शिमला। सुजानपुर हलके से कांग्रेस पार्टी के कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा ने दिसंबर 2017 के चुनावों में हालीलाज कांग्रेस का साथ लेकर भाजपा के मुख्यमंत्री पद के घोषित प्रत्याशी प्रेम कुमार धूमल को हरा कर बड़ा उलट फेर कर दिया था। धूमल मुख्यमंत्री बनने वाले थे लेकिन वह हार गए व मुख्यमंत्री नहीं बन पाए।
तब लोगों ने सुजानपुर के मतदाताओं को लेकर टिप्पणियां की थी कि सुजानपुर वालों ने अपने जिले से मुख्यमंत्री को हरा दिया। लोकतंत्र में हार जीत राजनीतिक जीवन का हिस्सा है। लेकिन इसका हमीरपुर के विकास व वहां की आवाज पर जमकर असर पड़ा और धूमल को भाजपा आलाकमान और जयराम भाजपा ने मूक बना दिया था।
दिसंबर 2022 में धूमल ने चुनाव ही नहीं लड़ा इसकी वजह भी सभी जानते है लेकिन राणा एक बार फिर से जीत गए। इस बार जिला हमीरपुर की पांच सीटों में से राणा समेत चार प्रत्याशी कांग्रेस के जीते थे। पांचवा प्रत्याशी आजाद जीता था।
इन पांच प्रत्याशियों में से सुखविंदर सिंह सुक्खू मुख्यमंत्री बने। वह धूमल के बाद हमीरपुर से दूसरे मुख्यमंत्री बने । लेकिन भाजपा के साथ मिलकर राजेंद राणा ने उनके खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया । अगर कांग्रेस विधायकों की बाजीगरी की वजह से सुक्खू मुख्यमंत्री पद से हटते है तो इसका कलंक हमीरपुर जिला में उनके विरोधी राजेंद्र राणा लगा ही देंगे। इस बार उनके साथ कांग्रेस के ईमानदार व भले इंसान माने जाने वाले बड़सर से कांग्रेस के विधायक इंदर दत लखनपाल भी साथ हो लिए।यह दीगर होगा अगर सुक्खू सरकार गिरने व भाजपा की सरकार बनने पर राणा मुख्यमंत्री बन जाते है ।
इस कड़ी में अभी से माहौल बनना शुरू हो गया हैं व धूमल भाजपा के लोगों ने तो राणा के खिलाफ मोर्चा खोल भी दिया हैं।
जो लोग इंदर दत लखनपाल की ईमानदारी और उनकी भलमानसहत से वाकिफ है वो उनके भाजपा के पाले में जाने से आश्चर्यचकित है। उनकी निष्ठा भी बेदाग मानी जाती रही हैं। लेकिन वह भाजपा के पाले में गए। उनको लेकर कहा जाता है कि वह स्पष्टवादी जैसे राजनेता है और हमेशा दूसरों की मदद करने के लिए तैयार रहते हैं। वह हालीलाज कांग्रेस के बेहद वफादार हैं। हालांकि सुक्खू ने भी उनको हाशिए पर धकेलने में कोई कसर नहीं रखी थी। लेकिन उनका भाजपा के साथ जाना उनके समर्थकों के लिए अखर रहा है और इसके अलावा भाजपा कार्यकर्ताओं की ओर से उनके समेत बाकियों को लेकर फैलाई जा रही अफवाहें बेहद संगीन हैं।
बहरहाल, वह भी भाजपा के साथ हो लिए। सब जानते है कि राजेंद्र राणा हालीलाज कांग्रेस के करीबी है। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के समर्थन और धूमल विरोधियों के बूते ही वह सुजानपुर से जीतते रहे हैं। कहा जा रहा है कि 2022 के चुनावों में तो उन्हें जयराम भाजपा का अंदरूनी तौर पर साथ मिला था। क्योंकि जयराम भाजपा को धूमल को धूल चटानी थी। उसमें जयराम व नडडा भाजपा सफल भी हो गई थी लेकिन ये सफलता उसे सरकार गंवाकर मिली थी।
अब हमीरपुर के लोगों का कहना है कि सुक्खू सरकार को गिराने से पहले राणा व इंदरदत लखनपाल को सोचना चाहिए था कि वो हमीरपुर से मुख्यमंत्रीशिप को छीन रहे हैं। अपने जिले से मुख्यमंत्री की बलि ले लेने की मुहिम में शामिल होने का कलंक अब इन दोनों कांग्रेसी विधायकों पर आ गया हैं।
हमीरपुर के लोगों का कहना है उन्हें मंडी के मतदाताओं को याद रखना चाहिए था। मंडी के मतदाताओं को 2022 के विधानसभा चुनावों में लग रहा था कि अगर भाजपा की सरकार बनी जयराम ही मुख्यमंत्री बनेंगे। जयराम ने इसे चुनावी मुददा भी बनाया और मंडी के मतदाताओं ने जयराम समेत पूरे नौ विधायकों को भाजपा की झोली में डाल दिया। ये दीगर है कि प्रदेश में भाजपा की सरकार नहीं बनी । लेकिन मंडी के मतदाताओं ने तय कर लिया कि मंडी के लोगों को अरसे के बाद मुख्यमंत्री मिला है तो मुख्यमंत्री को किसी भी कीमत पर नहीं हराएंगे।
अब सुक्खू सरकार कितने दिनों की मेहमान है यह आने वाला दिन ही बताएगा लेकिन यह तय माना जा रहा है कि आज नहीं तो कल सुक्खू सरकार को गिरना ही है।
उधर ऊना से भाजपा में गए विधायकों ने भी अपने उप मुख्यमंत्री की कुर्सी को खतरे में डाल ही दिया हैं। अगर सुक्खू को कांग्रेस आलाकमान ने बदल कर मुकेश अग्निहोत्री को मुख्यमंत्री बना दिया तो ये ही ऊना के लोगों के लिए राहत की बात होगी।
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