शिमला।इस्तीफा मंजूर होने से पहले ही भाजपा का दामन थाम लेने वाले हिमाचल के तीन विधायकों की राह मुश्किल हो गई हैं।विधानसभा स्पीकर को दिए इस्तीफे को बेशक वो मंजूर करने के दबाव की राजनीति पर उतर गए हैं और प्रदेश उच्च न्यायालय में भी याचिका दायर कर दी है।लेकिन अब इस्तीफे का मामला स्वत: ही ध्वस्त हो गया है।
इन तीनों आजाद विधायकों ने इस्तीफा मंजूर होने से पहले भाजपा में शामिल होने की गलती कर ली हैं।अब इनके खिलाफ दलबदलू कानून के तहत मुकदमा चलना हैं।हालांकि अभी इस कानून के तहत स्पीकर कुलदीप पठानिया ने कानूनी या संवैधानिक प्रक्रिया ही नहीं शुरू हुई हैं।
लेकिन संविधान के तहत अब ये तीनों विधायकहैं।नालागढ़ से के एल ठाकुर, देहरा से होशियार सिंह और हमीरपुर से आशीषशर्मा दलबदल कानून के तहत आ गए हैं। इस बावत विधानसभा स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने आज कहा भी कि विधायक भाजपा में चले गए है तो अब इनके खिलाफ दलबदल कानून के तहत कार्यवाही होनी हैं। ये विधायक अब हाईकोर्ट में भी ये संविधान व कानून के खिलाफ हाईकोर्ट से आदेश पारित करने का आग्रह नहीं कर सकते।
ये तीनों आजाद विधायक कर्नाटक के विधायकों के जिस मामले का हवाला दे रहे हैं उसमें सुप्रीम कोर्ट ने इस्तीफा स्वेच्छा से दिया है व इस्तीफा सही है या नहीं इसकी पड़ताल करने पर स्पीकर के लिए कोई रोक नहीं लगा रखी हैं।ऐसे में इस अधिकार से स्पीकर को कोई भी विधायक वंचित नहीं कर सकता हैं।
आज इन विधायकों ने स्पीकर को अपने जवाब सौंप दिए व दोपहर बाद स्पीकर के समक्ष पेश भी हुए।
उधर हाईकोर्ट ने इन तीनों की याचिका पर 24 अप्रैल तक स्पीकर से जवाब मांगा है। इन तीनों ने स्पीकर को व्यक्तिगत तौर पर पार्टी बना रखा है। अब ये मामला कानूरी दांव पेंच व पैंतरे बाजी में उलझता नजर आ रहा है और जल्द ही इनका इस्तीफा मंजूर हो या दलबदलू कानून के तहत इनके खिलाफ कोई कार्यवाही हो ये नजर नहीं आ रहा हैं।
बहरहाल,24 अप्रैल तक तो कुछ होने वाला नहीं हैं। ऐसे में प्रदेश में छह विधानसभा हलकों के उपचुनावों के साथ ही इनके तीन हलकों में भी उप चुनाव हो इसकी उम्मीद अब कम ही लगती हैं।जबकि भाजपा में जाने की इनकी मंशा यही थी कि सभी नौ विधानसभा हलकों में उपचुनाव एक साथ हो जाएं।लेकिन ऐसा अब होने वाला नहीं हैं।
आज आजाद विधायक होशियार सिंह ने कहा भी कि प्रदेश में बार-बार आचार संहिता लग जाए ऐसा नहीं होना चाहिए। उनका इस्तीफा मंजूर होना चाहिए। लेकिन अब इस्तीफा मंजूर करने का सवाल ही नहीं बचा हैं अब दलबदल कानून सामने आ गया हैं।
अगर दलबदल कानून के तहत प्रक्रिया शुरू हुई तो भी स्पीकर को इन्हें नोटिस जारी कर इनसे जवाब मांगना पड़ेगा। ये प्रक्रिया कुछ अरसे तक चलती रहेगी।
उधर, सात मई से प्रदेश में विधानसभा के उपचुनावों व लोकसभा की चार सीटों के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू होने वाली हैं। नामांकन हो जाने के बाद अगर स्पीकर दलबदल कानून के तहत इन विधायकों की सदस्यता को रदद कर देते है तो फिर इनके हलकों में चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग की ओर से तिथियां घोषित करना आसान नहीं होगा। ऐसे में अब ये तीनों विधायक उलझते नजर आ रहे है और साथ ही इन पर तलवार भी लटकी हुई हैं।इन विधायकों ने इस्तीफ क्यों दिए है ये आज तक साफ नहीं हो पा रहा हैं।
(114)