शिमला। वामपंथियों ने मोदी सरकार पर किसानों के नाम पर बड़ी बीमा कंपनियों को लाभ पहुंचाने का इल्जाम लगाया है। साथ ही देश में जेल भरों आंदोलन चलाने का एलान भी किया है। आज प्रिदेश में किसानी की खराब व किसानों की आवाज को सरकार तक पहुचाने के लिए हिमाचल किसान सभा के बैनर तले आज सैंकड़ों किसानों ने प्रदेश विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया और जमकर नारेबाजी की। सभा ने कहा कि मोदी
और प्रदेश की जयराम ठाकुर सरकार किसानों के बजाए कारोबारियों को लाभ पहुंचा रही है।
इस मौके पर अखिल भारतीय किसान सभा के सह सचिव बीजू कृष्णन ने कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें को लागू
करने से मोदी सरकर पलट चुकी है जबकि किया प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से भी किसानों को कोई फायदा नहीं हुआ
है। इस योजना से केवल 11 बड़ी कम्पनियों को 10000 करोड़ का लाभ मिला है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार वन नीति में बदलाव सहित अनुबंध खेती, टेनेंसी एक्ट में बदलाव लाकर बड़े पूंजीपतियों को
लाभ पहुंचाना चाह रही है।
उन्होंने एलान किया कि मोदी सरकार की किसान विरोधी नीतियों के खिलाफ देश भर से 10 करोड़ हस्ताक्षर एकत्र करेगी
और आगामी 9 अगस्त को जेल भरो आन्दोलन किया जाएगा। इससे पहले 5 मई को जन एकता-जन अधिकार के नारे पर
देशभर में धरना प्रदर्षन होंगे। 5 सितम्बर को देख के लाखों खेत मजदूर और किसान विशाल रैली करेंगे।
रैली को विधानसभा में एकमात्र वामपंथी विधायक राक ेश सिंघा ने भी संबोधित किया और कहा कि सरकार बदलने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि नई सरकार किसानों के हित में कुछ फैसले लेगी और साल 2000 में किसानों की जमीन को नियमितकरने के अपने वायदे को आगे बढ़ाएगी लेकिन इस सरकार में भी किसानों की जमीन से बेदखली बदस्तूर जारी रही।
उन्होंने कहा कि किसानों की जा रही बेदखली काननून सही नहीं है। किसी भी कब्जे को सहायक आयुक्त स्तर के अधिकारीद्वारा सत्यापित करना जरूरी है जो वन विभाग ने नहीं किया है।
उन्होंने कहा कि किसान समझ चुके हैं कि कांग्रेस और भाजपा की नीतियों में कोई अन्तर नहीं है औद दोनों ही दल किसान विरोधी साबित हुए हैं।
इस मौके पर किसान सभा के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप सिंह तँवर ने कहा कि प्रदेश में भूमि से सम्बन्धित लम्बित मुददों के समाधान के लिए राज्य भूमि आयोग का गठन होना चाहिए।
उन्होंने बन्दरों के निर्यात करने फसल को नुकसान पहुंचाने वाले अन्य जंगली जानवरों का वर्मिन घोषित करने की मांग की व व दूध का न्यूनतम समर्थन मूल्य 30 रुपये प्रति लीटर करने की मांग की।
इसके बाद सभा के दस सदस्यीय प्रतिनिधमंडल ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर से मिलकर किसानों की मांगों को लेकर एक ज्ञापन भी सौंपा।
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