शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट ने बिलासपुर के एक व्यक्ति पर आरटीआइ अधिनियम के तहत जानकारी न देने पर जिला उपायुक्त बिलासुपर मानसी सहाय ठाकुर पर निचली अदालत में हर्जाने का मुकदमा दायर करने का कड़ा संज्ञान लेते हुए उक्त व्यक्ति पर 25 हजार का जुर्माना लगाया हैं। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने निचली अदालत को भी इस तरह की याचिका क ो बिना कोई कानून का हवाला देकर मंजूर करने गलत ठहराया हैं। अदालत ने टिप्पणी की कि अगर निचली अदालत ने हाईकोर्ट की ओर से समय समय पर जारी निर्देशों को ध्यान में रखा होता तो वह इस तरह याचिका की सुनवाई नहीं करता। अदालत ने हाईकोर्ट रजिस्ट्रार को निर्देश दिए हैं कि वह हाईकोर्ट की ओर से जारी अधिसूचनाओं को दोबारा सभी निचली अदलतों को भेजें ताकि इस तरह की गलती न हो।
अदालत ने इस मामले में निचली अदालत की ओर से शुरू की मामले की सुनवाई को भी निरस्त कर दिया। प्रदेश हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि अगर यह शख्स 15 दिसंबर से तक यह रकम जमा नहीं कराता हैं तो मानसी ठाकुर इस रकम की रिकवरी के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सकती हैं।
यह आदेश 2010 बैच की आइएएस अधिकारी मानसी सहाय ठाकुर की याचिका पर प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस तिरलोक सिंह चौहान ने जारी किए हैं।
बिलासपुर के घुमारवीं के मदनलाल शर्मा ने जिला उपायुक्त बिलासपुर को आरटीआइ के तहत एक अर्जी दायर की थी जिसे तत्कालीन जिला उपायुक्त मानसी सहाय ने 23 जुलाई 2015 को निपटा दिया।
इसके बाद मदन लाल शर्मा ने डीसी को लीगल नोटिस भेजा कि उसने उसे वकील करने से इंकार किया व इससे उसे नुकसान हआ हैं। ऐेसे में वह एक लाख रुपए का हर्जाना भरे व साथ में पंद्रह फीसद ब्याज भी अदा करे। साथ में लीगल नोटिस भेजने के 22 सौ रुपए अलग से मांगे।
इस नोटिस का मानसी सहाय ठाकुर ने जवाब भेजा । लेकिन मदन शर्मा ने इस रकम को वसूलने के लिए मानसी सहाय पर बिलासपुर की अदालत में मुकदमा ठोक दिया। मानसी सहाय ने अदालत में पेश होकर अर्जी दायर की व अर्जी में कहा कि कानूनन यह मुकदमा नहीं चल सकता हैं। लेकिन निचली अदालत ने मानसी सहाय की दलीलें 4 सितंबर 2017 को खारिज कर दी व कहा कि यह मुकदमा चल सकता हैं। क्योंकि मानसी सहाय ने मदन लाल शर्मा की वकील करने के आग्रह को नामंजूर कर दिया । निचली अदालत के इस आदेश के खिलाफ मानसी सहाय ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
इस याचिका को निपटाते हुए प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस तिरलोक सिंह चौहान ने अपने फैसले में कहा कि यह याचिका बिना कानून का हवाला दिए बगैर दायर की गई हैं। निचली अदालत में मुकदमा दायर करने क केवल एक ही आधार था कि मानसी ठाकुर ने मदन शर्मा के वकील की पावर आफ अटार्नी मंजूर नहीं की।
इसके अलावा न्यायिक व अर्धन्यायायिक अधिकारियों के खिलाफ इस तरह के डैमेज के मुकदमें दायर करने के कानूनी प्रावधान नहीं हैं।
अदालत ने कहा कि मदन शर्मा के पास अपीलीय अधिकारी के पास जाने का रास्ता था वह राज्य के मुख्य सूचना आयुक्त के समक्ष अपील दायर कर सकता था। लेकिन उसने ऐसा नहंी किया।
जस्टिस ने तिरलोक चौहान ने अपने फैसले मं कहा कि मदन शर्मा का रवैया आइएएस अधिकारी मानसी को आतंकित करना, धैंस जमान और दबाव में रखने का प्रयास था। ऐसे में इस पर 25 हजार रुपए का जुर्माना लगाया जाता है व यह रकम इसे मानसी ठाकुर को अदा करनी होगी। अदालत ने निचली अदालत के मुकदमा चलाने के फैसले को भी निरस्त कर दिया।
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