शिमला/दाड़ला। पिछले साठ दिनों से नौकरी की बहाली की मांग को लेकर अंबुजा सीमेंट कारखाने के बाहर आंदोलन कर रहे मजदूरों की बहाली का मसला सुलझाने के बजाय सातवीं बार मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पुलिस ने अरेस्ट कर बड़ा कांड कर दिया हैं। इस बीच मजदूरों ने कारखाने के गेट को पार कर दिया व विरोध करते हुए जमकर नारेबाजी की। आंदोलनकारी मजदूरों की पुलिस के साथ धक्का मुक्की भी हुई।
पुलिस जैसे ही आंदोलनकारियों मजदूरों को बस में भर कर ले जाने लगी तो बाकी मजदूर नारेबाजी करते बस के आगे आ गए। पुलिस ने इनकों भी अरेस्ट कर दिया। बाद इन्हें गेट के बाहर छोड़़ दिया।
इसके बाद मजदूरों ने रैली निकाली व सरकार व अंबुजा प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। रैली को सीटू से जुड़े नेताओं ने संबोधित किया व अंबुजा प्रबंधन व सरकार को चेताया कि वो लेबर कानूनों का उल्लंघन कर मजदूरोंं के अधिकारोंसे खिलावाड़ करने से बाज आए।पुलिसया एक्शन के बाद अंबुजा सीमेंट कारखाने में तनाव पैदा हो गया हैैं।अंंबुजा मजदूर यूनियन के प्रेस सचिव मनोहर शर्मा ने कहा कि अगर यूनियन की मांगों को नहीं माना गया तो मजदूर 8,9 व 10 फरवरी से तीन दिवसीय हड़ताल करेंगे।
नौकरी से निकाले गए अधिकांश मजदूर अर्की तहसील के आसपास गांवों के हैं व इनमें से बहुत से परिवारों ने अंबुजा के सीमेंट कारखाने को अपनी जमीनें दी हैं। इसकी एवज में अंबुजा प्रबंधन ने सरकार के साथ साइन किए एमओयू में हरेक लैंड लूजर परिवार से एक व्यक्ति को रोजगार देने का वादा किया था। आंदोलनकारी मजदूरों की माने तो अंबुजा कंपनी ने जिन स्थानीय लोगों ,जिनकी जमीन अधिग्रहित की थी,उनको ठेकेदारों के पास ठेल दिया और दो महीने पहले करीब80मजदूरों को अचानक नौकरी से ही निकाल दिया।
मजे की बात है कि बहाली को लेकर निकाले गए मजदूर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से दाड़ला में मिले थे।वीरभद्र सिंह ने इन मजदूरों को भरोसा दिया था कि सरकार दखल देगी।लेकिन वीरभद्र के भरोसे को न तो अंबुजा प्रबंधन ने गंभीरता से लिया और न ही सरकारी बाबूओं ने ।
बीते सप्ताह आंदोलनकारी मजदूरों से कंपनी प्रबंधन ने वार्ता भी की थी लेकिन वार्ता सफल नहीं हुई। न सरकार की ओर से और न ही लेबर विभाग की ओर से कोई दखल दिया जा रहा हैं। लेबर विभाग के बाबूओंं का कहना है कि सीमेंट कारखाने केंद्र सरकार के लेबर मंत्रालय के अधीन आते हें। लेकिन मोदी सरकार के लेबर मंत्रालय से भी पिछले 60 दिनों में कोई नहीं आया ।
हिमाचल डे से एक दिन पहले सरकार इन मजदूरों के आंदोलन को पुलिसिया ताकत के बल पर कुचलने पर आ गई है।
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