शिमला। प्रदेश सरकार व इसके बाबूओं ने निजी कंपनी के साथ मिलकर जिला किन्नौर के पानवी गांव के करीब 14 सौ लोगों की रातों की नीेंदें हराम कर ही दी है और उनका जीना दूभर कर दिया है।ग्रामीणों की माने तो स्थानीय एसडीएम भी कंपनी वालों से मिलकर कारनामें दिखाने से नहीं चूक रही है।स्थानीय विधायक के खेल भी कम निराले नहीं है।
सरकार व कंपनी की करतूतों को देखकर पानवी गांव के लोगों ने आज राजधानी के डायरेक्टोरेट ऑफ एनर्जी के मुख्यालय के बाहर धरना दिया और सरेआम एलान किया कि वो अपनी जानें दे देंगे लेकिन कंपनी का अंडरग्राउंड पावरहाउस नहीं बनने देंगे। रोष से भरे इन ग्रामीणों ने सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया।
राजधानी में माकपा नेता राकेश सिंघा व हिमाचल किसान सभा केप्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह तंवर के साथ मीडिया से रूबरू हुए ग्रामीणों ने कहा कि पूरे गांव में दरारें आ गई है। ऐसा कोई भी घर नहीं बचा हैं जहां पर दरारें नहीं आई है।पानी के स्त्रोत तबाह हो गए है। गांव के प्राइमरी स्कूल के बच्चों की जानें बचाने के लिए बच्चों की कक्षएं महिला मंडल में लग रही है। स्कूल बंद हो गया है।लेकिन सरकार व कंपनी अंडरग्राउंड पावर हाउस बनाने पर आमदा है।
उन्होंने स्थानीय विधायक व डिप्टी स्पीकर जगत सिंह नेगी से लेकर स्टेट भूविज्ञानी एसडीएम व डीसी तक को कटघरे में खड़ा कर दिया।
पानवी गांव में हैदराबाद की एक कंपनी राला त्रंडा हाइड्रो प्राइवेट लिमिटेड 9मेगावाट का हाइडल प्रोजेक्ट लगा रही है। इस कंपनी को पहले पावर हाउस जमीन के उपर बनाना था लेकिन अब ये कंपनी गांव के नीचे की जमीन पर पावर हाउसबनाने की मंजूरी ले आई है। ग्रामीण बुद्धराम,यशवंत सिंह,सांग्यालाल,जितेंद्रसिंह विवेक नेगी और मागू राम ने कहा कि अगर गांव के नीचे अंडरग्राउंड पावर हाउस बन गया तो पूरा गांव तबाह हो जाएगा। अभी तक पांच छह फुट की टनल ही बनी है।अभी से पूरा गांव तबाही के कगार पर आ गया है। अगर अंदर तक जमीन को खोखला कर दिया तो न गांव बचेगा व न गांव वाले। लेकिन वे ऐसा नहीं होने देंगे।पूरा गांव मिलकर कंपनी व सरकार दोनों से मुकाबला करेगा।
स्थानीय एसडीएम के कारनामों का खुलासा भी ग्रामीणों ने किया व कहा कि उन्हें 15 अक्तूबर को एसडीएम आफिस बुलाया गया।वहां पर चर्चा हुई गांव वाले किसी भी कीमत पर अंडरग्राउंड पावरहाउस नहीं बनने देंगे । इसके बाद 25 अक्तूबर को ग्रामसभा में भी ये हीप्रस्ताव पारित हुए। लेकिन चार नवंबर को एक चिटठी पंचायत को मिली जिसमें कहा गया कि कंपनी सुरक्षा मानकों के प्रति प्रतिबद्ध है इसलिए काम चलाया जाए। ग्रामीणों ने कहा कि ऐसी कहीं कोई बातचीत ही नहीं हुई है।
ग्रामीणों स्थानीय विधायक जगत सिंह नेगी पर भी हमला बोला व कहा कि वो व प्रशासन कंपनी की भाषा बोल रहे है।वो प्रशासन को चिटिठयां लिख कर काम चलवाने की बात कर रहे है। नुकसान व मुआवजे की बात वो नहीं करते । कहते है कि बाद में देख लेंगे। इन ग्रामीणों ने कहा कि पिछले छह महीनों से वो प्रशासन व कंपनी से बार बार कह रहे है कि पावरहाउस को अ्रडरग्राउंड न बनाया जाए क्योंकि पूरा गांव तबाह हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री विभाग के भूविज्ञानी गौरव शर्मा नेयहां अंडरग्राउंड पावर हाउस बनाने की रिपोर्ट कैसे दे दी ये उनकी समझ से बाहर है।
लेकिन कंपनी वसरकार अपने खेल में लगी हुई है। इन ग्रामीणों ने मांग की इस प्रोजेक्ट को चलाने की दी गई मंजूरी को तुरंत प्रभाव से वापस लिया किया जाए।ग्रामीणों ने कहा कि 2013 में भी यहां पर चार नेपाली मजदूर मर गए थे।बरसात में गांव वाले बारिश के दिनों घरों से बाहर आ जाते थे।
माकपा नेता राकेश सिंघा ने कहा कि सरकार लोगों की जिंदगियों से ही खिलावाड़ करने पर आ गई है। शोरंग प्रोजेक्ट में प्रेशर पाइपब्रस्ट हो गई तो तीन लोगोंकी जाने चली गई। सरकार ने कंपनियों की खातिर बिजली बोर्ड में मानिटरिंग व कंट्रोलिंग विंग को बंद कर दिया। अब क्वालिटी कंट्रोल को देखने वाला कोई है ही नहीं।
प्रदर्शन के बाद मीडिया से रूबरू होते ग्रामीण-देखें तस्वीरें-:
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