शिमला। पांच सौ व एक हजार के नोटों पर लगे बैन के बाद बेशक केंद्र सरकार ने अस्पतालों में इन नोटों के लेने देन पर पांबदी लगाने से इंकार कर दिया है लेकिन हिमाचल प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल इंदिरा गांधी मेडिकल अस्पताल से लेकर बाकी अस्पतालों की निजी लैबोरेटरियों में मरीजों के टेस्ट की एवज में पांच सौ व एक हजार के नोट नहीं ले रहे है। ऐसे में मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है।आइजीएमसी समेत प्रदेश के दर्जनों अस्पतालों में एसआरएल लैब के साथ सरकार ने एमओयू कर रखा है व परिसर मे लैब चलाने की जगह भी दी है। लेकिन ये लैब मरीजों के लिए इस आपात मौके पर मददगार साबित नहीं हो रहा है और न ही प्रदेश की वीरभद्र सिंह सरकार कोई दखल दे रही है।
इन नोटों को न लेने के पीछे दलील दी जा रही है कि ये लैब्स अस्पतालों का हिस्सा नहीं हैं व ये प्राइवेट लैब्स है।, ऐसे में आरबीआई व केंद्र सरकार राज्य सरकार के आदेश उस पर लागू नहीं है।
एक मरीज के तीमारदार कुलदीप सिंह ने कहा कि जब वो अपने मरीज के किसी टेस्ट कराने के लिए लैब में गए तो स्टाफ ने पांच सौ रुपए के नोट लेने से इंकार कर दिया। उनके लिए ये हैरानी भरा था। प्रदेश की राजधानी में ये हाल है तो बाकी जगहोंं पर क्या होरहा होगा इसका अंदाजा लगाया जा सकता है।एसएलआर की ये लैब आईजीएमसी में ब्लड बैंक वाली बिल्डिंग में सरकार ने बसाई हैताकि मरीजों के लिए सहूलियतें हो लेकिन जब अब संकट का दौर चल रहा है तो लैब प्रबंधकों ने सरकार के साथ साथ मानवता को भी अंगूूठा दिखा दिया है। लैब का निश्चित तौर पर बैंक में चालू खाता होगा ।ऐसे में वो पांच सौ व एक हजार के सारे नोट अपने खाते में जमा करा सकते है।लेकिन लैब प्रबंधक ऐसा नहीं कर रहे है।
इस मसले पर आईजीएमसी के वरिष्ठ चिकित्सा अधीक्षक डा. रमेश चंद ने कहा कि ये पीएम मोदी का फैसला है। ये निजी लैब है ऐसे में इस तरह के आदेश को मनवाना उनके पावर में नहीं है।
इस मसले पर एसएलआर लैब की मैनेजर डाक्टर शैलेजा ने कहा कि उनसे बैंक पांच सौ व एक हजार के नोट जमा नहीं कर रहे है। इसके अलावा वो निजी आर्गेनाइजेशन है। उन पर ये आदेश लागू नहीं है।
इस मसले पर प्रदेश की वीरभद्र सिंह सरकार सवालों में आ गई है।चूंकि इन लैब्ास के साथ सरकार ने एमओयू कर रखे है । ऐसे मेंं ये सरकार की जिम्मेदारी है कि वो लैब्स को पांच सौ व एक हजार के नोट लेने को बाध्य करे व बैंकों से भी इस बावत बात करे। लेकिन वीरभद्र सिंह सरकार कछुआ चाल में चल रही है।
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