शिमला। भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर की हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन से आधी रात को पुलिस पहरे में जमीनें,स्टेडियम और होटल पेवेलियन छीनने के बाद आज रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसायटी ने एचपीसीए को कंपनी मान लिया है।वीरभद्र सिंह सरकार ने लीज डीड रदद कर शनिवार की आधी रात को एचपीसीए की सारी जमीनें छीन कर अपने कब्जे में ले ली थी। रजिस्ट्रार ने सरकार की इस कार्रवाई के बाद आज तुरंत अपना फैसला सुनाया है।
एचपीसीए ने भाजपा सांसद व कंपनी के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर के जरिए रजिस्ट्रार की ओर से 7 सिंतबर को भेजे नोटिस को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने अनुराग को ोजक भेजे रजिस्ट्रार कोआपरेटिव सोसायटी के समक्ष पेश होने के आदेश दिए थे।
रजिस्ट्रार आर डी नजीम ने अपने पांच पेज के फैसले में वह याचिकाकर्ता की इस आपति को कि एचपीसीए अब कंपनी बन गई है और रजिस्ट्रार कंपनी के कामकाज में दखल नहीं कर सकते ,को इस सीमा तक मंजूर करते है।रजिस्ट्रार ने लिखा है कि वह इसी सीमा तक याचिकाकर्ता की आपतियों को स्वीकार करते है।
रजिस्ट्रार ने साथ ही कहा है कि रजिस्ट्रार के पास एचपीसीए के मामले में तब तक दखल देने का पूरा क्षेत्राधिकार है जब तक एचपीसीए कानूनन सोसायटी है।
रजिस्ट्रार ने कहा कि वो इस मामले हाईकोर्ट के आदेशों तक ही समिति रख रहे है और केवल क्षेत्राधिकार तक ही अपना फैसला दे रहे है।उन्होंने अपने फैसले में लिखा है कि एचपीसीए ने उनके सामने एचपीसीए को सोसायटी से कंपनी में बदलने के लिए की गई कार्यवाही बुक को पेश नहीं किया। एचपीसीए के वकीलों ने कहा कि कार्यवाही बुक को विजीलेंस विभाग ले गया है।
रजिस्ट्रार ने एचपीसीए की ओर से उन पर लगाए पक्षपात के आरोपों को भी खारिज कर दियाऔर कहा कि ये उनकी डयूटी थी कि वो बीसीसीआई को तथ्यों से अवगत कराए।
अनुराग खटखटाएंगे हाइकोर्ट का दरवाजा
रजिस्ट्रार की ओर से एचपीसीए को कंपनी मान लेने के बाद अब भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर सरकार की ओर से आधी रात को कब्जाई जमीनों और स्टेडियम ,होटल को वापस लेने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा। एचपीसीए मामले में अनुराग के वकील विक्रांत ठाकुर ने कहा कि सरकार ने आधी रात को कार्रवाई कर हाईकोर्ट के आदेशों की उल्ल्ंघना की है। हाईकोर्ट ने रजिस्ट्रार को साफ आदेश दिए थे कि वो केवल क्षेत्राधिकार के बिंदु पर अपना फैसला सुनाए। लेकिन रजिस्ट्रार के फैसले से पहले ही सरकार ने कार्रवाई कर दी। रजिस्ट्रार को हाईकोर्ट की ओर से 29 सितंबर को दिए आदेश सरकार की जानकारी में थे। उन्होंने कहा कि इस मसले पर विचार विमर्श किया जा रहा है।
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