शिमला। आठ महीने की प्रदेश की कांग्रेस की सुक्खू सरकार की कारगुजारियों का अब भंडा फूटने लगा हैं। इस कड़ी में आज प्रदेश हाईकोर्ट ने सुक्खू सरकार के शिक्षा सचिव के वेतन को अगले आदेशों तक अटैच करने के आदेश देकर सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया हैं।
प्रदेश की नौकरशाही और सरकारी मशीनरी की कारगुजारियां सरकार बदलने के बाद भी दुरुस्त नहीं हो रही हैं। बीते रोज भी मुख्य न्यायाधीश जस्टिस एम एस राम चंद्र राव की खंडपीठ ने मंडी के धर्मपुर के एक्सीन को तुरंत प्रभाव से निलंबित करने के आदेश दिए थे।
आज जस्टिस विवेक ठाकुर और विपिन नेगी की खंडपीठ ने नील कमल सिंह और और सुरेंद्र नाथ की याचिका की सुनवाई करते हुए अदालत के पूर्व आदेशों की पालना न करने को गंभीरता से लेते हुए ये आदेश जारी किए । खंडपीठ ने दो दिन के भीतर इन आदेशों की पालना करने के आदेश दिए हैं।
इन दोनों याचिकाकर्ताओं ने अदालत में कहा था कि वह एक निजी शिक्षण संस्थान में कर्मचारी थे व इस संस्थान को सरकार ने अपने अधीन ले लिया था । यह सेवानिवृति के के बाद वितीय लाभों जैसे ग्रेच्युटी आौर लीव इंकैशमेंट के हकदार थे। अदालत ने सरकार को इन दोनों को सेवानिवृति के बाद इन दोनों को इन लाभों को अदा करने के आदेश दिए थे।लेकिन जब सरकार ने अदालत के आदेशों की पालना नहीं की तो ये दोनों दोबारा से अदालत पहुंच गए। अदालत ने दोबारा से सरकार को अदालत के आदेशों की पालना करने के समय दिया। लेकिन आदेशों की पालना तब भी नहीं हुई।
खंडपीठ ने पाया कि शिक्षा सचिव अदालत के आदेशों को पर्याप्त अवसर देने के बावजूद लागू करने में पूरी तरह से नाकाम रहे हैं।
खंडपीठ ने साफ किया कि अतिरिक्त महाधिवक्ता के आग्रह पर अदार दृष्टिकोण अपनाते हुए अन्यथा संबंधित अधिकारियों को जेल व उन्हें हिरासत में रखने के आदेश की जगह केवल वेतन को अटैच करने का आदेश पारित कर रहे है। खंडपीठ ने मुख्य सचिव को दो दिनों के भीतर आदेशों की पालना के निर्देश दिए हैं।
यहां यह गौरतलब है कि कांग्रेस की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार सता में आने के बाद सरकारी मशीनरी में आमूल चूल परिवर्तन करने में नाकाम रही थी। अब उसके परिणाम सामने आने लगे हैं। पुरानी सरकारी मशीनरी उसी पुराने ढर्रे पर चल रही हैं।
याद रहे शिक्षा विभाग मुख्यमंत्री के लाडले रोहित ठाकुर के पास हैं।
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