शिमला। प्रदेश भाजपा के नेताओं में आपस में ठनी तो हिमाचल लोकहित पार्टीका उदय हुआ। इस पार्टी ने विधानसभा चुनावों में एक ही सीट पर कब्जा किया लेकिन भाजपा को सता से बाहर कर दिया। उसके बाद प्रदेश में मंडी लोकसभा के लिए उप चुनाव हुआ।यहां भी भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा। अब मिशन 2014 में हिमाचल लोकहित पार्टी एक बार फिर भाजपा और कांग्रेस को निशाने पर लेने जा रही है।कांग्रेस को कम व भाजपा को ज्यादा।पार्टी अध्यक्ष महेश्वर सिंह ने अप्रत्यक्ष तौर पर निशाना धूमल और बिंदल पर साधते है। उनसे बातचीत के खास अंश
आप तीसरे विकल्प की बातें करते रहे है। आज प्रदेश में ऐसी क्या जरूरत पड़ी कि तीसरे विकल्प को खड़ा करना पड़ा?
जहां तक कांग्रेस की बात है केंद्र में कांग्रेस पर कई आरोप थे ।कइयों को पद छोड़ने पड़े । कइयों पर आरोप साबित भी हो गए। प्रदेश मे सरकार एक व्यक्ति वीरभद्र सिंह के सिर पर चल रही है। लोग परिवर्तन चाहते है।हिमाचल में विकल्प नहीं है। लोग एक बार एक को, दूसरी बार दूसरे को चुनते है।मै व मेरे साथी हम सब भाजपा से आए है। दूसरा दरवाजा देखा नहीं ।लेकिन धूमल सरकार में में हिमाचल फार सेल हो गया।भ्रष्टाचार चरम पर था।हम तथ्यों को लेकर आलाकमान के पास गए।सारे तथ्य सामने रखे। कोई हल नहीं निकला तो लगा कि अटल के बीमार होने के बाद भाजपा पथ भ्रष्ट हो गई है। इसलिए अलग होने का संकल्प लिया व संकल्प लिया, कहो दिल से बिके हिमाचल फिर से।
क्या आलाकमान भी इस भ्रष्टाचार में शामिल है?
आलाकमान जब तक कोई एक्शन न ले दोषमुक्त कैसे हो सकती है। हम भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर गडकरी के पा
स गए।उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की तो वो कहां से दोष मुक्त हो गए।हिलोपा की लड़ाई क्रप्शन की लड़ाई है या भाजपा से खदेड़ने के बाद सरवाइवल का सवाल खड़ा हो गया।क्या ये सरवाइवल की पॉलिटिक्स है?
हमारा मुददा साफ है। हमारा एक संकल्प है हिमाचल को भ्रष्टाचार मुक्त बनाएं जहां गरीबों की सुनवाई न हो रही हो वहां उन्हें न्याय मिले। हिमाचल के हितों को बेचने की इजाजत न दी जाए। शिक्षा के नाम पर हिमाचल सेल हो गया। ये कोई न दोहरा सके।118 के नाम पर बाहर के लोगों को जमीनें दे दी गई। और तो और आईआरडीपी के गरीब परिवारों की जमीनें खरीदी गई।
आपने क्रप्शन की बात की। सरकार जो जांच करा रही है, क्या हिलोपा उस जांच से संतुष्ट है या कहीं को डील हो गई है?
जिस गति से ये काम होना चाहिए था उस गति में बहुत कमी है। हमने सदन में भी मुख्यमंत्री से कहा कि आप अपनी शक्ति पहचाने ।दाल घोटाले में प्रश्न चिन्ह लगाए। मंत्री से पूछा की आरोप लगाने वाले कमेटी के अध्यक्ष आप थे फिर ये कैसे हो रहा है
तो क्या कोई डील लगती है?
देखिए डील है। डील दूसरी बात है। आपके (सरकार के)मन में अपराधियों के प्रति सहानुभूति क्यों है, ये चिंता का विषय है। सरकार को अपना राजधर्म निभाना है।विजीलेंस आखिरी जांच एजेंसी नहीं है।उसके ऊपर भी बहुत से चीजें है।दाल घोटाले में जिस मामले एफआईआर हैं वह दूसरा मामला है। जिसेमें क्लीन चिट दी जा रही है वह दूसरा मामला है। दाल के ट्रासंपोर्टेशन को लेकर एफआईआर नहीं हुई है। अब उस हिस्से को क्यों छोड़ा जा रहा है। उन्हीं लोगों को ठेका देना कहां का न्याय का है। मैं इससे संतुष्ट नहीं हूं।
टेलीफोन टेपिंग मामले में केंद्र में एक भाजपा नेता के मामले में पुलिस वाले अंदर हो जाते है कुछ जमानत पर है।यहां तो मौजूदा मुख्यमंत्री ही अछूता नहीं रहा है।ऐसे में कार्रवाई में बिलंब क्यों ।ये समझ से परे है।
गृह विभाग मुख्यमंत्री के पास है। क्या सीएम कमजोर हो गए या विफल साबित हो रहे है?
मैं व्यक्ति विशेष की बात नहीं कर रहा हूं।सरकार पर ही आती ही बात तो। सरकार का ही दायित्व है। हम सरकार को कहेंगे या संबधित मंत्री को कहेंगें।
पिछले 20-30 सालों में क्रप्शन बढ़ा है व कर्ज भी बढ़ा है प्रदेश में ज्यादा समय दो मुख्यमंत्री रहे। वीरभद्र सिंह व प्रेम कुमार धूमल ।किसे ज्यादा दोषी मानते है
व्यक्ति विशेष की बात नहीं करूंगा। आजादी के बाद देश व प्रदेश में कांग्रेस को राज बहुत लंबे समय तक रहा।इस बात की खराबी आनी ही थी।
भाजपा का जन्म कुछ ही वर्ष का है।अटल के बीमार रहने के बाद भाजपा में भ्रष्टाचार बढ़ा है।व गति के हिसाब से देखें तो भाजपा आगे निकल गई है अवधि के हिसाब से देखें तो कांग्रेस आगे है।
आम आदमी पार्टी से क्या कोई गठजोड़ किया जा रहा है?
हिमाचल व दिल्ली की भौगोलिक स्थिति में बड़ा अंतर है।आम आदमी पार्टी दिल्ली में घर –घर पहुंच थी। हमारे लिए सब कुछ विपरीत था। पर हमें एक कामयाबी मिली कि जिस घर को छोउ़ा वो सता से बाहर हो गई। परिवर्तन चाहते थे पर हम गांव गांव नहीं जा सके। आम आदमी पार्टी से चर्चा हुई पर कोई विशेष उपलब्धि नहीं है।चर्चा हो रही है। हमने प्रयास किया कि वोट ऐसे न बंटे जिससे हम जिन्हें सता से बाहर रखना चाहते है उन्हें लाभ मिले।
मोदी से कोई बातचीत हुई। घर वापसी की कोई संभावना है?
मेरी उनसे कोई बात नहीं हुई है।।पार्टी के कुछ नेताओ से बात हुई ।उन्होंने जानना चाहा। मैने साफ कर दिया कि मुझ खेद है उस वक्त आपने कोई कार्रवाई नहीं की। अब मै क्या उम्मी रखूं और जो दोषी व्यक्ति थे व जिन बातों को लेकर हमने घर छोड़ा उन पर क्या कोई कार्रवाई हुई है।
दोषी लोग, इशारा किस ओर है?
जब हमने ये कहा हिमाचल आन सेल ।किस की ओर इशारा जाता है। जब हमने कहा ये दाल घोटाला किस जिले के सबंधित लोगों ने किया। अटल स्वास्थ्य योजना का कौन मंत्री था। ये सब बातें सामने है।। आलाकमान उनके खिलाफ कार्रवाई करता तब वापसी की बात होती । क्या ऐसी कोई कार्रवाई हुई।
शायद भाजपा के हाईकमान को भी ज्ञान होगा है कि दोषी कौन थे दोषियों को पुरस्कृत करेंगे तो हमसे क्या उम्मीद रखेंगे।
भाजपा नेताओं के पार्टी से बाहर जाने के लिए शांता कुमार की हामी थी। लेकिन वो खुद बाहर नहीं आए। क्या कोई गिला है उनसे?
शांता ने कभी नहीं कहा कि पार्टी छोड़ों। न ही हमने उम्मीद रखी की वो पार्टी छोड़े । एक बात जरूर है कि सिरमौर के नाहन मे गडकरी की रैली में जब उन्होंने कहा कि भाजपा में भीी सब अच्छा नहीं है।यहां भी भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद है। इसकों दूर करना होगा। चुनाव से पूर्व दूर करना होगा।। इससे प्रेरणा जरूर मिली था।
अब शांता घर वापसी के लिए न्यौता दे रहे है।राजन सुशांत को भी दे रहे है व आपको भी दे रहे हैं?
उनके सामने भी मैने यही प्रश्न रखा कि जिन मुददों को लेकर हम बाहर आए थे क्या उनका हल हो गया ।हम घूमने बाहर नहीं आए थे। मै शांता से यही पूछता हूं कि क्या उनका निराकरण हो गया है। अगर नहीं हुआ तो हम वापस कैसे आ सकते है।
क्या हिलोपा लोकसभा चुनाव लड़ेगी?
पार्टी तय करेगी ।कौन प्रत्याशी होगा। देखेंगे भाजपा व कांग्रेस किस –किस को उतारती है। सब चीजों का आकलन करेंगे।राजनीति में समीकरण होते है ।हमारी पार्टी के हित क्या होगा उसी हिसाब से कदम उठाएंगे वैसे हमने तैयारी कर रखी है। असल लक्ष्य 2018 है।
आप पर आरोप है कि आप मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के साथ कदमताल मिलाकर चल रहे है?
विरोध दर्ज करने का सभ्य तरीका भी होता है और असभ्य भी। दाल घोटाले को लेकर क्या सरकार व मंत्री को नहीं घेरा ।टेलीफोन कांड पर सरकार की प्रशंसा थोड़े ही कर रहे है। हम किसी दल के बी पार्टी नहीं है।
मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे है। भाजपा ने चार्जशीट सौंपी है। हिलोपा का क्या स्टैंड है?
क्या मैं उनकी तरह नारेबाजी करता।क्या मैं भी वक्कामूला के नारे लगाऊं। मेरे लिए दोनों एक बराबर है कांग्रेस गलत करेगी तो उनका विरोध करूंगा ।वर्तमान में सरकार ने जो कदम उठाए हैं मैं उनसे संतुष्ट नहीं हूं। मेरा काम सरकारको घेरना है उसे फ्री छोड़ने का नहीं है। जैसा भाजपा ने सदन से बाहर रहकर किया।
आप एचपीसीए को लेकर विरोध में है।।लेकिन बेटा एचपीसीए में है।।तो क्या बाहर कुछ और भीतर कुछ है।ऐसा है क्या?
हम क्रिकेटे विरोधी नहीं है। खेल जगत स्थान बनाना गलत नहीं । लेकिन उसकी आड़ में हर कुछ करना अचछी बात नहीं है। सरकारी भवन गिरा देना गलत है। क्या एचपीसीए के नाम पर जंगल काटेंगे।
इन सब बातों पर एचपीसीए में विरोध सामने नहीं आया है?
पिता हिलोपा है व बेटा एचपीसीए का का सदस्य है ,पदाधिकारी है।अगर कुछ गलत करेगा तो दोष उसका होगा। वो भुगतेगा, मैं थोड़े ही न भुगतुंगा। वो अब एडल्ट है, वो बच्चा नहीं ।राजमाता सिंधिया किस पार्टीमें थे माधव सिंधिया किस पार्टी में थे क्या वो मां -पुत्र नहीं थी।पति-पत्नी अलग अलग पार्टी में हो सकते है तो पुत्र -पिता क्यों नहीं हो सकते।
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