शिमला। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के लाडले पुत्र व भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर की एचपीसीए की ओर से कराए गए आईपीएल व वन डे मैचों की सुरक्षा पर हिमाचल की जनता का खजाना धूमल ही नहीं वीरभद्र सिंह ने भी जी भर कर उंढेला है।धूमल के राज में 3 करोड़ 45 लाख17हजार 567 तो वीरभद्र सिंह के राज में 3 करोड़4 लाख58 हजार 78 रुपए सुरक्षा पर खर्च किए गए। इस
तरह एक नेता के लाडले को कद आसमान तक ले जाने के लिए उसकी एचपीसीए से कराए गए मैचों की सुरक्षा पर कुल 6 करोड़ 49 लाख 75 हजारहजार645 रुपए जनता के खजाने से खर्च कर दिए। हाईकोर्ट में धर्मशाला के वकील विनय शर्मा की ओर से दायर की गई याचिका के जवाब में वीरभद्र सिंह सरकार के लाडले अफसरों ने अपने जवाब में ये खुलासा किया है। साथ ही कहा है कि सुरक्षा की जिम्मेदारी स्टेट की होती है और वएचपीसीए से वसूली करनी थी इस बारे कोई नीति ही नहीं थी।
इस जवाब ने बड़ा सवाल उठा दिया है कि नीति किसने बनानी थी। धूमल सरकार में चीफ सेके्रटरी, स्पोर्ट्स सेक्रेटरी, होम सेक्रेटरी व डीजीपी क्या करते रहे तब स्पोर्ट्स सेक्रेटरी वी सी फारखा थे । फाइल तो वहीं से मूव होनी थी। जो नहीं हुई।सरकारी खजाने का नुकसान पहुंचाने के लिए जिन अफसरों पर केस चलना चाहिए था तो वो तब भी राज कर रहे थे और आज भी राज कर रहे है। माना कि तब धूमल सीएम थे और उनके प्रभाव के आगे कुछ नहीं हुआ होगा।लेकिन जब प्रदेश में वीरभद्र सिंह की सरकार आई तब भी ऐसा ही होता आया।वीरभद्र सिंह सरकार प्रदेश में दिसंबर2012में सता में आ गई थी। तब से लेकर सितंबर2014तक वीरभद्र सिंह सरकार के लाडले अफसर जिनमें सुभाष आहलुवालिया,वी सी फारखा,पी मित्रा,तत्कालीन डीजीपी बी कमल कुमार और मौजूदा डीजीपी संजय कुमार शामिल है, सब सवालों के घेरे में है।बताते है कि धूमल सरकार के समय जब जनता के खजाने से अनुराग ठाकुर कीधमक व एचपीसीए को चमकाने के लिए सुरक्षा पर प्रदेश के जवान ऐसे झोंक दिए जैसे वो मुफ्त मिले हो।
अप्रैल 2010 से लेकरमई2012तक एचपीसीए की ओर से 7आइपीएल मैच हुए थे।इन मैचों की सुरक्षा पर 13अप्रैल से19 19 अप्रैल 2010 तक1336 जवान सुरक्षा पर तैनात किए गए।12मई से22मई 2011 तक 1636 जवान तैनात किए गए। 14मई से 20मई2012तक 1566 जवान तैनात किए गए। इस सुरक्षा की एवज में धूमल सरकार ने एक भी पैसा एचपीसीए से नहीं वसूला।सारा पैसा प्रदेश की जनता की जेब से वसूला गया। धूमल के इस लाडले ने स्टेडियम के लिए जमीन एक रुपए लीज पर ली। कांग्रेस व भाजपा सांसदों की सांसद निधि़ से लाखों रुपया पैसा वसूला और स्टेडियम खड़ा हो जाने पर मैच करवा दिए तो सुरक्षा का पैसा भी जनता से वसूला।
ये सब तो धूमल के राज मेंहुआ था । प्रदेश में सता बदली और वीरभद्र सिंह सिंहासन पर बैठे तो भी कहीं कुछ नहीं बदला।वीरभद्र सिंह के राज में एचपीसीए ने 13 मईसे18मई2013 तक दो आईपीएल मैच करावाए।जिसमें सुरक्षा पर 1566 जवान तैनात किए गए।खर्चा आया1करोड़34 लाख 4 हजार 630 रुपए।इस खर्चे को वसूलने को वीरभद्र राज में भी फाइल मूव नहीं हुई।फाइल या तो सेक्रटरी स्पोर्ट्स वीसी फारखा ने मूव करनी थी या फिर सेक्रेटरी होम ने।कुछ भूमिका डीजीपी की भी थी। लेकिन कहीं कुछ नहीं हुआ।वीरभद्र सिंह भी बाहर हल्ला मचाते हुए राजनीति करते रहे लेकिन अंदर ही अंदर अपने राजनीतिक सखा धूमल से यारी का खाना भी खुला रखते रहे। हालांकि एचपीसीए ने आरोप लगाया है कि आईपीएल की फ्रैंचाइजी लेने वालों ने वीरभद्र सिंह के लाडले विक्रमादित्य सिंह की एनजीओ को भी डोनेशन दी है।इसलिए फ्रैंचाइजी को छूट देकर मदद की गई है।लाडलों के लिए दोनों सरकारों में जनता का खजाना खुला है।
एचपीसीए मामले में सरकारी मशीनरी तब जागी जब धर्मशाला के वकील विनय शर्मा ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया।वीरभद्र सिंह सरकार में धर्मशाला के इसी स्टेडियम में दो वनडे मैच भी हुए। जिन पर70 लाख और एक करोड़ 75 हजार645 रुपए खर्च हुए।ये सारा पैसा जनता के खजाने से खर्च हुआ।दूसरी ओर धूमल व वीरभद्र सिंह दोनों ही सरकारें प्रदेश में आर्थिक संकट का हल्ला मचाए हुए रही है।
मजे की बात है कि इस मसले पर प्रधान सचिव वित श्रीकांत बाल्दी की कलम भी नहीं चली।वह धूमल के राज में भी वित सचिव थे ओरआज वीरभद्र सिंह के राज में भी चित सचिव है।उनके पास कांट्रेक्ट पर कर्मचारियों को नियमित करने का कोई भी मामला जाता है तो वो पास नहीं होता।प्रदेश में कर्मचारियों की भर्ती आउटसोर्स कर दी है।बहाना एक ही सरकार के खजाने में पैसा नहीं है।जबकि क्रिकेट मैच जैसे एंटरटेन पर खर्चने के लिए करोड़ों बहा दिए गए है।
मजे की बात है कि वीरभद्र सिंह सरकार ने 26 सितंबर 2014 को इस तरह के मैचों के लिए सुरक्षा मुहैया कराने के लिए सुरक्षा बंदोबस्त के लिए पैसे लेने की नीति बनाई है। इसमें से भी वन डे मैच छोड़ दिए गए है। ये सब खुलासा हाईकोर्ट में वीरभद्र सिंह सरकार के होम सेक्रेटरी की ओर दिए गए हलफनामे में किया गया है। ऐसे नेताओं और नौकरशाहों के बूते अनुराग जैसे लाडलों की तो पौ बहार रहेगी लेकिन बेरोजगारी की मार झेल रहे बेरोजगारों को आउटसोर्स के जरिए ठगा जाता रहेगा। आखिर कब तक।
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