शिमला। मुख्यमंत्री सुक्खविदंर सिंह सुक्खू के राज में हिमाचल प्रदेश विवि में कर्मचारियों, अधिकारियों व शिक्षकों को महीने की नौ तारीख तक भी वेतन नहीं मिला है। कल सोमवार को दस तारीख है और दस तारीख वेतन मिल जाएगा इसके आसार नजर नहीं आ रहे है।
इसके अलावा विवि से सेवानिवृत हो चुके कर्मचारियों, अधिकारियों और शिक्षकों को पेंशन भी नहीं मिली हैं।
उधर, विवि के कर्मचारी,अधिकारी और प्रोफेसर्स ने वेतन न मिलने पर रोष जताते हुए जंग का एलान कर रखा है। इस कड़ी में कल यानी सोमवार को विवि वेतन संघर्ष समिति ने विवि के वित अधिकारी पीसी जसवाल का घेराव करने का एलान कर दिया है।
समिति के महासचिव नरेश कुमार शर्मा ने कहा कि कल विवि के वित अधिकारी का घेराव किया जाएगा। वो विवि में सुकखू सरकार के नुमाइंदे है। ऐसे में वेतन दस तारीख तक भी वेतन क्यों नहीं मिल रहा है इस बावत उनसे जवाब मांगा जाएगा। बेशक वित अधिकारी सुक्खू सरकार के नुताइंदे है लेकिन दिलचस्प ये है कि वित अधिकारी को भी वेतन नहीं मिला है।सुक्खू राज में सबके हाल एक से है।
आंदोलन को लेकर प्रोफेसर्स दोफाड़
वेतन न मिलने पर आंदोलनरत होने के लिए विवि के प्रोफेसर्स दोफाड़ हो गए है। भाजपा विचारधारा से जुड़े प्रोफेसर्स सुक्खू सरकार के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है। इस मोर्चा में प्रोफेसर्स की कमान पूर्व एबीवीपी नेता नितिन व्यास संभाले हुए है जबकि कांग्रेस विचारधारा से जुड़े प्रोफेसर्स आंदोलन करने को तैयार नहीं हैं।
संघर्ष समिति ने कांग्रेस से जुड़े इन प्रोफेसर्स की यूनियन को भी संघर्ष समिति में शमिल होने का न्यौता दिया था । नरेश शर्मा कहते है कि ये प्रोफेसर्स की ये यूनियन शामिल नहीं हुई बाकी शिक्षकों, कर्मचारियों व अधिकारियों की तमाम यूनियने संघर्ष समिति में शामिल हो चुकी है।
राजभवन कूच की तैयारी
वेतन न मिलने से नाराज विवि वेतन संघर्ष समिति ने अब राजभवन और सचिवालय कूच की तैययारी कर ली है। शर्मा ने कहा कि सोमवार यानी कल अगर वेतन नहीं मिला तो संघर्ष समिति के बैनर तले तमाम कर्मचारी, अधिकारी व शिक्षक राजभवन को कूच कर जाएंगे।जरूरत पड़ी तो सचिवालय का घेराव भी किया जाएगा।
समिति ने तय किया है कि अगर सोमवार को वेतन मिल भी जाता है तो भी समिति का आंदोलन जारी रहेगा। विवि को पहले की तरह अनुदान सालाना या छमाही या तिमाही के आधार पर मिलता रहना चाहिए। ये हर महीने का सिलसिला खत्म होना चाहिए।
वीसी और पीवीसी ने किए हाथ खड़े
जानकारी के मुताबिक वेतन के मामले को लेकर विवि के कुलपति प्रोफेसर महावीर सिंह और प्रति कुलपति प्रोफेसर राजेंद्र वर्मा भी हाथ खड़े कर चुके है। हालांकि राजेंद्र वर्मा तो सुक्खू के बेहद करीबी भी है। दोनों का कई कुछ साझा है। उधर, कहा जा रहा है कि सुक्खू वीसी की ज्यादा सुनते भी नहीं है।
उधर, सचिवालय में वित महकमे से जुड़े सूत्रों की माने तो सुक्खू सरकार ने इस महीने एचपीयू को दस करोड़ का ही अनुदान जारी किया था। वो भी छह तारीख को जारी किया जबकि विवि के कर्मचारियों, अधिकारियों और शिक्षकों के महीने के वेतन की रकम 14-15 करोड़ रुपए बनती है। अगर इसमें पेंंशन की रकम भी जोड़ दी जाए तो ये 21-22 करोड़ रुपए बन जाते है।
वित विभाग के सूत्रों के माने तो सरकार के पास इतने पैसे नहीं है कि वो पूरा अनुदान आवंटित कर दें। लेकिन समझा जा रहा है कि सुक्खू ने वित महकमे में दो -दो वित सचिव तैनात कर रखे है। एक आइएएस अभिषेक जैन है जो सचिव स्तर के अफसर है जबकि दूसरे देवेश कुमार है जो प्रधान सचिव के आइएएस अफसर है। कहा जा रहा है कि दो-दो अफसरों के होने के बावजूद भी सुक्खू सरकार का खजाना इनसे संभाला नहीं जा रहा है।सचिवालय के एक कर्मचारी नेता की माने तो सुक्खू को एक बेहतर,वरिष्ठ और सूझबूझ वाले वित सचिव की दरकार है लेकिन सुक्खू को ऐसा कोई अफसर नज़र ही नहीं आ रहा हैं। ऐसे में सरकार के खिलाफ लोग सड़कों में तो उतरेंगे ही।
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