शिमला।प्रदेश की कांग्रेस की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने 2006 से ही विवादों में तब 980 मेगावाट की जंगी थोपन बिजली परियोजना का आवंटन रदद कर दिया हैं। अब 780 मेगावाट की बिजली परियोजना सरकारी उपक्रम एसजेवीएनएल के सुपुर्द की गई थी लेकिन एसजेवीएनएल इस प्रोजेक्ट पर तय प्रावधानों के तहत काम नहीं कर पाया तो आज सुक्खू मंत्रिमंडल ने इस परियोजना को रदद कर दिया हैं।
अब इस प्रोजेक्ट को लेकर सुक्खू सरकार अगला कदम क्या उठाएगी इस पर सबकी नजर रहेगी।
याद रहे 2006 में तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार ने इस प्रोजेक्ट को नीदरलैंड की कंपनी ब्रेकल एनवी को आवंटित किया था लेकिन तब विपक्षी पार्टी भाजपा ने इस आवंटन में भ्रष्टाचर के इल्जाम लगा दिए और दिसंबर 2007 में सत्ता में आई तत्कालीन भाजपा की धूमल सरकार ने इस आवंटन की जांच करा दी लेकिन विजीलैंस जांच में 420 के सबूत मिलने के बावजूद धूमल ने इस प्रोजेक्ट को ब्रेकल के पास ही रहने दिया। हालांकि ब्रेकल तब अप फ्रंट मनी जमा नहीं करा पाई थी और अदालत के दबाव में ब्रेकल ने अदाणी की फर्मों से पैसे लेकर ब्रेकल की ओर से 280 करोड़ रुपए जमा कराए थे। इस अप फ्रंट मनी को वापस लेने के लिस अदाणी ने 2019 में जयराम सरकार में प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी और अप्रैल 2022 में न्यायमूर्ति संदीप शर्मा ने जयराम सरकार को दो महीने के भीतर ये रकम लौटाने के आदेश दिए थे व दो महीने बाद दस फीसद ब्याज अदा करने के आदेश थे। सरकार इस मामले में अपील में गई और अब न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति विपिन नेगी की खंडपीठ ने 9 अक्तूबर को इस मामले में फैसला सुरक्षित रखा हैं।
याद रहे 2006 में जब इस प्रोजेक्ट का आवंटन ब्रेकल को हुआ था तो बोली में अंबाणी की रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर दूसरे स्थान पर थी ।इस प्रोजेक्ट को झटकने के लिए धूमल सरकार के खिलाफ रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर 2008 में हाईकोर्ट चली गई थी हाईकोर्ट ने इस प्रजेक्ट के आवंटन को रदद कर दिया था। तब से लेकर अब तक यह प्रोजेक्ट विवादों में ही रहा । लेकिन इस मामले में कारनामे करने वालों पर कभी कोई कार्रवाई नहीं हुई
अब सुक्खू सरकार ने भी इस प्रोजेक्ट को सरकारी कंपनी से वापस ले लिया हैं। अब देखना है कि सुक्खू सरकार इस प्रोजेक्ट को लेकर आगे क्या करती हैं। क्या मुख्यमंत्री सुक्खू भी वीरभद्र , धूमल और जयराम की तरह विवादित हो जाएंगे या वह पाक साफ बच जाएंगे। यह प्रोजेक्ट कई हजार करोड़ रुपयों का हैं।
सुक्खू मंत्रिमंडल ने आज एसजेवीएनएल के पक्ष में किए गए जंगी थोपन पोवारी हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट (780 मेगावाट) के आवंटन को रद्द करने का निर्णय भी लिया। मंत्रिमंडल ने दावा किया है कि कंपनी की ओर से निर्धारित समयावधि के भीतर परियोजना के कार्यान्वयन में प्रगति में विफलता पर यह फैसला लिया गया।
लेकिन अंदर खाते क्या हुआ है इस बावत अभी कई कुछ सामने आना हैं। केंद्र सरकार का कोईअड़ंगा रहा है या किसी कारोबारी से कोई बातचीत हो गई है यह अभी पता लगना हैं।
याद रहे किन्नौर में लग रहे इस प्रोजेक्ट समेत तमाम अन्य बिजली परियोजनाओं को लेकर स्थानीय जनता विरोध में हैं व नो मीन्स नो जैसा आंदोलन चला रखा हैं।
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