूआत हुई थी। जिस समय धूमल ने ये नीति बनाई उस समय विधानसभा चुनाव सिर पर थे। करीब 250 एसएमसी शिक्षकों को एसडीएम की अध्यक्षता में बनी समिति के सहारे दुर्गम स्थानों में नियुक्तियां दे दी गई।
इसके बाद प्रदेश में सरकार बदल गई और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अपने समय में कम से कम दो हजार के करीब एसमएसी शिक्षकों की तैनाती कर दी। वीरभद्र सिंह थोक में ही सब काम करते थे। उन्होंने दुर्गम स्थानों पर ही नहीं बाकी जगहों पर एसएमएसी शिक्षकों की नियुक्ति के दरवाजे खोल दिए। पांच सालों में वीरभद्र सिंह ने इन शिक्षकों का मानदेय तो बढ़ाया लेकिन इनके नियमिकिरण को लेकर कोई कदम नहीं उठाया। बीच में इन्हें कांट्रेक्ट पर लेने की कोशिश भी हुई लेकिन ये टीचर नियमितिकरण पर अड़ गए।
इसके बाद प्रदेश में भाजपा की जयराम सरकार सत्ता में आ गई। उनके समय में 50 के करीब शिक्षक तैनात हुए।
इस बीच मामला हाईकोर्ट भी गया लेकिन सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई।
जयराम की हाइपावर समिति
एसएमसी शिक्षकों को लेकर जयराम सरकार में भी एक हाइपावर समिति बनी । इसमें मुख्य सचिव व शिक्षा सचिव को शामिल किया गया। लेकिन जयराम सरकार में इस समिति की एक भी बैठक नहीं हुई। सरकारों में नौकरशाहों का बोलबाला इसी तरह चलता हैं।
कांग्रेस के हर्षवर्धन और मुकेश के वादे
दिसबंर 2022 में विधानसभा चुनावों से पहले मौजूदा उदयोगमंत्री हर्षवर्धन चौहान ने इन एसएमसी शिक्षकों से वादा किया था कि सत्ता में आने के पहले ही दिन इन शिक्षकों को नियमित कर दिया जाएगा। लेकिन सरकार को सता में आए हुए एक साल से ज्यादा हो गया हैं। लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ हैं। हर्षवधन चौहान सुक्खू सरकार में सुक्खू के लाडले मंत्रियों में से एक हैं। हर्षवर्धन चौहान ही नहीं चुनावों से पहले मौजूदी उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने भी इन्हें नियमित करने का भरोसा दिया था। शिक्षकों का दावा है कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में भी यह मसला शुमार हैं।
सरकार बनने के बाद जब ये शिक्षक इन नेताओं से मिले तो इन्हें हर्षवर्धन ने कहा कि सब्र रखे हो जाएगा।लेकिन एक साल तक कुछ नहीं हुआ। शायद हर्षवर्धन चौहान को याद नहीं है कि पूर्व जयराम सरकार में जयराम को लेकर गीत बन गया था’’ जैइया मामा शुनदा नी …….। उनके बारे में कुछ बन जाए तो …
उधर बीते दिनों ये शिक्षक शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर से मिले तो सुक्खू के दूसरे लाडले मंत्री रोहित ठाकुर ने इन शिक्षकों को दिलचस्प ज्ञान दे दिया कि वो एक दिन में ही इन्हें नियमित कर देंगे लेकिन बजट ही नहीं हैं।
ये शिक्षक मुख्यमंत्री सुक्खू से भी मिले तो सुक्खू बोले की समिति की रपट आने दो व इसके लिए वह शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर से भी बात करेंगे। शिक्षा मंत्री रोहित व मुख्यमंत्री सुक्खू दोनों सचिवालय में ही करीब-करीब बैठते हैं। पता नहीं इनमें आपस में बात हुई है या नहीं।
अब आंदोलन का एलान
इन शिक्षकों ने हिमाचल प्रदेश एसएमसी( ग्रांट इन एड)अध्यापक संघ के बैनर तले अब एलान कर दिया है कि अगर 25 जनवरी हिमाचल दिवस के दिन उनकी मांग को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया तो ये परिवार के साथ राजधानी में अनशन का आगाज कर देंगे। अध्यापक संघ के अध्यक्ष सुनील शर्मा ने राजधानी में कहा कि उनके पास कोई विकल्प ही नहीं हैं। उन्होंने पहले अक्तूबर 2023 में भी अपनी आवाज बुलंद की थी। लेकिन सरकार के कानों तक तक गूंज नहीं पहुंची।
सिरमौर के कोटा पाब स्कूल में दस एसएमसी शिक्षक
जिला सिरमौर का वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला कंडियारी एसएमसी शिक्षकों के सहारे ही चल रहा हैं। इसमें पांच एसएमसी शिक्षक है यहां पर 250 छात्र हैं। इसके अलावा सिरमौर का कोटा पाब वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल में तो दस शिक्षक एसएमसी है जबकि नियमित शिक्षक ( प्रिंसिपल ) केवल एक है और एक चपड़ासी भी नियमित हैं।प्रदेश में बाकी कई स्कूल भी एसएमसी शिक्षकों के सहारे ही हैं।
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