शिमला।भ्रष्टाचार व पद के दुरुपयोंग के मामले में हिमाचल प्रदेश लोकायुक्त की जांच रिपोर्ट में प्रदेश के परिवहन मंत्री जीएस बाली और प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव तरुण श्रीधर की ओर से पावर के दुरुपयोग का जिक्र किया गया है ।रिपोर्ट में जांच अधिकारी की फाइंडिंग में कहा गया है कि शिकायत कर्ता की ओर से शिकायत में बताए गए कारनामों को बाली और तरुण श्रीधर की पॉवर का दुरुपयोग करार दिया जा सकता है।
मामला पर्यटन विकास निगम के पूर्व कर्मचारी नेता व व्हीस्ल ब्लोअर ओम प्रकाश गोयल की ओर से पर्यटन निगम में फैले भ्रष्टाचार से जुड़ा है जिसकी शिकायत गोयल ने 2007 में की थी। लोकायुक्त जांच अब जाकर पूरी हुई है और 31 जुलाई 2015 को लोकायुक्त ने गोयल की शिकायत को फाइल कर दिया।
लोकायुक्त ने अपनी रिपोर्ट में जांच अधिकारी की फाइंडिंग का ये हवाला दिया है-:” The conclusion arrived at by the inquiry Officer read as under:-” thus , Keeping in view the entire evidence on record , facts and circumstances of the case ,it can safely be said that at the most, the arbitrary actions,if any,of shree g s bali,the then Transport Minister{tourism Minister}& his team of officers at the relevant time can be termed as misuse of powers but by stretch of no imagination, no provision of corruption in terms of section 2 of the H.P.Lokayukta Act,1983 is attracted in this case. ये फाइंडिंग लोकायुक्त के लीगल एडवाइजर जे एस माहनंतान ने 8 अगस्त 2014को दी थी। हालांकि महांनतान की पूरी रिपोर्ट व बाकी दस्तावेजों का जिक्र लोकायुक्त ने अपनी जांच रिपोर्ट/ आर्डर में नहीं किया है।
इससे पहले लोकायुक्त की रिपोर्ट में ये भी जिक्र है कि जांच अधिकारी ने जब अपनी रिपोर्ट लोकायुक्त को सौंपी तो लोकायुक्त ने अपने लीगल एडवाइजर को ये लिखा-:” Having examined the preliminary fact finding inquiry report submitted by shri.J S Mahantan, Legal Advisor,Lokayukta,i am prima facie of the view that before any further action can be taken against the public servants against whom the allegations are made by the complainant in this complaint,it is appropriate in the interest of justice and fair play that at this stage,the complainant shall be directed to produce two or more witnesses in support of the contents of the complaint and to corroborate his recorded by the inquiry officer during the cource of inquiry.
The inquiry Officer is requested to direct the complainant to produce the witnesses on any suitable date to be fixed by him.The complaint file shallbe placed before the inquiry officer immediately after availving long leave.
इसके बाद जांच अधिकारी के समक्ष विधानसभा में जीएस बाली की ओर से उस समय गोयल को लेकर की गई टिप्पणियों को पेश किया। विधानसभा की कार्यवाही के ये कागजात विधानसभा की वरिष्ठ रिपोर्टर वैशाली ठाकुर ने बतौर गवाह पेश होकर जांच अधिकारी के समक्ष रखे।
जांच अधिकारी की उपरोक्त रिपोर्ट जिसे लोकायुक्त व सुप्रीम कोर्ट से रिटायर जज एल एस पांटा ने पूरी तरह से मंजूर किया है। जस्टिस पांटा ने कहा है कि स्वंतंत्र तौर पर मौखिक व रिकार्ड पर आए सबुतों के आधार पर उन्होंने ऐसा कोई वैध व उचित कारण नहीं पाया कि वो जांच अधिकारी से किसी तरह अपना भिन्न रखे है। उनहोंने अपनी रिपोर्ट में कहा कि Having Independently examined the oral and documentary evidence placed on record of this complaint ,i do not find any valid and justified reason to differ with the findings and reasons recorded by the inquiry officer in his report .Therefore , the inquiry report is accepted in its entirety.
हालांकि उन्होंने अपने फैसले में बाली व तरुण श्रीधर को क्लीन चिट दे दी है।उन्होंने कहा कि शिकायत कर्ता अपने आरोपों को पृथम दृष्टया साबित नहीं कर पाया है कि लोकायुक्त इस मामले में आगे कार्यवाही को अमल में ला सके।इसलिए शिकायत को फाइल किया जाता है।
लोकायुक्त जस्टिस पांटा ने आखिर में बाली व तरुण श्रीधर को क्लीन चिट देते हुए आगे लिखा कि-:On a cumulative consideration of the relevant aspects, factual and legal as addressed here in above,i am ,thus,of the considered view that the complainant could not make out a prima -facie case,to enable the lokayukta to proceed further in this matter on merits against the above named public servants under the provisions of the HP lokayukta Act,1983.Hence the complaint shall stand filed on this preliminary ground.
79 पृष्ठों की इस रिपोर्ट में लोकायुक्त ने आगे कहा है कि however,I am making it clear that i have not expressed any opinion on the merits of the grievances alleged by the complainant in this complaint and nothing said by me in this order should be interpreted or construed as an expression of opinion on the merits of the case.
शिकायतकर्ता ओम प्रकाश गोयल ने इस लोकायुक्त की फाइडिंग पर हैरानी व निराशा जताई है और कहा कि वो रिपोर्ट की कानूनविदो से पड़ताल करवा रहे है। कानूनी राय लेने के बाद हाईकोर्ट में अपील की जाएगी। भ्रष्टाचारियों को नहीं छोड़ा जाएगा।
गौरतलब हो किगोयल ने पर्यटन निगम कर्मचारी महासंघ के महासचिव रहते हुए 2003 से 2007 तक प्रदेश में सता में रही पूर्व वीरभद्र सिंह सरकार के कार्याकाल के दौरान निगम में हुए घोटालों को उजागर किया था। उन्होंने निगम के तत्कालीन एमडी तरुण श्रीधर जो अब वीरभद्र सरकार में अतिरिक्त मुख्य सचिव के पद पर पहुंच चुके है पर भी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। बाद उन्हें एम डी तरुण श्रीधर ने नौकरी से बर्खास्त कर दिया था।
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