शिमला।हाईकोर्ट के आदेशों पर गठित वीपी मोहन कमेटी की रिपोर्ट ने जिला सोलन के बागा में लगाई सीमेंट फैक्टरी से हुई तबाही की परतें उघाड़ के रख दी है। यही नहीं इस रिपोर्ट ने पद्रेश सरकार के विभिन्न संबधित विभागों के अफसरों के कारनामों की कलई भी खोल दी है। दो वॉल्यूम में तैयार इस रिपोर्ट में साफ लिखा गया है कि इस मामले में प्रदेश की मॉनिटरिंग एजेंसियां मॉनिटरिंग करने में पूरी तरह से विफल रही है।यही नहीं सुरक्षा के लिए जो कदम उठाए जाने चाहिए थे वो केवल पेपरों पर उठाए गए हैं साइट पर कुछ नहीं हुआ ।अगर एजेंसियों ने कानून का उल्ल्ंघन नहीं करने दिया होता तो ये प्रलय नहीं हुआ होता।
रिपोर्ट में किया गया ये खुलासा पब्लिक ट्रेजरी से वेतन पाने वाले विभिन्न संबधित विभागों के प्रिंसिपल सेक्रेटरी स्तर के अफसरों से लेकर एसडीएम तक की पूरी मशीनरी पर तल्ख टिप्पणी है। कई अधिकारियों ने जो तबाही की रिपोर्ट दी है उनमें जमकर कलाबाजियां दिखाई है। इसका खुलासा भी वीपी मोहन रिपोर्ट में हो गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आठ लाख क्यूबिक मीटर मलवे को हटाना असंभव है अगर इसे हटाकर कहीं और फेंका जाता है तो ढुलाई के दौरान नुकसान ही होगा। ये मलवा दो किलोमीटर तक सरकारी और निजी संपति पर फैला हुआ है।रिपोर्ट में कहा गया है कि भलग नाले के दोनों किनारों पर कमेटी के सदस्यों ने मलवा ही मलवा देखा।अंदाजा लगाया जा सकता है किस लेवल की तबाही मचाई गई है । हैरानी है कि सरकार में किसी को कुछ नजर नहीं आया।अगर नजर आया तो प्लांट के मालिकों के खिलाफ एुफआईआर कहां है।जबकि मलवे को लेकर जय प्रकाश गौड़ और मनोज गौड़ स्थानीय लोगों से बातचीत करते रहे है और जिस जमीन पर मलवा डंप किया गया उसे कंपनी को देने के लिए कहते रहे है।सलाखों के पीछे क्यों नहीं हुए इस सवाल का जवाब स्थानीय लोगों को नहीं मिल रहा जबकि इंवारनमेंट क्लीयरेंस की शर्तों का उल्ल्ंघन सरेआम हुआ है।
रिपोर्ट में लिखा गया है कंपनी ने 28 डिग्री से ज्यादा की ढलान पर गैर कानूनी तरीके से मलवा डंप कर दिया। फोटोग्राफ सब कुछ बयां करते है।बताते है कि ये मलवा 60 से 75 डिग्री की ढलान से नीचे गिराया गया है।इस तरह लगातार कानून का उल्लंघन किया जाता रहा।मलवे के प्रबंधन के लिए जो इंजीनियरिंग सेफगाडर्स लिए जाने चाहिए थे, नहीं लिए गए।डाइक बनाने का काम अब चल रहा है।स्थानीय लोगों के मुताबिक वीपी मोहन कमेटी के सदस्य पीडब्ल्यू डी के चीफ इंजीनियर एस के शारदा ने कंपनी के इंजीनियरों को मौके पर बताया कि मलवा रोकने के इंतजाम कैसे होने है।
जाहिर है बिना राजनीतिक प्रश्रय के ये तबाही जेपी जैसे कारपोरेट के लिए संभव नहीं हुई होगी। तभी ये प्लांट बंद नहीं हुआ। हालांकि प्रदेश हाईकोर्ट ने कंपनी को साफ आदेश दिए थे कि उसने रिस्टोरेशन का काम पूरा नहीं किया तो प्लांट को बंद कर दिया जाएगा। इसके बाद जेपी ने काम शुरू किया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इंवायरनमेंट क्लीयरेंस के प्रावधानों को बार-बार उल्लंघन कर मलवा नीचे फेंका गया।उल्लंघन ही नहीं ये मलवा अवैज्ञानिक तरीके,लापरवाही और बहुत बुरे तरीके से डंप किया गया। ये सिलसिला 2006 से जारी रहा है।
रिपोर्ट में ये खुलासा प्रदेश की पूर्व धूमल सरकार और उसके बाद सत्ता में रही वीरभद्र सिंह की सरकार की कारगुजारियों का भंडा फोड़ देती है। याद रहे कि जेपी कंपनी के कर्ताधर्ता धूमल व उनके लाडलों के साथ पब्लिकली देखें जाते रहें है तो वीरभद्र के लाडले अफसरों ने तो पहले सरकारी नौकरी में जेपी का साथ दिया और उसके बाद अब जेपी में नौकरी कर मौज उड़ा रहे है।
मजाठल वाइल्ड लाइफ सैंकच्यूरी के कुछ एरिया इस आईएएस अफसर ने पावर्स न होते हुए भी सेंक्चूयरी से बाहर कर दिया था। अब ये बंदा जेपी में नौकरी में है। ये खुलासा वीपी मोहन रिपोर्ट में तो है ही लेकिन स्थानीय लोगों ने तो कई साल पहले की सरकार को चिटठी लिख कर बता दिया था कि ऐसा होने वाला है।
बाद में स्थानीय लोगों की बात सही निकली। अब मोहर वीपी मोहन कमेटी ने भी लगा दी है।ऐसा नहीं है कि स्थानीय लोगों ने आवाज नहीं उठाई हो। कानून के उल्लंघन की ऐसी कोई भी कारगुजारी नहीं बची होगी जो इन लोगों ने धूमल,वीरभद्र और उनके अफसरों की फौज तक लिखित में न पहुंचाई हो।पर उल्लंघनकर्ता हर बार बचाया जाता रहा।
पर्यावरण को लेकर हुई जनसुनवाई का भंडाफोड़ तो विधानसभा में पूर्व मंत्री कुलदीप कुमार ने कर रखा है। इस जन सुनवाई को लेकर पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के तत्कालीन मेंबर सेक्रेटरी ने कहा है कि ये जन सुनवाई हो चुकी है।जबकि मंत्री ने विधानसभा में कहा था कि जन सुनवाई नहीं हुई है। किसने सच बोला ये तय नहीं हो पा रहा है। पर स्थानीय लोगों को तो सब पता है।इस पब्लिक हियरिंग को कोर्ट में चैलेंज किया जा चुका है। फैसला आना है।
तबाही का आलम इसी से लगाया जा सकता है कि जनवरी 2012 में हाईकोर्ट ने आदेश दिए थे कि मानसून से पहले बहुत से कामों को पूरा कर दिया जाए। लेकिन ये रिस्टोरेशन का काम आज भी जारी है और पूरा नहीं हुआ है। हाईकोर्ट में जेपी कंपनी खुद मानती आई है कि उसे रिस्टोरेशन का काम पूरा करने के लिए और समय चाहिए।अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस खरबों रुपयों के कारपोरेट घराने ने क्या क्या कारगुजारिया दिखाई है।
गांव समत्याड़ी के भागचंद जैसे लोग भी है जिनका मकान इस तबाही से आधा बह गया है आधे टूटे मकान में वो आज परिवार समेत रह रहा है।कोई मुआवजा नहीं मिला है । प्रशासन एक साल से खामोश है।
हालांकि राजनीतिक नेताओं की कारगुजारियों को लेकर रिपोर्ट पूरी तरह से खामोश है। यहीं बड़ा सवाल उभर कर सामने आया है कि क्या पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अफसरों समेत विभिन्न विभागों के अधिकारियों की इतनी हिम्मत है कि वो राजनीतिक आकाओं के इशारों के बिना इतनी बड़ी तबाही पर कार्रवाई न करने का कारनामा दिखा दें।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अवैज्ञानिक तरीके से फैंके गए मलवे ने इतनी तबाही मचाई है कि इस मलवे को यहां से पूरी तरह हटाना संभव ही नहीं है।रिस्टोरेशन का बहुत सा काम अभी अधुरा है।इसका खुलासा अभी विभिन्न विभागों की ओर से हाईकोर्ट में दी जाने वाली स्टेटस रिपोर्ट में होना है। स्थानीय लोग बताते है कि शिव मंदिर के पीछे से जाने वाली कूल्हें होनी है।भलग में मंदिर के पीछे पानी के तीन स्रोत है जो अभी खाली होने है।रिचुअल पौंड के के पास 6-7 पानी के स्रोत थे वो खाली हो रहे है।कई घराट दबे पड़े है उनका काम होना है।लोगों के खेत मलवे के ढेरों से अटे पड़े है।नारसिंह मंदिर और बस स्टैंड के आस पास पूरी तरह से मिटटी नहीं हटाई गई है।डाइक काम काम बचा है। अगर समय रहते ये डाइक नहीं लगी तो मलवा फिर तबाही तांडव मचा सकता है।थान देवता के पास बैठने की जगह ठीक नहीं हुई है।
स्थानीय लोग कहते है कि कायदें से कई अधिकारी तो सलाखों के पीछे हो जाने चाहिए थे लेकिन वो मजे कर रहे है।स्थानीय लोग साफ कहते है कि सरकारें या तो डिफंक्ट हो गई है या करप्ट। भरोसा ज्युडिशियल सिस्टम पर ही रहा है ।हाईकोर्ट ने दखल न दिया होता था तबाही न रुकती।
स्थानीय लोगों की ओर से हाईकोर्ट में दायर याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने वन विभाग से प्रिंसिपल चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट के पद से रिटायर आईएफएस अफसर वीपी मोहन,पीडब्ल्यू डी विभाग से चीफ इंजीनियर के पद से रिटायर एस के शारदा और हाईकोर्ट के वकील प्रणीत गुप्ता की तीन सदस्यीय कमेटी गठित की थी।इस कमेटी ने दो वॉल्यूम में जेपी कंपनी के कारनामों का खुलासा किया है।जारी
कैप्शन- तबाही के ये फोटो जेपी की ओर से किए जा रहे रिस्टोरेशन के काम के दौरान लिए गए है।
रिपोर्ट —ओमप्रकाश ठाकुर
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