शिमला। अरबों रुपए के छात्रवृति घोटाले में बीते रोज सीबीआइ की ओर से गिरफतार किए गए तीनों आरोपियों को राजधानी में स्थित सीबीआइ अदालत ने आठ जनवरी तक सीबीआइ रिमांड पर भेज दिया है।
सीबीआइ ने इन तीनों आरोपियों जिनमें शिक्षा विभाग के अधीक्ष्ज् अरविंद राजटा,के सी ग्रुप्स आफ इंस्टीटयूटस के उपाध्यक्ष हितेश गांधी और सेंट्रल बैंक आफ इंडिया के हैड कैशियर एसपी सिंह को आज सीजेएम परमिंदर सिंह अरोड़ा की अदालत में पेश किया व इनका रिमांड मांगा। इस पर सीजेएम ने तीनों को चार दिन का रिमाड दे दिया। इन्हें अब आठ जनवरी को दोबारा अदालत में पेश किया जाएगा व तब तक सीबीआइ इनसे पूछताछ कर कई राज उगलवाएंगी । इससे पहले सीबीआइ ने आज इनका मेडिकल भी कराया।
सीबीआइ को उम्मीद है कि इन तीनों से पूछताछ के बाद इस मामले में अगली कड़ियां जुड़ती जाएंगी और घोटाले के तौर तरीकों का खुलासा होगा। इससे सीबीआइ को बाकी निजी शिक्षण संस्थानों की ओर से किए घोटाले की पड़ताल करने में मदद मिलेगी।
सीबीआइ प्रवक्ता आर के गौड़ ने कहा कि तीनों आरोपियों को सीबीआइ का रिमांड मिला है और सीबीआइ इनसे कड़ी पूछताछ करेगी।
उधर,सीबीआइ ने इस मामले में अन्य निजी शिक्षण संस्थानों के कर्ताधर्ताओं की गिरफतारी की तैयारी शुरू कर दी है।
इस मामले में अरविंद राजटा मुख्य सूत्रधार है। शिक्षा निदेशालय में वही छात्रवृतियों के मामलों को डील करता था ।
याद रहे कि जयराम सरकार ने इस मामले में पहले विभाग के अधिकारी से जांच करवाई थी। जिसमें कई कुछ सामने आया था। इस जांच से पता चला था कि दर्जनों निजी शिक्षण संस्थान छात्रवृति के इस रकम के बूते ही चल रहे थे।
चूंकि घोटालेबाजों का जाल अन्य राज्यों में भी फैला हुआ था सो सरकार ने इसे सीबीआइ को भेज दिया। लेकिन सीबीआइ ने राज्य सरकार को कहा था कि वह पहले इस मामले की पुलिस से प्रारंभिक जांच कराकर एफआइआर दर्ज कराएं । उसके बाद मामला सीबीआइ को भेजे। इस पर छोटा शिमला थाने में इस मामले में एफआइआर दर्ज हुई उसके बाद मामला सीबीआइ को भेजा गया।
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