शिमला। राज्यपाल आचार्य देवव्रत की ओर से राजभवन में बीते दिनों ली गइ्र वीरभद्र सरकार के अफसरों की क्लास पर दोनों के बीच तनातनी बढ़ गई है।हमीरपुर में आज बृहसतपतिवार को मुख्यमंत्री वीरभद्र ने राज्यपाल को ब्रिटिश शासन के मोनार्क की उपाधि से नवाज कर हमला कर दिया है।साथ ही वीरभ्रद सिंह ने राज्यपाल को नसीहत दी कि वो प्रदेश के संविधानिक प्रमुख है इसलिए उसी के मुताबिक काम करे। उन्होंने खेल बिल को राजभवन की ओर से दबाए जाने पर भी पीड़ा व्यक्त की व कहा कि प्रदेश की80 फीसद खेल गतिविधियों पर धूमल व अनुराग परिवार का कब्जा हो गया है।
उधर,माकपा- कांग्रेस व सीएम की ओर से राज्यपाल पर राजदरबार लगाने को लेकर किए हमले को राजभवन भी मुखर हो गया है।राजभवन के प्रवकता की ओर से कहा गया कि ये सब कुछ सरकार के नोटिस में था व प्रवकता ने कहा कि इस बैठक के बिन्दुओं को लेकर राज्यपाल ने सितम्बर के प्रारम्भ में मुख्यमन्त्री से राजभवन में लम्बी मन्त्रणा की थी तथा उनकी सहमति से यह बैठक आयोजित की गई थी ।
यह बैठक पहले 30 सितम्बर को निर्धारित की गई थी जिसमें सम्बन्धित मंन्त्रियों, अधिकारियों एवं स्वयंसेवी संगठनों को लिखित रूप में आमन्त्रित किया गया था ।
26 सितम्बर को प्रदेश सरकार के लिखित आग्रह पर इस बैठक को अक्तूबर के लिए स्थगित कर दिया गया था । इस बैठक के लिए मुख्यमन्त्री से 28 से 31 अक्तूबर के बीच में कोई भी समय देने के लिए तथा बैठक मेे उपस्थित रहने के लिए आग्रह किया गया । इस सम्बन्ध में राज्यपाल के सचिव ने उनके निवास पर प्रस्तावित बैठक के बारे में उनसे मुलाकात की ।
प्रवक्ता ने कहा कि मुख्यमंत्री को इस बैठक में आमंन्त्रित किया गया लेकिन उनके परामर्श पर इस बैठक में उन्हें तथा मंत्रियों को आमन्त्रित न कर केवल अधिकारियों एवं स्वयंसेवी संगठनों के प्रतिनिधियों को ही आमन्त्रित किया गया । राजभवन ने कहा कि उपरोक्त तथ्यों के सन्दर्भ में किया गया पत्राचार राजभवन में उपलब्ध है ।
प्रवक्ता ने कहा कि राजभवन स्पष्ट करना चाहता है कि इस बैठक के प्रत्येक पक्ष की जानकारी सरकार को थी तथा सरकार की इसमें सहमति थी ।ऐसे में यह कहना गलत है कि यह समानान्तर सरकार चलाने जैसा है । राजभवन यह भी स्पष्ट करना चाहता है कि उक्त बैठक में परिचर्चा के लिए चुने गए चारों बिन्दु प्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति के हित में हैं तथा एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते यह सभी का दायित्व है कि वह इस अभियान की गम्भीरता को समझें । इसमें कुछ भी असंवैधानिक व राजनैतिक नहीं है
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