शिमला । हिमाचल प्रदेश बागवानी उत्पाद विपणन एवं प्रसंस्करण निगम लिमिटेड (एचपीएमसी) प्रदेश में बागवानी क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ा है। प्रदेश में बागवानी उत्पादों के रखरखाव में यह महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है, जिसके कारण न केवल बागवानों को उनके उत्पादों की बेहतर कीमत मिल रही है, बल्कि प्रदेश की आर्थिकी भी सुदृढ़ हो रही है। बदलते परिवेश तथा उपभोक्ताओं की ताज़ा उत्पादों की मांग के चलते एचपीएमसी तेज़ी के साथ बागवानों और सरकार की दृष्टि से महत्वपूर्ण बना है।
राज्य सरकार के प्रयासों के कारण निगम आर्थिक रूप से वित्त वर्ष 2014-15 के दौरान आर्थिक रूप से सुदृढ़ हुआ है तथा इस दौरान 9000 लाख रुपये के विक्रय का लक्ष्य प्राप्त किया। इसके अतिरिक्त पिछले वर्ष के मुकाबले कुल विक्रय 3235.55 लाख से बढ़कर 6286.94 लाख रुपये रहा। निगम ने मंडी मध्यस्थता योजना के अंतर्गत खरीदे गए वर्ष 2013-14 में 18889.548 मीट्रिक टन तथा और 2014-15 में 7000.938 मीट्रिक टन सेब को पहली बार सप्वायल फ्री परिवहन सुविधा प्रदान की। इन दो वर्षों में निगम ने 840.30 मीट्रिक टन और 527.04 मीट्रिक टन कंस्ट्रेट सेब का जूस भी तैयार किया, जो मार्च 2014 तक 4.0 लाख टैट्रा पैक जूस ट्रे के माध्यम से बेचा गया और 31 अक्तूबर, 2014 तक निगम ने 3.64 लाख एप्पल जूस ट्रे का विक्रय किया।
बाज़ार की मांग व उपभोक्ताओं की पसंद के मद्देनज़र निगम ने पैट बोतल में 300 व 500 मिलीलिटर जूस/ड्रिंक प्रारंभ में वर्ष 2013 के दौरान विजयवाड़ा तथा आंध्र प्रदेश के चितौड़ में तैयार किया गया। बाज़ार में अच्छे परिणाम आने के उपरांत इस उत्पाद को उत्तरी भारत में भी तैयार किया गया। निगम ने 2014 के दौरान 148.87 लाख रुपये की 3.50 लाख बोतलें बेची, जबकि वर्ष 2013-14 में 54 लाख रुपये की 2.40 लाख बोतलों का विक्रय किया गया।
यह उत्पाद देश भर में उपभोक्ताओं के बीच बहुत लोकप्रिय हो रहा है। प्रदेश के किसानों को अति नवीनतम सेब पैकिंग/ग्रेडिंग सुविधा प्रदान करने के लिए निगम ने भारत सरकार के एपिडा वित्तीय सहायता प्राप्त कर शिमला जि़ला के गुम्मा, ओडी और जरोल-टिक्कर तथा कुल्लू जि़ला के पतली कूहल में चार उच्च तकनीक वाली कम्प्यूटराइज़ड पैकिंग ग्रेडिंग इकाईयां स्थापित की गई हैं, जबकि गुम्मा व जरोल-टिक्कर में नियंत्रित वातावरण भंडारण सुविधा भी उपलब्ध करवाई गई है। किसानों को पर्याप्त भंडारण ग्रेडिंग सुविधा उपलब्ध करवाने के साथ निगम ने निजी पार्टियों को लीज पर ये सुविधाएं प्रदान की, जिससे वर्ष 2013-14 में 80.00 लाख मुकाबले इस वर्ष 150.00 लाख रुपये का राजस्व अर्जित हुआ।
सेब सीज़न के मध्य में सेब की कीमतों में कमी रोकने के लिए निगम ने 35 हजार पेटियों के अतिरिक्त भंडारण क्षमता का सृजन किया गया और रोहड़ू, जाबली तथा ओडी में शीत भंडारों की मुरम्मत कर उन्हें उपयोग के लिए तैयार किया। किसान अपने फलों के भंडारण की सुविधा से भारी संख्या में लाभान्वित हो रहे हैं और अपने उत्पादों को उस समय बेच रहे है, जब बाज़ार में इनकी अधिक मांग वह कीमत होती है, जिससे जहां उनको आर्थिक लाभ हो रहा है, वहीं निगम को भी अतिरिक्त राजस्व अर्जित हो रहा है।
मुम्बई शीत भंडार जो पिछले कुछ समय से घाटे में चल रहा था, में निगम ने गत पांच वर्षों में 117 लाख, 132.21 लाख, 149.40 लाख, 169.57 लाख और 19331 लाख रुपये का वार्षिक राजस्व प्राप्त किया।
किसानों को लाभान्वित करने के लिए निगम ने छोटे तथा मंझोले ज़रूरतमंद किसानों को सेब कार्टन/ट्रे उपलब्ध करवाने के लिए नई योजना आरंभ की, जिससे उन्हें उचित दामों पर बाज़ार से उचित दामों पर उपलब्ध होंगे। बागवान इसकी अदायगी मंडी मध्यस्थता योजना के अंतर्गत भविष्य में बेची जाने वाले सेब से करेंगे। इस योजना के अंतर्गत निगम ने वर्ष 2013-14 में 5.5 लाख कार्टन की आपूर्ति/विक्रय किया, जबकि 31 अक्तूबर, 2014 तक 7.74 लाख रुपये के कार्टन की आर्पूति/क्रय किए गए।
एचपीएमसी बागवानों को ट्री स्प्रे आॅयल उपलब्ध करवाने वाला मुख्य आपूर्तिकत्र्ता है और प्रदेश के किसानों की ज़रूरतों को पूरा कर रहा है। वर्ष 2013-14 के दौरान निगम ने 1050.17 लाख रुपये के उत्पादों की आपूर्ति व विक्रय किया।
निगम ने परवाणू प्रसंस्करण उद्योग को स्तरोन्नत करने के लिए एपिडा से 1250 लाख रुपये की वित्तीय सहायता लेकर इस उद्योग की उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी की। सीए भंडारों के प्रति किसानों के बेहतर रूझान होने और निजी पार्टियों के इस ओर आकर्षित होने से निगम ने अपने शिमला जि़ला के रोहड़ू, ओडी तथा कुल्लू के पतली कूहल स्थित शीत भंडारों को नियंत्रित वातावरण भंडारों में बदलने का निर्णय लिया है, जो वर्ष 2015 के सेब सीजन तक तैयार हो जाएंगे। इससे जहां किसानों को लाभ होगा, वहीं एचपीएमसी को भी अपना राजस्व बढ़ाने में सहायता मिलेगी।
एचपीएमसी ने अपनी गतिविधियों में विविधता लाते हुए सब्जी उत्पादन तथा आधुनिक फल एवं सब्जी पैक हाऊस को कोल्ड रूम से जोड़ा है और 4800 मीट्रिक टन की शीत सुविधा की पैकिंग/ग्रेडिंग स्थापित की जा रही है, जिस पर लगभग 353 लाख रुपये का खर्च होगा, जिसका वित्त पोषण एपिडा करेगी। यह इकाई हमीरपुर जिला के नदौन में स्थापित करने की योजना है, जिसके लिए भूमि का अधिग्रहण कर लिया गया है। इसी तरह, 4.35 लाख रुपये की लागत से बिलासपुर जिला के घुमारवीं में भी एक इकाई स्थापित की जाएगी।गम ने किनौर जि़ला के रिकांगपिओ में भी आधुनिक सेब पैकिंग इकाई स्थापित करने जा रहा है, जो अगले सेब सीजन तक कार्य आरंभ कर देगी।
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