शिमला। चंबा के साईकोठी में वक्कामूला चंद्रशेखर की कंपनी वेंचर एनर्जी व टेक्नालॉजी को कांगेस सरकार की ओर से आवंटित 17 मेगावाट के बिजली प्रोजेक्ट के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के छोटे बेटे अरुण धूमल ने नया खुलासा किया है । छोटे धूमल ने राजधानी में आयोजित संवादददाता सम्मेलन में दावा किया कि वेंचर एनर्जी को ये प्रोजेक्ट आवंटित करने के लिए रिटायर चीफ इंजीनियर के के वैदय के 2005 में लिखे पत्र से छेड़छाड़ की गई और प्रोजेक्ट को आवंटित करने के लिए जाली पत्र का इस्तेमाल किया गया।
उन्होंने कहा कि के के वेदय 2005 में रिटायर हो गए थे।ऐसे में वो 2007 में ये चिट्ठी नहीं लिख सकते। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस मामले में अदालत की अवमानना की है। मुख्यमंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए। छोटे धूमल ने सीबीआई की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए लेकिन साथ ही मांग की कि वीरभद्र के इस्तीफे के बाद इस मामले को सीबीआई को भेज देना चाहिए।उन्होंने कहा कि इस मामले में अदालत की अवमानना हुई है। ऐसे में अदालत को सू मोटो लेना चाहिए।
छोटे धूमल ने कहा कि 2005 में जब के के वैदय ने इस प्रोजेक्ट को प्राइवेट हाथों में देने के लिए चिटठी लिखी थी इसके पर एक एनजीओ सिटीजन राइट्स प्रोटेक्शन फोरम ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर दी। इस पर ये मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक गया।
उन्होंने दावा किया कि हाईकोर्ट और सुप्रीमकोर्ट ने कभी भी इस कंपनी को ये प्रोजेक्ट आवंटित करने के लिए नहीं कहा। वीरभद्र सिंह इस मसले पर प्रदेश की जनता,विपक्ष और कांग्रेस आलाकमान को गुमराह कर रहेहै। सरकार ने 2005 से लेकर2006 तक अदालतों में कहा कि इस प्रोजेक्ट को एनर्जी वेंचर को नहीं दिया जाएगा। इसे प्रदेश बिजली बोर्ड को दिया जाएगा। केबिनेट ने भी इस प्रोजेक्ट को वेंचर एनर्जी को न देने का फैसला लिया था। उन्होंने कहा कि ऐसे में एक चीफ इंजीनियर केबिनेट के फैसले के खिलाफ कैसे इसे प्राइवेट पार्टी को आवंटित करने का फरमान जारी कर सकता है।
उन्होंने इस मामले में वीरभद्र सिंह से जवाब तलब किया। अरुण धूमल ने कहा कि अदालत ने इस मामले में सरकार को 10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया था
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