शिमला। लोकसभा चुनावों में चारों सीटों पर बड़े अंतराल से बड़ी जीत हासिल करने के बाद अब जयराम सरकार बड़ा स्कैंडल करने की राह पर है। विदेश दौरे के बाद जयराम ठाकुर 17 जून को प्रदेश की राजधानी शिमला में पहुंचने वाले है और 19 तारीख को मंत्रिमंडल की बैठक रखी गई है। जबकि बीस जून को अदाणी पावर की ओर से जंगी थोपन पावर प्रोजेक्ट को हासिल करने की एवज में नीदरलैंड की कंपनी ब्रेकल कारपोरशन एनवी की ओर से अप फ्रंट मनी जमा कराने के मामले की सुनवाई प्रदेश हाईकोर्ट में होनी है। प्रदेश हाईकोर्ट ने महाधिवक्ता के इस बयान के बाद की सरकार इस मामले पर पुनर्विचार करने के लिए इस मंत्रिमंडल में ले जाएगी ,पर सरकार को इसे केबिनेट में ले जाने के आदेश दिए है।
लेकिन इस मामले में जयराम सरकार को गौर करने का मौका नहीं मिला है और एजी को यह आदेश नहीं दिए जा सके है कि कि वह हाईकोर्ट से अपना बयान वापस लें । सरकार हाईकोर्ट में यह कहने जा रही है कि चूंकि मुख्यमत्री व अधिकारी विदेश दौरे पर हैं, ऐसे में इस मामले को केबिनेट में नहीं ले जाया सका है।
याद रहे महाधिवक्ता के हाईकोर्ट में दिए 26 अप्रैल के बयान को लेकर प्रधान सचिव पावर प्रबोध सक्सेना ने सवाल उठाया हुआ है। उन्हें मुख्यमंत्री के फाइल पुटअप कर 27 अप्रैल को ही पूछ दिया था कि उन्होंने अदालत में इस तरह का बयान देने के लिए एजी को कोई निर्देश नहीं दिया है। क्या मुख्यमंत्री ने खुद ऐसे कोई निर्देश दिए है । बताया जा रहा है कि यह फाइल कहीं गायब हो गई है। कम से कम प्रधान सचिव पावर के कार्यालय में तो नहीं पहुंची है। यह गायब हो गई है या गायब कर दी है यह मुख्यमंत्री के विदेश से लौटने के बाद ही पता चलेगा। वह भी तब अगर कोई इसे तलाशने की कोशिश करेगा।
अगर जयराम केबिनेट इस मसले को केबिनेट में ले जाती है तो पिंडारा बॉक्स खुल जाएगा व अदाणी को मामला अदालत में ले जाने का रास्ता मिल जाएगा। समझा जा रहा है कि अदाणी पावर ने अदालती जंग लड़ने के लिए ही ये याचिका अदालत में दायर की है।कायदे से जयराम सरकार को अदालत से इस याचिका को खारिज करने का आग्रह करना चाहिए था। केबिनेट में ले जाने का बयान देने के बजाय तमाम तथ्य सामने लाए जाने चाहिए थे।
960 मेगावाट के जंगी थोपन पावर प्रोजेक्ट में अदाणी पावर का सरकार व इस प्रोजेक्ट से कभी कोई लेना देना नहीं रहा। अदाणी ने ब्रेकल की ओर से अपनी कंपनियों के खातों से सरकार के खातों में 260 करोड़ रुपए अपफ्रंट मनी के जमा कराए थे। 20 करोड़ का जुर्माना अलग से जमा कराया था। चूंकि ब्रेकल ने घपले बाजी की थी तो हाईकोर्ट ने उसे इसका आवंटन रदद कर दिया था व ये अपफ्रंट मनी जब्त हो गया था। सरकार ने ये जब्ती ब्रेकल की ओर से जमा हुई रकम की की थी। ऐसे में अदाणी को यह रकम ब्रेकल से लेनी है न कि सरकार से।
इस बावत 2015 में घपला पूर्व की वीरभद्र सिंह सरकार और उसके नौकरशाह कर गए थे। वीरभद्र जब सीबीआइ के शिकंजे में फंसे थे तो उन्होंने तमाम तथ्यों के सामने होने के बाद इस अपफ्रंट मनी को वापस अदाणी पावर को देने का विादास्पद फैसला लिया था। लेकिन 2017 तक इस पर अमल नहीं हो पाया। 26 अक्तूबर 2017 को आचार संहिता के दौरान एक दिन अचानक वीरभद्र सिंह सरकार ने अदाणी पावर को चिटठी लिख दी कि वह 280 करोड़ रुपए उसे लौटाने के फैसले को लागू करना चाहती है। यह चिटठी किन परिस्थितियों, लालच और दबाव में लिखी गई ये तत्कालीन स्पेशल सचिव अजय शर्मा और तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव पावर तरुण श्रीधर ही बता सकते है। उनसे पूछताछ की जरूरत है। लेकिन फिर अचानक आचार संहिता के दौरान की करीब डेढ महीना बाद 7 दिंसबर2017 को तत्कालीन स्पेशल सचिव पावर अमरजीत सिंह ने अदाणी पावर को चिटठी लिख दी की इस रकम को लौटाने के मामले में चार सितंबर 2015 के फैसले को वापस ले लिया गया है व इस सिलसिले में 26 अक्तूबर 2017 को लिखी चिटठी को वापस लिया समझा जाए।
इसके बाद एक साल बाद अदाणी पावर ने इस रकम को लेकर प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी व ब्रेकल जिसकी ओर से उसने ये अपफ्रंट मनी जमा करासा था को पार्टी ही नहीं बनाया है।
अब जयराम सरकार इस मामले को केबिनेट में ले जा कर एक तरह से अदाणी पावर की मददगार बनने जा रही है। संभवत: 19 जून को जयराम सरकार इस मामले को शायद ही केबिनेट में ले जाए। अब देखना यह है कि सरकार इसे केबिनेट में ले जाती है या इससे पहले वह एजी से पछताछ करती है कि यह बयान अदालत में उन्होंने किसकी ओर से दे दिया। अगर दे दिया है तो उन्होंने इस बयान को बदलने व वापस लेने के लिए अदालत में क्या किया।
लेकिन चूंकि बिजली मंत्री भी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर खुद ही है ऐसे में 26 अप्रैल से लेकर अब तक उन्होंने खुद ही कुछ नहीं किया है तो बाकी अफसर क्या करेंगे। कायदे से तो अदाणी व ब्रेकल के संबंधों की जांच की जानी चाहिए। नीदरलैंड की कंपनी ब्रेकल किसके दम पर खड़ी हो गई और उसने किसके दम पर घपले बाजी की इतना बड़ा प्रोजेक्ट ले लिया। यह भी जानना जरूरी है कि ब्रेकल ने दुनिया में हाइडल पावर में कितना काम किया है।
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