शिमला।सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस व बीसीसीआई की ओर से लाेेढ़ा कमेटी की सिफारिशों के मसले पर बनाए गए सलाहकार जस्टिस काटजू की ओर सेहिमाचल के वामपंथी नेता टिकेंद्रपंवर इतने आहत हुए हैंं कि उन्होंने काटजू को नसीहत भरी एक चिटठी लिख दी है।माकपा नेता पंवर ने काटजू से आग्रह किया है कि वो क्रिकेट को बचाने का काम करे।उन्होंने बीसीसीआई अध्यक्ष व भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर की ओर से एचपीसीए के नाम पर जमीन लेने व सोसायटी से कंपनी बनाने के उनके कारनामे को भी काटजू के सामने पेश किया है।
टिकेंद्र पंवर ने जस्टिस काटजू को चिटठी में क्या लिखा हैं,ये जानने के लिए यहां पढ़े पूरी चिटठी-:
प्रिय श्री काटजू जी
देश मे क्रिकेट को साफ रखने के लिए बनी लोढ़ा कमेटी को लेकर उच्च्तम न्यायालय के फ़ैसले पर आपकी टिप्पणी देख कर मैं आपको ये पत्र लिखने पर मज़बूर हुआ हूँए मैं आपकी बहुत इज़्ज़त करता हूँ और आपके द्वाराए खास कर अल्पसंख्यको हेतु किए गये कार्यो को लेकर आपकी सराहना करता हू बावजूद इसके मैं आपके द्वारा क्रिकेट को लेकर लिए गये रुख़ से इतेफ़ाक नही रखता जिसमे क्रिकेट को नैगमिय वारिस बना दिया जाएगा और इसका संचालन बहुत ही निरंकुश और अलोकतांत्रिक तरीके से किया जाएगाए असल मे जब आप उच्च्तम न्यायालय के फ़ैसले क्रिकेट को साफ करने के मुद्दे पर लिख रहे थे तो सही था परंतु इसके लिए कानून को तााक पर नही रखा जा सकता, यही वो पक्ष है जो क्रिकेट के खेल मे चल रहा है, क्रिकेट मे खेल और खेल के संचालन या यूँ कहे शासन मे क़ानून को तााक पर रखा गया है। शायद ही ज़मीन से संबंधित क़ानून का कहीं पालन हुआ है। असल मे खेल को पूरी तरह बर्बाद कर, जो खेल वास्तव मे बड़े समूह का खेल था अब न्द लोगो का खेल बन कर रह गया है
मैं समझ सकता हूँए जब से आपको बी सी सी आई का मुख्य सलाहकार और मार्गदर्शक नियुक्त किया गया है आपके विचार भी उनसे जुड़ सकते है, परंतु मेहरबानी करके एक बात हमेशा अपने ध्यान मे रखिएगा कि सिर्फ़ सलाह ही बी सी सी आई की आवश्यकता है जिससे वर्तमान संंरचना को तोड़ कर कुछ नये लोकतांत्रिक विचारोंं के साथ खेल को लाया जा सकेगा ना कि खेल के व्यापार के साथ।
वैसे आप स्वयं भी भली भाँति परिचित है कि कैसे देश का क्रिकेट बोर्ड राजनैतिक आकाओं के खेल का मैदान बना हुआ है जो कभी वास्तविक जिंदगी मे क्रिकेट के मैदान पर उतरे ही नही, क्रिकेट के ऐसे मुखिया देश मे क्रिकेट का भविष्य तय करते हैं और जिनके लिए खेल पूजा है ये उनके भगवान आका बने बैठे है।
उम्मीद है आप बी सी सी आई के वर्तमान अध्यक्ष से भी भली भाँति परिचित होंगे जिन्होने एच पी सी ए को सोसाइटी से कंपनी बना डाला था और आजीवन सदस्यता करके उन्हे वोट का अधिकार भी दे डाला है, जिसमे एक पूरा कुनबा उनके खुद के परिवार का है। इस तरह लोकतांत्रिक तरीक़ोंं को पूरी तरह नकारते हुए पिच्छले 10 वर्षो मे कोई चुनाव नहींं करवाए है। यही नहींं क्रिकेट को अप्रत्याशित लाभ कमाने के लिए भी प्रयोग किया है। सरकारी भूमि एच पी सी ए सोसाइटी को दान मे दी गयी जिसे बाद मे कंपनी अधिनियम के तहत सरकार से बिना अनुमति लिए कंपनी मे तब्दील कर दिया गया। इसी तरह इसी ज़मीन के एक भाग पर 5 सितारा होटल का निर्माण किया गया। क्या क्रिकेट से जुड़ी एसोसियेशन 5 सितारा होटल का निर्माण कर सकती है और उसे चला सकती है। ये सब बहुत बेहूदा ही नही बल्कि पूरी तरह खेल का बाज़ारीकरण , बाज़ारवाद है जिला स्तर पर खेली जाने वाली क्रिकेट को बंद कर दिया गया है और रणजी ट्रॉफी हेतु हवाई चयन किए जाते है बजाए जिला स्तरीय टूर्नामेंट के प्रदर्शन के आधार पर। बस यही सबकुछ अब बी सी सी आई में होने जा रहा है और दुर्भाग्य से आप इसके बचाव में लगे हुए है
मुझे लगता है इस बार आप ग़लत तरीके से ग़लत व्यक्ति हेतु ग़लत जगह बचाव मे पाए गये है। यहांं प्राथमिक तौर पर दो चीज़े है, प्रथम, खेल और उसकी संरचना मे पारदर्शिता मुख्य है। दूसरा, खिलाड़ियों का चयन पूर्णतया मेरिट के आधार पर होना चाहिए, अब उच्च्तम न्यायालय की ये टिप्पणी कि चुनाव द्वारा तय की जाने वाले पद बैठा व्यक्ति क्रिकेट बॉडी को संचालित नही कर सकता। चलिए उसे भी छोड़िए, इससे कोई फर्क भी नही पड़ता। अब इन क्रिकेट संस्था में नियमित चुनाव होने चाहिए। जो अभी मुश्किल से ही हो पा रहे हैं, आजीवन सदस्यता वाली क्रिकेट सारांचना और उनको व्यक्तिगत हित साधने का तरीका बनाने को कुछ हद तक रोका जा सकेगा। जैसा उच्च्तम न्यायालय ने इंगित भी किया है।
यहाँ मैं एक और बात की ओर आपको ध्यानले जाना चाहूँगा जिसमे एक उपयुक्त अधिकारी श्रीनिवास को भारतीय ओलिंपिक एसोसियेशन में भेज दिया। इन खेल निकायों के सुधार और उनके लोकतांत्रिक बनाने की आवश्यकता अब हो गयी है। दूसरा अब आप ही बताइए देश मे अब क्रिकेट रह ही कहाँ गया है ये पूरी तरह खो ही चुका है ये नैगमिक नियंत्रित टी.20 या उन संस्थाओ जो मनमर्ज़ी से खिलाड़ियो का चयन करती है के फ़ायदे का स्रोत हो गयी है और भ्रष्टाचार का कारण बन चुकी है
मैने आपको बहुत से मुद्दोंं पर एक योद्धा के तौर पर देखा है परंतु दुर्भाग्या से इस वक़्त आप क्रिकेट जिसे हम ड बालश् की सज्ञा देते है के बचाव में दिखाई दे रहे है। मेहरबानी कर अपना पक्ष बदलिए और पूरी ईमानदारी से क्रिकेट जिसका मैं खुद भी बहुत बड़ा प्रशंसक रहा हूंं, के फलने फूलने मे योगदान देंगे।
अंत मे एक प्रश्न. मैं आपको ये सब क्यो लिख रहा हूँए मैं स्वयं इस मुद्दे पर हिमाचल प्रदेश जैसे छोटे राज्य मे देख चुका हूँए यहाँ तक क़ी लोढ़ा कमेटी की सिफारिशो से भी शायद पहले मैने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में क्रिकेट को साफ करने या यूंं कहिए क्रिकेट माफिया से मुक्त करने के लिए एक जनहित याचिका दायर कर रखी है जो विचाराधीन है। बहुत ही रोचक तथ्य है कि मेरी जनहित याचिका के मुद्दे श्लो कमेटी के सुझाव काफ़ी मेल रखते है। मुझे यकीन है आप खेल की इस निष्पक्षतावाद को समझेंगे और खेल को निष्पक्ष बनाने हेतु कार्य करेंगे
टिकेंद्र सिंह पंवर
शिमला
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