शिमला। जिला मंडी में पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर के चुनावी हलके सिराज से कांग्रेस प्रत्याशी विक्रमादित्य सिंह को मिलने वाली बढ़त उनकी जीत व हार का पैमाना तय करने वाली होगी। सिराज से विधानसभाचुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी चेतराम ठाकुर हालीलाज कांग्रेस के खांटी वफादार हैं। मौजूदा समय में पूरे जिला मंडी में उनके अलावा हालीलाज का इतना वफादार कोई नहीं हैं।
ये दीगर है कि नेता प्रतिपक्ष व सिराज से विधायक जयराम ठाकुर बेशक लंबे समय से भाजपा से जीतते आ रहे हैं और उनकी भी हालीलाज से यारी कम नहीं हैं। लेकिन इस बार उन्हें मनाली में घर बना चुकी व भाजपा प्रत्याशी कंगणा ने फंसा दिया हैं। ऐसे में वो यारी निभाए तो आखिर कैसे । हिमाचल में सबको पता है कि जयराम की हालीलाज कांग्रेस के साथ लंबे समय से सांठगांठ हैं।
बहरहाल,सिराज में इस बार पिछले लोकसभा व विधानसभा चुनावों से अलग ट्रेंड आने की उम्मीद जताई जा रही हैं व सबकी निगाहें हालीलाज कांग्रेस के वफादार चेतराम पर लगी हैं। अगर चेतराम ठाकुर यहां से विक्रमादित्य सिंह को ज्यादा मत डलवा पाए तो फिर कंगणा की जीत मुश्किल हो जाएगी।सिराज में मुख्यमंत्री सुक्खू का खेमा भी है लेकिन वो ज्यादा ताकतवर नहीं हैं।ऐसे में चेतराम ही एकमात्र ऐसा नेता है जो सिराज में हालीलाज के शहजादे(कंगणा के मुताबिक) के लिए कोई चमत्कार कर सकते हैं।
सिराज कांग्रेस में भी चेतराम का ही दबदबा हैं चूंकि हालीलाज कांग्रेस की सर्वेसर्वा प्रतिभा सिंह ही रही है तो यहां पर मुख्यमंत्री सुक्खू संगठन में भी ज्यादा कुछ नहीं कर पाए। ऐसे में ये चेतराम ठाकुर के लिए भी ये चुनाव अस्तित्व की जंग हैं। अगर वो यहां से भाजपा की लीड कम नहीं करा पाए व इन चुनावों के बाद सुक्खू मुख्यमंत्री के पद से नहीं हटे तो चेतराम का राजनीतिक अस्तित्व दांव पर लग सकता हैं।
खास बात ये है कि इस बार चेतराम को यहां पर वामपंथ का भी खुला साथ मिल रहा हैं। कांग्रेस व वामपंथ के इस गठजोड़ से जयराम व स्थानीय भाजपा भी कुछ असहज है। बीते रोज यहां जयराम ने जनसभा की तो उन्होंने वामपंथियों को लेकर कुछ टिप्पणियां भी की कि वो कई दिनों तक यहां वर्षाशालिका में पड़े रहते थे। यानी की भाजपा के समय धरने प्रदर्शन करते रहते थे। अब कुछ नहीं करते।
उन्हें अंदाजा हो रहा है कि कुछ तो असर पड़ेगा व जो बंपर लीड उन्हें विधानसभा चुनाव में मिली थी उस स्तर की बढ़त अगर नहीं मिली तो भाजपा आलकमान के नजर में उनकी राजनीतिक हैसियत क्या हो जाएगी इसका उन्हें अंदाजा हैं ही। यही नहीं 2021 के लोकसभा के उपचुनावों में जितनी बढ़त भाजपा को सिराज से मिली थी अगर चेतराम उसे भी कुछ हजार कम कर पाते है तो वो हालीलाज कांग्रेस के लिए संजीवनी से कम नहीं होगी।
बहरहाल कहा जा रहा है कि चूंकि इस बार जयराम मुख्यमंत्री नहीं हैं। इसके अलावा कंगणा लोगों से दिल के तार जोड़ नहीं पा रही ऐसे में सिराज से कांग्रेस की बढ़त पिछले उपचुनाव के मुकाबले बढ़ाना चेतराम के लिए कठिन चुनौती तो है लेकिन हालीलाज कांग्रेस के लिए वो कुछ भी करने की ठान ले तो शायद कुछ संभव हो जाएं। मंडी में जयराम के लिए अब विधानसभा चुनावों जैसा बहुत कुछ नहीं हैं।अभी मोदी की 24 मई को हो रही है । इसे लिए तमाम भाजपाइ एड़ी चोटी का जोर लगा रहे है । यही वक्त है जब चेतराम ठाकुर व उनकी जुंडली अपनी वफादारी की खातिर खून पसीना बहा सकते हैं।
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