शिमला। पूर्व धूमल सरकार ने अपने जिन लाडलों को सरकारी नौकरी में लगाया था वो व्हीसल ब्लोअर की खोजबीन में आखिर में मुन्ना भाई निकले है ।धूमल सरकार में लगे इन मुन्ना भाइयों की करतूतों का भंडा वीरभद्र सिंह के लाडले आईएएस और आईपीएस अफसरों ने नहीं बल्कि प्रदेश के पहले व्हीसल ब्लोअर (वीरभद्र सिंह के मुताबिक) व पूर्व कर्मचारी नेता ओपी गोयल ने आरटीआई के जरिए फोड़ा है। उन्होंने सारे कांड से पर्दा उठाकर सारे कागजात वीरभद्र सिंह के लाडले आईएएस और आईपीएस अफसरों को थमा दिए है ताकि वो पब्लिक खजाने में मुन्ना भाइयों की ओर से लगाई जा रही सेंध को रोक सके।
ये अर्जी 22 तारीख को एडीजीपी विजीलेंस के पास पहुंचा दी गई है ताकि विजीलेंस और सरकार भी इन कागजातों की तस्दीक करा लें। मामला हिमाचल प्रदेश टूरिज्म विकास निगम है।जहां धूमल सरकार में तीन सहायक मैनेजरों को भर्ती करने के लिए लिमिटेड डायरेक्ट रिक्रूटमेंट कोटा स्कीम ईजाद की गई ।पर्यटन निगम में अफसरों के काले कारनामों को व्हीसल ब्लोअर ओपी गोयल बरसों से उजागर करते रहे है। लेकिन अफसरों का बाल भी बांका नहीं हुआ है। इन मुन्ना भाइयों को भी नौकरियां सरकार में उंचे पदों पर बैठे आईएएस अफसरों ने ही दी है, लेकिन ऐसे अफसरों के प्रति प्रदेश के भाजपा व कांग्रेस के नेताओं जिनमें पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल व मौजूदा मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी शामिल है,का साफ्ट कारनर रहा है।ये बड़े अफसरों के खिलाफ आरोपों की लंबी फेहरिस्त और उनके खिलाफ कोई एक्शन न लेने की परंपरा साबित करती है।
ओपी गोयल की विजीलेंस के दफ्तर पहुंची तीन चिटिठयों में इन तीन मुन्ना भाइयों की करतूतों का चिटठा है।उन्होंने इन तीनों के खिलाफ विजीलेंस के एडिशनल डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस पृथ्वी राज से एफआईआर दर्ज करने की अर्जी दी है।जबकि राज्यपाल उर्मिल सिंह व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से इन तीनों को नौकरी से हटाने की मांग की है।
विजीलेंस दफ्तर पहुंची गोयल की पहली चिटठी में धूमल सरकार में लगे इन तीनों सहायक मैनेजरों में से पहली चिटठी निगम के ही पूर्व अफसर बलदेव कंवर के बेटे दीपक कंवर के खिलाफ है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के केंद्रीय मंत्री रहते जब चंडीगढ़ के हिमाचल भवन में उनकी जासूसी करने का कांड उछला था तो बलदेव कंवर उस समय वहां के कर्ताधर्ता हुआ करते थे।
गोयल ने आरटीआई के जरिए खोजबीन कर एडीजीपी विजीलेंस को भेजी चिटठी में कहा है कि होटल किन्नर कैलाश कल्पा में बतौर सहायक मैनेजर तैनात दीपक कंवर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। दीपक कंवर ने 5 मई 2010 को पर्यटन निगम के मुख्यालय शिमला में इंटरव्यू दिया ।लिखित परीक्षा में 174 युवाओं में 84 अंक लेकर टॉपर रहा। जबकि इंटरव्यू में 12.25 अंक हासिल किए। दीपक कंवर को जून 2010 को 14590 रुपए फिक्स व 3800 रुपए ग्रेड पे देकर कांट्रेक्ट पर लगा दिया।इसके बाद कंवर ने 21 अप्रैल2011 को एलडीआर कोटे में नियमित नियुक्ति के लिए आवेदन कर दिया। कंवर 30 में से 19.6 अंक लेकर यहां भी टॉपर रहा और सितंबर2011 में दीपक कंवर को नियमित तौर पर सहायक मैनेजर लगा दिया।यहां उल्लेखनीय है कि कांट्रेक्ट के मुलाजमों को कम से कम छह व आठ साल की नौकरी के बाद नियमित किया जाता है।लेकिन यहां महज एक साल के भीतर कांड कर दिया। विजीलेंस मुख्यालय में एफआईआर के लिए पहुंची गोयल की चिटठी में कहा गया है कि दीपक कंवर ने नेशनल काउंसिल फार होटल मैनेजमेंट एंड केटरिंग टैक्नालाॅजी,ए-34,सेक्टर 262 नोएडा से हास्पिटालिटी एंड होटल एडमिनिस्ट्रेशन में बीएससी की डिग्री इंटरव्यू के वक्त दिखाई व निगम में भी जमा कराई है।ये डिग्री जाली है।
चिटठी व आरटीआई के जरिए मिले कागजातों के मुताबिक इस डिग्री के रोलनंबर 010612 के तहत पहले साल के स्मेस्टर की अंकतालिका में 713 अंक अंकित है। जबकि आरटीआई के तहत राष्ट्रीय होटल प्रबंध और केटरिंग तकनालॉजी परिषद से मिली जानकारी के मुताबिक दीपक के 626 अंक है। ये दोनों आपस में मेल नहीं खा रहे है।
निगम के कार्यालय में जमा कराए फाइनल ईयर की अंकतालिका में इसने 658 अंक लिए है और कुल 3650 अंकों में 2063 अंक लेकर डिग्र पूरी कर ली । लेकिन एनसीएचएमसीटी 2006 की रिजल्टशीट के मुताबिक दीपक कंवर का रिजल्ट मालप्रैक्टिस केस के तहत विदहेल्ड कर लिया गया था।आरटीआई के जरिए जब एनसीएचएमसीटी से 2014 को इसकी डिग्री के स्टेटस के बारे में जानकारी मांगी गई तो ये जानकारी चौंकाने वाली थी। इस संस्थान ने कहा कि इस रोलनंबर के तहत डिग्री कर रहे दीपक कंवर ने अपनी डिग्री पूरी ही नहीं की और वो पढ़ाई बीच में ही छोड़ कर चला गया। शिकायत में ये भी कहा गया है कि इग्नू की जो डिग्री निगम कार्यालय में जमा कराई गई है उसमें एनरोलमेंट नंबर 027531560 दर्शाया गया है जबकि रिजल्ट शीट में ये 027532615 है।
उधर,इस मामले पर जब होटल किन्नर कैलाश कल्पा में तैनात दीपक कंवर से मोबाइल नंबर 7831001169 पर बात की गई तो उसने दीपक ने कहा कि निगम प्रबंधन की ओर से अभी तक उनके पास इस तरह की कोई सूचना नहीं मिली है ।लेकिन बाहर- बाहर से सूना जरूर है कि कोई शिकायत हुई। इस सहायक मैनेजर दावा किया कि उसकी डिग्री सही है व नौकरी करते हुए पांच साल हो गए है।।इससे पहले भी उनकी शिकायतें हुई थी। वो तो कोर्ट के आदेशों से लगे है ।लोग तो शिकायत करते ही रहते है। उधर,विजीलेंस थाना खलीनी से कहा गया कि उनके थाने में अभी तक इस तरह के किसी मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है।एडीजीपी विजीलेंस पृथ्वी राज के बारे में उनके कार्यालय से कहा गया कि वो बाहर है।उधर पर्यटन निगम के उपाध्यक्ष हरीश जनारथा ने कहा कि वो भी रोहड़ू में है।
दूसरे सहायक मैनेजर का कारनामा
धूमल सरकार के कार्याकाल में ही दीपक कंवर के साथ रविंद्र कुमार पुत्र एच आर संधू भी सहायक मैनेजर लगाया गया।व्हीसल ब्लोअर गोयल ने इसके खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। इसने निगम के कार्यालय में एनसीएचएमसीटी की हास्पिटैलिटी एंड होटल एडमिनिस्ट्रेशन की जमा कराई बीएससी की डिग्री के मुताबिक इसने पहले साल में रोलनंबर 042703 के तहत 743 और दूसरे स्मेसटर में रिअपीयर के तहत 648 अंक हासिल किए है। ये स्मेस्टर इसने 2005-06 व 2006-07 में पास किए है।ऐसा नौकरी के वक्त निगम कार्यालय में जमा कराई प्रमाणपत्रों में दर्शाया गया है। निगम कार्यालय में लगे प्रमाणपत्रों के मुताबिक इसने बीएससी की डिग्री 2007 में पूरी कर ली है।लेकिन एनसीएचएमसीटी ने आरटीआई के तहत जो जानकारी मुहैया कराई है वो चौंकाने वाली है। एनसीएचएमसीटी के दस्तावेजों के मुताबिक रविंद्र ने दिसबंर 2008 में अपनी डिग्री पूरी की है ।ऐसे में ये 2007 की डिग्री कहां से ले आया। डिग्री तो जिस साल फाइनल ईयर पासहोता है उसी साल मिलती है।इन दस्तावेजों के मुताबिक इसने फाइनल ईयर की परीक्षा रोलनबंर 044464667के तहत जून 2007 में दी और ये फेल हो गया।इसने रिअपीयर की परीक्षा जून 2008 में दी और इसे कंपार्टमेंट आ गई। इसने फाइनल ईयर दिसबंर 2008 में पास किया।इसने निगम कार्यालय में 31 अगस्त 2007 को प्रदान की गई डिग्री जमा करा रखी है। रविंद्र कुमार का पक्ष जानने के लिए उससे संपर्क नहीं हो पाया है।
तीसरे सहायक मैनेजर पर मेहरबानी
तीसरा सहायक मैनेजर संदीप कुमार है। ये पर्यटन निगम में कांट्रक्ट पर सौ रुपए दिहाड़ी पर 2000 में यूटिलिटी वर्कर लगा था।फरवरी 2007 में इसे नौकरी से गैरहाजिर रहने पर सीनियर मैनेजर हिमाचल भवन चंडीगढ़ ने टर्मिनेट कर दिया था। लेकिन नेताओं की मेहरबानी पर इसे दोबारा मार्च 2007में नौकरी पर लगा दिया। इसके बाद इसे दस हजार की फिक्स तनख्वाह और एक हजार ट्रैवलिंग खर्च देकर 10 अप्रैल2007 में ट्रेनी असिस्टेंट मैनेजर बना दिया।चिटठी में कहा है कि ये बैक डोर एंट्री का कांड है।यही नहीं इसकी एमबीए की डिग्री हिमाचल यूनिवर्सिटी से इक्विटेड नहीं है।इसने ये डिग्री इंस्टीट़यूट ऑफ एडवांस स्टडी इन एजुकेशन डीम्ड यूनिवर्सिटी,गांधी विदया मंदिर,सरदारशहर राजस्थान से की है। गोयल ने हिमाचल यूनिवर्सिटी से इस डिग्री की समकक्षता को लेकर पूछा तो रजिस्ट्रार एचपीयू ने लिखितमें दिया की ये डिग्री एचपीयू की एमबीए की डिग्री के समकक्ष नहीं है।
गोयल ने लिखा है कि सर्विस कमेटी ने इसकी डिग्री की समकक्षता को को लेकर कोई सवाल नहीं उठाया नहीं जबकि इसी पद के लिए एक और कैडिंडेट अंकुश सूद का रिजल्ट इसलिए रोक लिया कि वो पहले अपने डिग्री की समकक्षता को क्लीयर करके आए। सूत्र बताते है कि अंकुश सूद हाईकोर्ट के किसी के जज के करीबी थे और इस पद के लिए कंडकट कराई गई परीक्ष और इंटरव्यू में उनके अंक ज्यादा थे। चूंकि उनकी राजनीतिक पहुंच नहीं थी तो उन्हें बाहर कर दिया गया।अब इन तीनों मामले में इन तीनों के अलावा जिन संस्थानों की ये डिग्रियां हैं उनके कर्ताधर्ता, नौकरियां देने वाले सारे अफसर और नेता सवालों के घेरे में है।
उधर,ये मामले निगम की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की मीटिंग में भी गूंजा और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह,अतिरिक्त मुख्य सचिव पर्यटन वीसी फारका,निगम के उपाध्यक्ष हरीश जनारथा और एमडी मोहन चौहान के नोटिस में भी है। बग सकी निगाहें इस पर लगी है बेइमानों व भ्रष्टाचारियों के प्रति साफ़ट कार्नर रखने वाली सरकार इस मामले में क्या रुख अपनाती है।या फिर इन मुन्ना भाइयों को इस्तीफा देकर विदेश भागने का मौका दे देती है।इस परभी निगाह रहेगी जिन आईएएसअफसरों ने येकांडकिएहैउनके खिलाफ सरकार क्या करती है।आईएएसआफसरों को ये सरकार एक तरफ प्रॉसिक्यूशन सेंक्शन देती है तो दूसरी ओर प्रमोशन दे देती है।
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