शिमला। आरटीआइ कार्यकर्ता देव आशीष भटटाचार्य को शिमला में 2023 में दर्ज हुई एक एफआइआर के मामले में अरेस्ट करने को लेकर मिली प्रोटेक्शन को सुप्रीम कोर्ट ने समाप्त कर दिया हैं।
जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस के वी विश्वनाथन की खंडपीठ ने अपने 22 मार्च के आदेश में कहा है कि
भटटाचार्य ने इस अदालत यानी सुप्रीम कोर्ट की ओर से दी गई अंतरिम प्रोटेक्शन का लगातर दुरुपयोग किया। उसने अदालत की ओर से समय –समय पर दी गई अंतरिम प्रोटेक्शन का खुलेआम उल्लंघन किया । ऐसे में यह पीठ पूरी तरह से संतुष्ट है कि भटटाचार्य अंतरिम प्रोटेक्शन की रियायत के योग्य नहीं हैं और 19 अक्तूबर 2023 को दी गई अंतरिम प्रोटेक्शन को समाप्त किया जाता है व याचिका को खारिज किया जाता हैं।
हालांकि पीठ ने आगे कहा कि याचिकाकर्ता नियमित जांच के लिए हाईकोर्ट जाने के आजाद हैं व हाईकोर्ट मेरिट पर व कानून के मुताबिक भटटाचार्य कर याचिका का निपटारा करेगा।
यह है मामला
इस मामले में भटटाचार्य के खिलाफ 3 मई 2023 को छोटा शिमला थाना में भारतीय दंड संहिता की धारा 354डी,506 और 509 के तहत एक मामला दर्ज किया गया था।
भटटाचार्य ने अंतरिम जमानत के लिए हाईकोर्ट का रुख किया । इस दौरान पुलिस ने स्टेटस रपट भी अदालत में दाखिल कर दी। लेकिन 3 जुलाई 2023 को भटटाचार्य ने अपनी जमानत याचिका वापस ले ली और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी।
सुप्रीम कोर्ट ने 19 अक्तूबर 2023 को भटटाचार्य को अंतरिम जमानत दे दी और जांच में सहयोग देने के आदेश दिए।
पांच जनवरी2024 को हुई सुनवाई के दौरान सामने आया कि पीठ के निर्देशों के बावजूद भटटाचार्य जांच में शामिल नहीं हुए। उसे दोबारा से जांच अधिकारी के सामने पेश होने के निर्देश दिए गए।
अगली सुनवाई पर अदालत में बताया गया कि भटटाचार्य जांच अधिकारी को ब्यान लेने के लिए दिल्ली में आने की जिदद कर रहा हैं।
जब अदालत में इस बावत भटटाचार्य से पूछा तो उसने कहा कि अगर वह हिमाचल जाता है तो उसे खतरा हैं। इस वपर पीठ ने उसे चंडीगढ़ में हिमाचल भवन में जांच अधिकारी के समक्ष पेश होने के आदेश दिए।
इस पर शिकायत कर्ता के वकील ने कहा कि भटटाचार्य लगातार आपतिजनक टिप्पणियां सोशल मीडिया पर पेास्ट कर रहा हैं।हैं। जबकि सुक्खू सरकार की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता जांच में शामिल नहीं हो रहा हैं।इस सबके बावजूद पीठ ने भटटाचार्य को जांच में शामिल होने का मौका प्रदान किया और उसे हिमाचल भवन चंडीगढ़ में जांच अधिकारी के समक्ष हाजिर होने के निर्देश दिए। इसके अलावा अगले आदेशों तक शिकायत कर्ता के खिलाफ और मामले से जुड़ी किसी भी तरह की टिप्पणियां सोशल मीडिया पर पोस्ट न करने की हिदायत दी ।
22 मार्च के अपने आदेश में खंडपीठ ने कहा कि आज सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता की ओरसे पैरवी कर रहे वकील ने फेसबुक पर पेस्ट की टिप्पणियों को अदालत में पढ़ा । इस बावत जब पीठ ने भटटाचार्य से पूछा तो उसने कहा कि उसने माना की उसने टिप्पणियां की है लेकिन किसी का नाम नहीं लिखा हैं।
इस पर अदालत ने कहा कि अब तो तथ्य सामने आ गए है कि याचिकाकर्ता लगातार सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम राहत का दुरुपयोग कर रहा है और भटटाचार्य को मिली अंतरिम जमानत को खारिज कर दिया।
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