मुंबई। सीबीआई की विशेष अदालत ने गुजरात के गांधीनगर के पास 2005 में हुए सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ मामले में मंगलवार को अमित शाह को क्लीन चिट दे दी। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को अब तक दो मामलों में क्लीन चिट मिल चुकी है।सोहारुबुदीन मामले में उनके भाई रुबाबुदीन ने आरोप लगाया था कि उनके भाई का फर्जी एनकाउंटर में कत्ल किया गयाहै। आज मंगलवार को रुबाबुदीन ने अारोप लगाया कि अमितशाह को मोदी सरकार के दबाव में क्लीन चिट दी गई है।
उधर, कांग्रेस पार्टी ने भी इस मामले में मोदी सरकार पर सीबीआई का बेजा इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है।सोशल मीडिया पर दलीलें दी जा रहीहै किसीबीआई केवकील ने केवल 15 मिनट में दलीलें देकर मामले को निपटा दिया जबकि अमित शाह के वकील ने तीन दिन तक दलीलें दी। साथ ये भी सवाल उठाए जा रहे है कि सीबीआई ने स्पेशल वकील को मामले की पैरवी करने केलिए तैनात नहीं किया। अब इस मामले में हाईकोर्ट में अपवील होगी या नहीं ये तय नहीं है।
अमित शाह को क्लीनचिट देने पर आम आदमी पार्टी के नेता योगेंद्र यादव ने दिल्ली में कहा कि शाह को सीबीआई ने बचाया है।क्लीन चिट मिलने के बाद शाह ने दिल्ली में मीडिया से दूरी बनाए रखी। आम आदमी पार्टी ने बीते सप्ताह भी यही आरोप लगाया था कि सीबीआई अमित शाह को बचा रही है। आज क्लीन चिट मिल गई।
बता दें की अमित शाह को इस मामले में आरोपी बनाया गया था।मामले से बरी किए जाने की याचिका अमित शाह ने इस वर्ष की शुरुआत में यह कहते हुए लगाई थी कि उनके खिलाफ राजनीतिक षड्यंत्र रचा गया है। सुनवाई के लिए यह याचिका इस महीने के मध्य में आई थी। सीबीआई ने आवेदन का यह कहते हुए विरोध किया था कि सोहराबुद्दीन और तुलसी प्रजापति की मुठभेड़ के मामले में शामिल षड्यंत्रकारियों में शाह भी हैं, इसलिए उन्हें बरी नहीं करना चाहिए। इस मामले को गुजरात से मुबंई स्थानांतरित कर दिया गया था।
सीबीआई ने फर्जी मुठभेड़ के दो मामलों में 37 अन्य लोगों के साथ ही कई पुलिस अधिकारियों और शाह के खिलाफ भी चार्जशीट दायर की है, जो मुठभेड़ के वक्त गुजरात के गृहमंत्री थे।
इस मामले में करीब.करीब सभी आरोपियों को बॉम्बे हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है। गुजरात एटीएस ने नवंबर 2005 में गांधीनगर के पास सोहराबुद्दन और उसकी पत्नी कौसर बी को कथिततौर पर मुठभेड़ में मार दिया गया था। इसके बाद 2006 में तुलसी प्रजापति को भी मार दिया गया।
इस मामले में सीबीआई पूरी तरह से कटघरे में खड़ी हो गई है। सीबीआई के निदेशक अनिल सिन्हा ने कहा कि अदालत के आदेश को पढ़ने के बाद ही इस मामले में अपील को लेकर कोई फैसला किया जाएगा। इस मामले में सीबीआई के पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा की भूमिका भी कटघरे में है।
मार्च 2011 को सोहराबुद्दीन और तुलसीराम प्रजापति फर्जी एनकाउंटर केस में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई ने अमित शाह के बारे में कहा था कि वह धमकी और जबर्दस्ती करने वाले गैंग को चलाते हैं। तब सीबीआई ने कहा था कि शाह का गैंग नेताओं,पुलिस और क्रिमिनल का गठजोड़ है। सीबीआई ने तब जस्टिस पी सदाशिवम और जस्टिस बीएस चौहान की बेंच के सामने कहा था कि शाह गुजरात में राजनीति, पुलिस और अपराधी के गठजोड़ से जबरन वसूली और धमकी देने का रैकेट चलाते हैं। तब अमित शाह के वकील राम जेठमलानी ने सीबीआई की इस टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताई थी। उन्होंने कहा था कि यह गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी को टारगेट करने की कोशिश है।
जेठमलानी ने कहा था कि शाह लोकतांत्रित तरीके से चुने गए जनप्रतिनिधि हैं। इस तर्क का विरोध करते हुए सीबीआई की तरफ से सुप्रीम कोर्ट के सीनियर वकील केटीएस तुलसी ने कहा था कि चुने तो कई लोग जाते हैं। उन्होंने कहा था कि चुना जाना अपराधी नहीं होने का सर्टिफिकेट नहीं होता। जेठमलानी ने कहा था कि शाह को राजनीतिक साजिश के तहत फंसाया जा रहा है। उन्होंने कहा था कि इस साजिश को सीबीआई के जरिए सफल बनाया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट तुलसीराम प्रजापति की मां नर्मदा बाई की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। नर्मदा बाई ने इस मामले में सीबीआई जांच मांग की थी। तुलसीराम प्रजापति एनकाउंटर केस के बारे में कहा जाता है कि यह प्रायोजित था और एनकाउंटर महज नाटक था। तब नर्मदा बाई ने सुप्रीम कोर्ट से इस केस को मुंबई ट्रांसफर करने की मांग की थी।सीबीआई के जरिए सफल बनाया जा रहा है।
उधर, आज मंगलबार को मुबंई की सीबीआई की स्पेशल कोर्ट की ओर से उनके खिलाफ चार्ज ड्राप कर देने के बाद मोदी सरकार के सभी मंत्रियों ने सोशल मीडिया टवीटर पर तुरंत प्रतिक्रियाएं दी कि सच्चाई की जीत हुई है और ये साफ हो गया है कि ये मामला राजनीतिक बदले की भावना से बनाया गया था। गृहमंत्री राजनाथ सिंह ,रविशंकर प्रसाद से लेकर राज्यवर्धन राठौर तक इस तरह की प्रतिक्रियाएं देने मेंशामिल है। लेकिन किसी भी मंत्री ने ये नहीं कहा कि कि इस मामले में सरकार हाईकोर्ट में अपील करेगी।
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