शिमला। हिमाचल प्रदेश विधाानसभा की प्रवर समिति ने लोकायुक्त की ओर से पिछले तीस सालों में निपटाए गए कार्याें पर असंतोष जताया है।लोकायुक्त ने 1983 से इसके गठन से लेकर अब तक 1880 केस निपटाए है।फरवरी में विधानसभा में पेश लोकायुक्त पर प्रवर समिति की रिपोर्ट को आज विधानसभा में पेश किया गया। रिपोर्ट में कहा है कि तीस सालों में लोकायुक्त के पास कुल 2018 शिकायतें आई।
अवमानना का प्रावधान
विधानसभा की प्रवर समिति ने नए लोकायुक्त बिल में लोकायुक्त को और मजबूत बनाने की मंशा से लोकायुक्त को आदेशों को न मामने पर अवमानना का प्रावधान करने की सिफारिश की है।इसके अलावा लोकायुक्त कानून बनने के पांच साल पहले के मामले की ही जांच कर सकेगा। पहले ये अवधि सात साल थी।
स्वास्थ्य व राजस्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर की अध्यक्षता में हुई समिति की बैठकों के बाद समिति ने सिफारिश की इसे एक सदस्यीय ही रखा जाए। पहले इसे तीन सदस्यीय बनाने का प्रावधान था।
इसके अलावा समिति ने चयन समिति के प्रावधान को को भी निरस्त करने की सिफारिश की है। समिति ने उतराखंड,कर्नाटक, मध्यप्रदेश व केंद्र सरकार के लोकायुक्त कानून का तुलनात्मक अध्ययन कर अपनी सिफारिशें दी है।समिति ने कानूनविदों,एनजीओं व बाकी लोगों से लिखित में सुझाव मांगे थे। समिति के पास कुल दो सुझाव पहुंचे। प्रवर समितत ने अपने सुझावों के साथ बिल को सदन में पारित कराने की सिफारिश की है।समिति में कौल सिंह ठाकुर अध्यक्ष व गुलाब सिंह ठाकुर,कुलदीप कुमार,अजय महाजन,विजय अग्निहोत्री,करनेश जंग व बंबर ठाकुर बतौर सदस्य थे।
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