शिमला। हिमाचल विधानसभा के सदन में सरकार का पलड़ा झुकता देख मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह सदन में पहुंचे व नेता प्रतिपक्ष व उनमें उदघाटन व शिलान्यास के मसले पर जमकर नोकझोंक हुई। हालांकि मामला बेहद छोटा था लेकिन नौबत विधानसभा सदस्यों की कमेटी बनाकर जांच कराने तक पहुंच गई।मुख्यमंत्री वीरभद्रसिंह प्रश्नकाल के दौरान सदन में नहीं आए।उनके विभाग का कोई प्रश्न लगा भीनहीं था। बाद चर्चा शुरू हुई और भाजपा विधायक रविंद्र रवि ने उनके भ्रष्टाचार के मसलों को भी उठाया लेकिन उनका तुरंत जवाब देने वाला कोई नहीं था। मंत्रिमंडल के मंत्री भी चुपचाप सुनते रहे।
नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल व सदन के नेता वीरभद्र सिंह इस बात पर भिड़ गए कि सिंचाई विभाग की बमसन लगावटी स्कीम शिलान्यास व उदघाटन किसने किया था।
सदन के नेता वीरभद्र सिंह ने दावा किया कि उन्होंने शिलान्यास किया था जबकि धूमल बोले की शिलान्यास उन्होंने किया था व उदघाटन वीरभद्र सिंह ने किया।
छठी बार मुख्यमंत्री बने वीरभद्र सिंह व दो बार मुख्यमंत्री रह चुके प्रेम कुमार धूमल इस मामले पर ही सदन में भिड़ते रहे।
धूमल ने कहा कि सीएम को याद नहीं रहता । उनको ये भी नहीं पता कि उन्होंने क्या किया था। मुख्यमंत्री बोले उन्होंने शिलान्यास किया था और जब धूमल सरकार सता में आई तो सरकार ने उनके शिलान्यास के पत्थर को धार पर दो टैंकों के बीच रख दिया।
वीरभद्र सिंह ने स्पीकर से कहा कि इस मामले की जांच हो जाए। इस पर धूमल बोले ठीक हैं जांच हो जानी चाहिए।
विधानसभा सदस्यों की कमेटी बनाकर जांच की जाए। बहरहाल इस मसले पर देर तक नोकझोंक होती रही। लेकिन कोई जांच कमेटी नहीं बनी।
ये मामला तब उभरा जब राज्यपाल के अभिभाषण पर शुरू हुई चर्चा पर कांग्रेस विधायक नंदलाल सरकार की ओर से कराए कामों को सदन में गिना रहे थे। उन्होंने कहा कि बीजेपी के समय रामपुर में काम नहीं हुए थे। इस पर धूमल ने दखल दिया व कई काम गिना दिए। इसी बीच मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह भी सदन में पहुंच गए।
इससे पहले आज चर्चा को शुरू करते हुए भाजपा विधायक रविंद्र रवि ने मुख्यमंत्री की गैरमौजूदगी में मुख्यमंत्री की ओर से कांगड़ा दौरे के दौरान रवि के खिलाफ की गई टिप्पणियों को लेकर सीएम पर कई टिप्पणियां की । वीरभद्र सिंह ने रविंद्र रवि को लेकर कहा था कि वो अंडरगारमेंट का कारोबार करते थे।
इस पर रविंद्र रवि ने कहा कि वो ईमानदारी का काम करते थे। उनके पीछे सीबीआई व इडी नहीं पड़ी हैं और न हीं उनके यहां छापे पड़े हैं। जिस तरह वीरभद्र सिंह के सेब राम से परवाणू के लिए स्कूटर पर ले जाए गए थे उस तरह वो सामान नहीं लाते थे।
उन्होंने शिलाई व देहरा के सप्रु गांवों से लोगों के पलायन का मसला भी उठाया और सेंट्रल यूनिवर्सिटी के लिए जमीन की निशानदेही न करने का इल्जाम सरकार पर जड़ा।
उनके बाद रामपुर से कांगेस विधायक नंदलाल ने चर्चा में भाग लिया और सरकार की उपलब्धियां गिनाई।
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