शिमला। मादी –शाह और नडडा के निर्देशन पर प्रदेश की सुक्खू सरकार को गिराने का भाजपा का मिशन लोटस कांग्रेस व नौकरशाही में BJP के Sleeper cells Expose कर गया हैं। इसके अलावा जिने चेहरे बेनकाब नहं हुए है उन चेहरों को बेनकाब करने के लिए ये मिशन लोटस रास्ता खोल गया हैं।
मुख्यमंत्री व उनकी मित्र मंडली को भाजपा के विफल मिशन लोटस ने वो सब कुछ खोल के रख दिया है जिसका पता उन्हें पांच साल सत्ता में रहने तक भी नहीं लगता। ये मित्र मंडली पिछले सवा साल से अजीबो-गरीब कामों में ही जुटी हुई है। नौकरशाही व पुलिस का चेहरा हुआ उजागर
सत्ता बदलने पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से उनके तमाम करीबियों ने पुलिस व नौकरशाही में आमूल चूल बदलाव करने की सलाह दी थी। लेकिन सुक्खू स्टेटसमैन बनना चाहते थे । उन्होंने एक साल तक प्रदेश में तहसीलदार तक नहीं बदला। जो पुलिस प्रशासन व नौकरशाही जयराम सरकार में राज में कारनामें कर रहे थे वही सुक्खू सरकार में भी अपनी करतूतें दिखाते रहें। यहां तक कि एसपी व डीसी भी चुनाव आयोग के निर्देशों के बाद बदले गए।
लेकिन बजट सत्र के दौरान जब सरकार गिराने का कारनामा सामने आया तो वह पुलिस व नौकरशाही के असली चेहरे से रूबरू हुए। तब तक उनके पांव के नीचे से जमीन खिसक चुकी थी। उनका हाल ये है कि तब भी उन्होंने खुफिया प्रमुख से खुफिया विभाग का कार्यभार वापस लिया। उनकी जगह पर अतुल वर्मा को अब खुफिया तंत्र का प्रमुख बनाया गया हैं। इसके अलावा उन्होंने अपने प्रधान सचिव की जगह हिमाचल काडर के आइएएस अधिकारी राकेश कंवर को मुख्यमंत्री कार्यालय में लगाया।
अब डीजीपी कुंडू 13 दिन की एलटीसी लीव पर गए हैं। उनकी जगह पर 1989 बैच के ही आपीएस अधिकारी संजीव राजन ओझा को डीजीपी का कार्यभार दिया गया हैं। कुंडू को डीजीपी के पद से हटाने के लिए कब से सुक्खू के करीबी जोर लगा रहे थे। वह शिमला के हिमाचल रसोई में आरडीएक्स धमाका होने का खुलासा सुप्रीम कोर्ट में कर आए। सुक्खू तब भी नहीं जागे।
बहरहाल,अतुल वर्मा और ओझा दोनों ही वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी है ।ये मुख्यमंत्री को कितनी सटीक व क्या रपटें दे रहे होंगे ये सुक्खू ही जानते होंगे लेकिन इतना बड़ा कांड होने के बाद सुक्खू को पता चला कि पुलिस व नौकरशाही में BJP के Sleeper cells कहां –कहां पर छिपे बैठे थे।
नौकरशाही में तो वह अभी भी कुछ ज्यादा नहीं हो पाया हैं।गृह सचिव के पद पर बेहद कनिष्ठ अधिकारी को लगाया गया है जो पुलिस अधिकारियों के बीच मचे घमासान को संभाल नहीं पाए हैं। इसके अलावा भी सुक्खू को अब तक नौकरशाही की निष्ठाओं व मंशाओं का भान पूरी तरह से नहीं हो पाया हैं। संभवत: जब सरकार गिर ही जाए उसके बाद उन्हें कुछ भान हो पाए।
कांग्रेस में छिपे Sleeper cells भी हुए Expose
मोदी –शाह-नडडा की तिकड़ी की ओर से सरकार गिराने की मुहिम के फोरी तौर पर विफल हो जाने के बाद कांग्रेस में छिपे BJP के Sleeper Cells भी Expose हो गए हैं। सबसे बड़ी अंगुली तो हालीलाज कांग्रेस पर उठी हैं। आलाकमान की ओरसे भेजे गए आब्जर्वर डी के शिव कुमार को जो रपटें कांग्रेसिंयों ने दी है वह चौंकाने वाली हैं। इनमें हालीलाज कांग्रेस को पूरी तरह से बेनकाब किया गया हैं। जबकि प्रदेश कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला को भी कटघरे में खड़ा किया गया हैं। भाजपा के पक्ष में क्रास वोटिंग करने वाले अधिकांश विधायक हालीलाज कांग्रेस के समर्थक ही थे। यही नहीं शिवकुमार को बताया गया कि क्रास वोटिंग करने वाले अधिकांश विधायकों को विधानसभा चुनावों में टिकट किसके कहने पर दिए गए थे। सूत्रों के मुताबिक ये जानकार वो भी हतप्रभ रह गए थे।
मित्रमंडली के कारनामे
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने ईर्दगिर्द जिस मित्रमंडली को खड़ा कर रखा है वह भी इस कांड के बाद एक्सपोज हो गए हैं। बताते है कि सुक्खू के करीबी सुनील बिटटू मुख्यमंत्री को यही बताते रहे कि राज्यसभा चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवीं की जीत पक्की हैं। उनका आकलन व प्रबंधन दोनों ही गलत निकला। हमीरपुर में सुनील बिटटू को लेकर गुब्बार आज भी निकाला जा रहा हैं। इसी तरह उनकी मित्र मंडली के बाकी मित्र भी जो मोटी –मोटी रकमें महीने में जेब में डालते है वो पक्का प्रबंध करने में नाकाम रहे। वह एक दूसरे को निपटाने में ही लगे हुए रहे।
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