शिमला। करीब सवा साल के कांग्रेस की सुक्खू सरकार में चल रहे बीजेपी के Proxy प्रशासन पर अब संभवत: कुछ लगाम लगने के आसार लग रहे हैं। अभी तक कांग्रेस में भाजपा सरकार के वही अधिकारी काम धड़ल्ले से काम रहे थे जिनकी करतूतों से तंग आकर जनता ने भाजपा की सरकार को दिसंबर 2022 में सत्ता से बाहर धकेल दिया हैं।
जनता को उम्मीद थी कि सत्ता बदलने के बाद उन्हें इन अधिकारियों की करतूतों से राहत मिलेगी। लेकिन कांग्रेस के राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने प्रदेश की बगाडोर ऐसे मुख्यमंत्री के हाथ सौंप दी जो लगभग सत्ता में सवा साल तक शासन करने के बाद भी पूर्व की बीजेपी सरकार के Proxy प्रशासन की कवायदों को समझ नहीं पाया।
ये तो गनीमत है कि लोकसभा के चुनाव आ गए हैं और चुनाव आयोग ने नायब तहसीलदार से लेकर जिला उपायुक्तों तक तमाम स्तर पर तीन साल का कार्याकाल पूरा कर चुके अधिकारियों को बदलने का फरमान जारी कर दिया अन्यथा राहुल गांधी व प्रियंका गांधी की ओर से जिन सुक्खविंदर सिंह सुक्खू को कांग्रेस सरकार की बागडोर दी गई है वह अब भी शायद ही इन अधिकारियों के तबादले करते।
कहा जाता है कि पूर्व सरकार के बहुत से अफसरों व ‘खास बाकियों’ ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पर अपने प्रेम का ऐसा मायाजाल डाला कि उन्हें मदहोश कर दिया । उन्हें पता ही नहीं चला कि कब सोलन में मिशन लोटस पूरा हो गया और कब शिमला के एक रेस्तरां में आरडीएक्स पहुंच गया।
ऊपर के स्तर पर तो अभी भी पूर्व की बीजेपी सरकार के Proxy प्रशासन का पूरा कब्जा है और आगामी लोकसभा चुनावों में चारों सीटों पर क्या गुल खिलाया जाता है इसका अंदाजा अभी से लगाना जल्दी होगा।
सुक्खू सरकार ने आज दर्जनों अधिकारियों के तबादले कर दिए हैं। इनमें कई एसपी व डीसी भी बदले गए हैं। अब ये नए लगाए गए अफसर लोकसभा चुनावों से ऐन पहले कितना कुछ कर पाएंगे इसका अंदाजा लगाना कोई मुश्किल काम नहीं हैं।
ये पूर्व की बीजेपी का Proxy प्रशासन ही था कि जिसके दम पर पूर्व सरकार के कार्यकाल में डंके की चोट पर भ्रष्टाचार करने वाले कांग्रेस सरकार में भी संरक्षण में थे। ये वो भ्रष्टाचारी थे जिनके खिलाफ कांग्रेसियों ने हमला बोला था लेकिन कांग्रेस की सरकार के सत्ता में आने के बाद भी जब उन्हें संरक्षण मिला तो ये कांग्रेसी कार्यकर्ता भौंचक्का रह गए।
अब लोकसभा चुनावों से पले वह मौन हो गए हैं। इसका लोकसभा चुनावों में कितना असर पड़ेगा ये आने वाले समय में ही पता चलेगा लेकिन कांग्रेस की हार हुई तो सुक्खू की कुर्सी रहेगी ही यह जरूरी तो नहीं हैं।
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