शिमला।ठेके के अनुबंधों के मुताबिक 18 फीसद फ्री बिजली देने से मुकर जाने पर सुक्खू सरकार की ओर से जेएसडब्ल्यू को 12सौ मेगावाट के कड़छम वांगतू पावर प्रोजेक्ट को लेकर हुए समझौते को रदद करने के भेजे नोटिस पर अमली जामाम पहनाने पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है।
निदेशक ने नोटिस में ये भी कहा था कि अगर वो 18 फीसद फ्री बिजली देने में नाकाम रहा तो प्रदेश सरकार इस प्रोजेक्ट को टेक ओवर करने की प्रक्रिया शुरू कर देगी।
ये प्रदेश की सुक्खू सरकार व प्रदेश के हितों के लिए बड़ा झटका है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पी श्री नरसिम्हा और जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ ने शुक्रवार को जेएसडब्ल्यू की याचिका पर सुनवाई के बाद सुक्खू सरकार को ये आदेश जारी किए। मामले की अगली सुनवाई मार्च 2025 में निर्धारित की गई है।
सुक्खू सरकार की ओर से निदेशक एनर्जी ने 28 सितंबर 2024 को जेएसडब्ल्यू को आठ पन्ने का नोटिस भेज कर कहा कि या तो वो 1999 में हुए ठेके के अनुबंधों के मुताबिक सितंबर 2023 के बाद से प्रदेश सरकार को 18 फीसद बिजली की आपूर्ति करे अन्यथा सरकार इस समझौते का रदद करने जा रही है। इससे जेएसडब्ल्यू पर उसके साथ हुए समझौते के रदद होने का पैदा हो गया था। जेएसडब्ल्यू ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
ये है मामला
सरकार ने 900 मेगावाट के कड़छम वांगतू पन बिजली परियोजना को मैसर्स जय प्रकाश इंडस्ट्री को आंवटित किया था व इसके साथ 1993 में एक एमओयू साइन किया था। इसके बाद डीपीआर तैयार करने के बाद कंपनी ने इस प्रोजेक्ट की क्षमता एक हजार मेगावाट करने की मंजूरी मांगी । सरकार ने 31 मार्च 2003 को जेपी इंडस्ट्री को प्रोजेक्ट में 250-250 मेगावाट की चार यूनिटों को लगाने की मंजूरी दे दी।
इसके बाद जेपी इंडस्ट्री ने जेपी कड़छम हाइड्रो कारपोरेश लिमिटेड का गठन किया और दिसंबर 2007 में जेपी वेंचर लिमिटेड में इसका विलय कर दिया। याद रहे 2011 में इस प्रोजेक्ट ने बिजली पैदा करनी शुरू कर दी थी।यानी ये कमीशन हो गया था।
ये थी आवंटन की शर्तें
1999,2002 और 2007 में हुए समझौतों की शर्तों के मुताबिक जेपी कड़छम हाइड्रो कारपोरेशन लिमिटेड को प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद शुरू के 12 सालों तक यानी 2011 से 2023 तक प्रदेश सरकार को 12 फीसद फ्री बिजली देनी थी। उसके बाद अगले 28 सालों तक यानी सितंबर 2023 से लेकर 2051 तक 18 फीसद फ्री बिजली देनी थी। इस पर हिमाचल सरकार और कंपनी दोनों में सहमति बनी।
किया था उल्ल्ंघन
उधर क जून 2012 को सेंट्रल इलेक्ट्रसिटी अथारिटी, सेंटर वाटर कमिशन और प्रदेश सरकार के सदस्यों से लैस समिति ने पाया कि कंपनी ने एक हजार की क्षमता के जगह पर 12 सौ मेगावाट बिजली तैयार की जा रहीहै। ये ठेके के अनुबंधों का बड़ा उल्लंघन था।
जेपी कंपनी ने 2015 में जेएसडब्ल्यू को बेच दिया प्रदेजेक्ट
इस बीच जेपी ने इस प्रोजेक्ट को हिमाचल बास्पा पावर कंपनी को बेच दिया। ये जेएसडब्ल्यू समूह की कंपनी थी । सौदे के मुताबिक कंपनी ने इसे खरीदने से पहले पहले की तमाम शर्तो , देनदारियों को मानने को मंजूरी दे दी थी। लेकिन 21 दिसंबर 2019 को जेएसडब्ल्यू ने इस बास्पा पावर का नाम बदल कर जेएसडब्ल्यू हाइड्रो एनर्जी रखने को सरकार को अर्जी दी व इसे मंजूर कर लिया। लेकिन शेहयरहोल्डिंग, प्रबंधन और बाकी पैटर्न में कोई बदलाव नहीं किया।
फ्री बिजली न देने के पीछे की ये है वजह
12 साल के बाद 18 फीसद फ्री बिजली न देने के पीछे जेएसडब्ल्यू ने जो दलीलें दी है उसके मुताबिक सेंट्रल इलेक्ट्रसिटी रेगूलेटरी कमीशन ने नेशनल टेरिफ पॉलिसी के तहत ये प्रावधान कर दिया कि 17 मार्च 2022 के बाद कोई भी पावर कंपनी किसी भी राज्य को 13 फीसद से ज्यादा एक यूनिट भी फ्री बिजली नहीं देंगी।
निदेशक एनर्जी ने अपने नोटिस में कहा कि सेंट्रल इलेक्ट्रसिटी रेगूलेटरी कमीशन के ये प्रावधान 2022 के बाद के प्रोजक्ट पर लागू होंगे। कंपनी और सरकार के बीच तो 1999 में समझौता हो गया था। ऐसे में अब इस समझौते पीछे हटना 1999 के समझौता शर्तों का खुला उल्लंघन है और इससे प्रदेश सरकार को बहुत बड़ा वितीय नुकसान होगा।
यही नहीं जेएसडब्ल्यू ने 29 सितंबर 2023 को 18 फीसद फ्री बिजली देने की एनओसी अंडर प्रोटेस्ट दे भी दी थी।लेकिन कंपनी एकतरफा कार्यवाही करते हुए 31 मई 2024 से राज्य सरकार को फ्री बिजली देने से इंकार कर दिया।
निदेशक एनर्जी ने अपने नोटिस में कहा था कि कंपनी 1999 में हुए ठेके के अनुबंधों के मुताबिक 18 फीसद फ्री बिजली प्रदेश को देना शुरू कर दे अन्यथा सरकार व कंपनी के बीच अविश्वास खत्म हो गया है और सरकार इस समझौते को रदद करने और12 सौ मेगावाट के कड़छम वांगतू प्रोजेक्ट को टेक ओवर करने की प्रक्रिया शुरू कर देगी।
इस नोटिस के खिलाफ जेएसडब्ल्यू ने सुप्रीम कोर्ट ने चुनौती दे दी व सुप्रीम कोर्ट ने सुक्खू सरकार को इस प्रोजेक्ट को टेक ओवर करने की प्रक्रिया शुरू करने पर रोक लगा दी है।
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