शिमला।दरकते शिमला के लिए कांग्रेस शासित शिमला नगर निगम के बजट में पांच करोड़ रुपए का मॉल, महिलाओं के लिए अलग से पिंक टॉयलेट और शिमला में घूम रहे अवारा कुत्तों में Microchipsलगाने का प्रावधान किया गया हैं।हालांकि बंदरों के हमलों से निपटने का नगर निगम बजट में कोई जिक्र नहीं हैं।
ये पांच सौ करोड़ का मॉल कार्ट रोड़ से सब्जी मंडी और मॉल रोड तक पहुंच बनाएगा। साफ है शिमला की जमीन पर बोझ बढ़ेगा। इसी में नगर निगम का कार्यालय भी स्थापित करने की योजना है।
इसके अलावा लक्कड़ बाजार से आगे और आइजीएमसी के बीच नगर निगम अपना पेट्रोल व सीएनजी गैस पंप भी बनाने जा रहा हैं। ऐसा इसलिए ताकि शहर में आने वाले सैलानियों के लिए सीएनजी गैस की उपलब्धता करवाई जा सके।
यही नहीं सुक्खू सरकार देश के बेहद नामी कारपोरेट गौतम अदाणी के कारोबार को भी शिमला में आमंत्रित करने जा रही हैं।
नगर निगम शिमजला के महापौर सुरेंद्र चौहान ने नगर निगम शिमला का बजट पेश किया तो उसमें अदाणी को साथ रखने का भी जिक्र है। आखिर अदाणी को नेता लोग कैसे छोड़ सकते हैं। ये दीगर है कि कांग्रेस के बड़े नेता राहुल गांधी ‘अदाणी भाखा’ गाते हुए थकते नहीं हैं।
अदाणी की खातिर कार्ट रोड़ के नीचे दाड़नी के बगीचे में इंडियन ऑयल अदाणी गैस प्राइवेट लिमिटेड की ओर से पीएनजी यानी पाइप नेचुरल गैस वितरण प्लांट लगाने का प्रस्ताव किया है।
इसके अलावा कमला नेहरू अस्पताल के समीप नगर निगम अपना प्रीमियम गेस्ट हाउस बनाएगा।
रिवोली रोड़ के आस पास वेस्ट टू वंडर पार्क waste to wonder park बनाने का प्रस्ताव किया गया है। इसमें कंडम वाहनों का इस्तेमाल किया जाएगा। इस पर 60 करोड़ रुपए खर्च करने का अनुमान है और इसके लिए जमीन अधिग्रहित की जाएगी।
कनलोग के आसपास की आवासीय कालोनी बनाने का भी प्रस्ताव हैं।
महापौर सुरेंद्र चौहान के बजट में ये तमाम निर्माण व खनन गतिविधियां माल रोड़ और रिज के आसपास होनी हैं। यानी शहर के दिल को असर पड़ना हैं।
याद रहे 2023 की बारिश में शिमला दरक गया था। कृष्णा नगर और समरहिल में तबाही मची थी। अब भी जो निर्माण व प्रोजेक्टस प्रस्तावित किए गए है वो सब आइजीएमसी से कमला नेहरू अस्पताल के घेरे में है। यहां पर पहले ही स्मार्ट सिटी के तहत भारी निर्माण हो चुका हैं।
शहर के इस कोर एरिया की भार क्षमता कितनी है इसे लेकर राष्ट्रीय हरित पंचाट अपनी चि�ताएं व्यक्त कर चुका है। दूसरी ओर सरकार शिमला शहर समेत प्रदेश के कई शहरों की भार क्षमता को लेकर अध्ययन करने की योजना बना रही है। इसके लिए फंड जुटाने के लिए वित एजेंसियों का मुहं ताका जा रहा हैं।
बहरहाल,रिवोली बस स्टैंड से लेकर रिज तक पहले ही निर्माण चला हुआ हैं।
2023 जैसी बारिश व आपदाओं की रोशनी में ये शहर ठेकेदारों, बिल्डरों और कारपोरेट के मुनाफे के नजरिए से किए जाने वाले विकास के भार को कितना झेल पाएगा इन सब पहलुओं पर अब सवाल उठाना लाजिमी हो गए हैं।
एक तरफ सरकार शहर को डिकंजस्ट करने को हामी भर रही है तो दूसरी ओर शहर के दिल पर बोझ डाल रही हैं। प्रर्यटन निगम के मुख्यालय को इसी नाम पर कांगड़ा शिफट करने की योजना हैं।
याद रहे तारा देवी से शिमला तक 16 -17 करोड़ से रोप वे बनाने का प्रस्ताव भी हैं और इस पर काम भी हो रहा हैं। यानी शहर को कैसे खोदा जाए इसका हर इंतजाम किया जाए। बहरहाल जलवायु परिवर्तन के इस दौर में जब सदी धरती का तापमान डेढ़ डिग्री तक बढ़ चुका है तो अपने शहरों को बचाने की कोशिश तो कहीं से होती नजर आनी ही चाहिए थी। बहहाल नेताओं , नौकरशाहों और कारपोरेट घरानों से उमीम्दें रखना बेमानी है।लेकिन रकम जनता की जेब से जा रही है और ये किसकी जेब में जा रही है ये तो समझा ही जाना चाहिए।
उधर, हिमुडा की भी मंशा है कि वो विकास नगर पेट्रोल पंप से लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड मुख्यालय के बीच की जमीन पर 12- 12 मंजिलें टावर बनाएं।
स्मार्ट सिटी के पैसों के दम पर हरेभरे देवदार के पेड़ों के शहर शिमला को कंकरीट व लोहे के जंगल में बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ी हैं। इससे राजनीतिक,नौकरशाही ,और कारपोरेट या ठेकेदारों के स्तर पर किसे कितना मुनाफा हुआ इसका आकलन अलग से करने की जरूरत हैं।
बहरहाल, शहर के फेफडों पर प्रहार करने की योजनाएं जारी हैं ।
दिलचस्प ये है कि नगर निगम के बजट में कार्बन क्रेडिट और कार्बन फुटप्रिंट की ओर भी संकेत किया गया हैं। सब कुछ और कुछ भी एक साथ ।
बजट में इसके अलावा भी कई कुछ हैं।
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