शिमला।पंचायती राज विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा कि प्रदेश में आवारा पशुओं की समस्या के समाधान के लिए ग्राम पंचायतों को पशुओं के अनिवार्य पंजीकरण करवाने तथा आवारा पाये जाने पर उनके स्वामियों पर जुर्माना लगाने के निर्देश जारी किए गए हैं। उन्होंने कहा कि यह निर्देश हिमाचल प्रदेश पंचायती राज अधिनियम, 1994 की धारा 11 (क) के प्रावधान के अनुरूप किए गए हैं तथा इनका कड़ार्इ से पालन करने के लिए कहा गया है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा इस विषय के सम्बनिधत एक मामले में दिए गए निर्देशों की अनुपालना सुनिशिचत बनाने के लिए विभाग द्वारा सभी ग्राम पंचायतों को उपरोक्त प्रावधानों को कड़ार्इ से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि इस धारा के प्रावधानानुसार हर परिवार के मुखिया का यह कर्तव्य है कि किसी भी कारण से उसके स्वामित्व में पशुओं की संख्या में कोर्इ परिवर्तन होने पर वह लिखित या मौखिक रूप से इसकी जानकारी सम्बनिधत पंचायत प्रधान या सचिव को दें। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत पशुओं के ब्यौरों की प्राप्ति पर ऐसे पशुओं का पंजीकरण करेगी।
उन्होंने कहा कि यह ग्राम पंचायत की जिम्मेदारी होगी कि प्रत्येक पशु पर पशुपालन विभाग के कर्मचारियों की सहायता से समुचित पहचान चिन्ह लगाए और उसका अभिलेख भी रखे। इसके अतिरिक्त, हर ग्राम पंचायत अपने अधिकार क्षेत्र में आवारा पशुओं की पहचान करवाने में पशुपालन विभाग के कर्मचारियों की सहायता सुनिशिचत बनाएगी।
उन्होंने कहा कि यदि पहचान चिन्ह वाला पशु आवारा पाया जाता है, तो पशु के स्वामी की पहचान करके उसे प्रथम अपराध के लिए 300 रुपये और दोबारा पशु को आवारा छोड़ने पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।
(0)