शिमला। जिला किन्नौर के युवाओं के शराब के नशे की चपेट में आ जाने पर पर चिंता जताते हुए जिला परिषद किन्नौर ने सरकार से शराब के ठेकों,बीयरबार और शराब परोसने वाले रेस्तरांओं को दस बजे तक बंद करने की मांग की हैं। जिला परिषद सदस्यों ने कहा है कि आसानी से शराब मिलने से युवा पीढ़ी नशे की जद में आ गई हैं व जिला में आपराधिक वारदातों में बढ़ोतरी हो रही हैं। जिला परिषद अध्यक्ष प्रतिश्वरी देवी ने कहा कि सात आठ महीने पहले कल्पा में शराब पीकर युवक आपस में भिड़े व एक युवक का कत्ल कर दिया। वह अपने माता -पिता का इकलौता ही बैटा था। इस वारदात के बाद उसके माता पिता टूट चुके हैं। मारपीट के मामले तो दर्जनों में हैं।
ऐसी घटनाओं के बढ़ने के बाद शराब के ठेकों,बीयरवार व जिन रेस्तराओं में शराब परोसी जाती हैं उन्हें शाम को नौ -दस बजे तक बंद कर देने की मांग उठी हैं। उन्होनें कहा कि जिला परिषद ने सरकार व आबकारी विभाग से इस मसले पर गौर करने के निर्देश दिए हैं।
सापनी से जिला परिषद सदस्य दौलत सिंह नेगी ने कहा कि सेब का जो भी पैसा आता हैं,उसे युवा शराब पर लुटा रहे। रात को बारह बारह बजे तक घर नहीं आते। उन्होनें कहा कि शोंगटोंग में शराब का ठेका सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना का जीता जागता नमूना हैं। यह नेश्नल हाइवे पर ही हैं। याद रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने शराब के ठेके नेशनल हाइवे से पांच सौ मीटर के दायरे में न होने का फैसला दिया हुआ हैं।
बैठक में अधिकारियों के मौजूद रहने का मसला भी उठा। जिला परिषद अध्यक्ष ने कहा कि वन विभाग की ओर से आज की बैठक में कोई भी नहीं आया था। जब डीएफओं को फोन पर बुलाया गया तो उसने रेंज अफसर को भेज दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे अफसरों की जवाबदेही तय होनी चाहिए। बैठक में बंदरों का मसला भी उठा व सदस्यों ने मांग की कि कबाइली जिला किन्नैर में भी बंदरों को बाकि प्रदेश की तरह बर्मिन घोषित किया जाए।
इसके अलावा शोंगटोगे पावर प्रोजेक्ट की वजह से बेघर हुए 14 परिवारों में से सात को तो बसा दिया गया था लेकिन सात परिवार अभी भी बेघर ही हैं। इनको शीघ्र बसाया जाना चाहिए। इसके अलावा प्रोजेक्ट एरिया में कई पंचायतों को प्रभावित क्षेत्र से बाहर रखा गया हैं। इनमें कोठी तंलगी ,दूनी और रोघी पंचायतों को प्रभवित क्षेत्र के दायरे में लाया जाना चाहिए।
बैठक में मांग की गई स्थानीय लोगों को रेता बजरी के परमिट दिए जाए ताकि उन्हें यह सामाग्री सस्ते में मिल सके और यह सामाग्री जिला से बाहर भी न जा पाए। बैठक में कल्पा व रिकांगपीओं को सीवरेज से जोड़ने की भी मांग की गई ।
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