शिमला।हिमाचल प्रदेश विवि के कुलपति ए.डी.एन.वाजपेयी ने कहा है कि प्राचीनकाल से ही भारतवर्ष विश्वगुरू रहा है और विश्वगुरू कहलाने में संस्कृत भाषा का योगदान अग्रणी रहा है। उन्होंने कहा कि देषज ज्ञान को इस प्रकार आम जनता के कल्याण के लिए उपयोग में लाया जाना चाहिए ताकि धन, ऊर्जा और मानव संसाधनों का संवर्धन एवं संरक्षण भी किया जा सके। वे आज विवि में हिमाचल संस्कृत अकादमी द्वारा विवि के साथ संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय वैदिक सम्मेलन के अवसर की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे।
कुलपति ने कहा कि विवि आज भारत की ओर इस दृष्टिकोण से देख रहा है कि वह संस्कृत में निबद्ध वैज्ञानिक ज्ञान को सर्वत्र प्रसारित एवं प्रचारित करे। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिपेक्षय में संस्कृत भाषा के विषयों के चयन संदर्भ में नया दृष्टिकोण अपनाने की आवश्कता है।
इस सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रुप में मुख्य संसदीय सचिव शिक्षा नीरज भारती ने संस्कृत की उपयोगिता और वर्तमान संदर्भ में सरकार की भूमिका रखते हुए कहा कि सभी कक्षाओं में संस्कृत भाषा के अध्ययन से जहां छात्र-छात्राएं संस्कारवान होते हैं वहीं उन्हें भारतीय संस्कृति और परम्परागत पद्धतियों का भी ज्ञान प्राप्त करने का अवसर मिलता है। उन्होंने संस्कृत के समस्त विद्वानों द्वारा रेखांकित दसवीं कक्षा तक संस्कृत की अनिवार्यता,़बारहवीं स्तर तक, संस्कृत महाविद्यालयों की समकक्षता तथा प्राच्य विभाग खोलने की भी वकालत की।
संस्कृत विभागाध्यक्ष आचार्य कौशल्या चैहान ने सभी का आभार व्यक्त किया तथा प्रदेश संस्कृत अकादमी के सचिव डाॅ. मस्त राम शर्मा ने इस वैदिक सम्मेलन के बारे में विस्तृत रूपरेखा प्रस्तुत की।
वैदिक सम्मेलन का द्वितीय सत्र का शुभारम्भ शोध पत्र वाचन के साथ प्रारम्भ हुआ इस सत्र की अध्यक्षता ओम प्रकाश सारस्वत ने की। इस सत्र में चार विद्वानों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। प्रो.विरेन्द्र कुमार मिश्र ने वैदिक साहित्य विज्ञान, वैदिक सवर्णामुपादेयता, वैदिक साहित्य पर्यावरणम् और वैदिक मंत्रेशु विश्व शान्ति डाॅ.भक्त वत्सल ने प्रस्तुत किए। इस सम्मेलन का संचालन विवि माॅडल स्कूल के संस्कृत प्राध्यापक महेश्वर शर्मा ने किया। इस अवसर पर प्रति-कुलपति, कई अधिष्ठाता, विभागायध्यक्ष, शोध केन्द्रों के निदेशक और शोध छात्र उपस्थित थे।
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