शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उनकी टोली की इडी से शिकायत करने का दावा करने वाले कांग्रेस के मंडी से नेता युद्ध चंद बैंस ने खुलासा किया कि मनाली में उनकी जमीन को कांग्रेस के कुछ नेता प्रियंका गांधी को गिफट करना चाहते है। ये पूछे जाने पर कि उनके पास इस इल्जाम का क्या आधार है तो वो बोले उनसे इस बावत ज्ञानचंद ने बात की थी।
याद रहे ज्ञानचंद इन दिनों खनन से जुड़े एक मामले में इडी की कस्टडी में गाजियाबाद की डासना जेल में बंद हैं।बैंस दावा करते है कि उनकी शिकायत पर ज्ञानचंद व बाकियों के यहां इडी की छापेमारी हुई थी।
( लेकिन इडी की इस बावत पहले जारी विज्ञप्ति में दावा है कि उसने प्रदेश पुलिस में खनन को लेकर दर्ज छह एफआइआर की मनी लॉड्रिंग के नजरिए से छानबीन की थी।इसी के तहत ज्ञानचंद व संजय धीमान व बाकियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस विज्ञप्ति में बैंस की शिकायत का कहीं जिक्र नहीं है।)
उनसे पूछा गया कि अगर प्रियंका गांधी को जमीन चाहिए ही थी तो वो उनसे सीधे बात कर सकती थी। किसी अन्य कांग्रेसी के जरिए क्यों बात करेंगी। बैंस ने कहा कि प्रियंका गांधी ने जमीन को लेकर कभी कोई बात नहीं की। न कोई फोन किया। ये ही लोग है जो प्रियंका गांधी की चमचागिरी करते है और ओहदे भी इन्हें इसी आधार पर मिले है। बैंस ने कहा कि वो जल्द ही सोनिया गांधी से मिलेंगे व उनसे कहेंगे कि अगर उन्हें बेटी के लिए जमीन चाहिए तो वो उनसे यानी बैंस से सीधी बात करे।
उन्होंने दावा किया कि छराबड़ा में जो प्रियंका गांधी का बंगला बना है वो जमीन भी पहले मुख्यमंत्री सुक्खू की पत्नी के नाम थी। चाहे आप छानबीन कर लो।
याद रहे आठ जनवरी को युद्ध चंद बैंस के केसीसी बैंक से लिए 20 करोड़ के कर्ज के मामले में ऊना विजीलेंस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 420 और 120 बी समेत बाकी धाराओं के तहत मामला दर्ज कर रखा है। इस मामले में नौ जनवरी को बैंस को हाईकोर्ट के जस्टिस बिपिन चंदर नेगी की एकल पीठ से अंतरिम जमानत मिली हुई है।
इस बावत 11 जनवरी को बैंस ने ऊना में एक प्रेस कांफ्रेंस की जिसमें तमाम तरह के इल्जाम लगा दिए। (सुने व देखें पूरा वीडियों)। सुक्खू व सरकार की ओर से इस बावत अभी तक कोई जवाब नहीं आया है।
कर्ज को लेकर ये पूछे जाने पर कि इस तरह की बातें की जा रही है कि केसीसी बैंक का ये कर्ज लेकर उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को दे दिया किसी होटल को खरीदने के लिए। बैंस ने कहा कि जयराम ठाकुर उनके बड़े भाई है। जिस तरह लक्ष्मण प्रभु राम के साथ जंगल में नंगे पाव चले गए थे वो भी उसी तरह उनके यानी जयराम के साथ नंगे पांव चलने को तैयार है।आप जयराम से पूछ सकते है कि वो उन्हें भाई मानते है या नहीं ।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेताओं का उनको आफॅर आया था कि वो भाजपा के किसी बड़े नेता का कर्ज वाले मामले में नाम लें लें । लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। ये कांग्रेस की यही टोली फैला रही है।
इडी की शिकायत को वापस लेने की एवज में मुख्यमंत्री व बाकियों से सौ करोड़ की आफर को लेकर ये पूछे जाने पर कि ये सच है इसे सच कैसे मान लिया जाए । मुख्यमंत्री सुक्खू भी कांग्रेस से भाजपा में गए पूर्व विधायकों को लेकर कह चुके है कि बीजेपी से उन्होंने 15-15 करोड़ रुपए लिए। सबूत तो कहीं नहीं है।हो सकता हो आपके साथ वो फन (fun) कर रहे हो।
बैंस ने कहा कि उन्होंने सबूत इडी को दिए है। इडी ने उनके साथ जिन पर इल्जाम लगाए गए है उनके साथ होटल हयात में हुई मुलाकात को लेकर लोकेशंस और टाइमिंग के सबूत एकत्रित कर लिए है। ये पूछे जाने पर कि इससे ये थोड़े ही साबित होता है कि सौ करोड़ देने को तैयार थे।मीडिया को आप कोई सबूत देने को तैयार नहीं है। बैंस ने कहा कि जब जांच एजेंसियां जांच करती है तो वो सब कुछ उगलवा लेती है। और इडी की जांच पूरी हो चुकी है।
ये पूछे जाने पर कि वो भाजपा के हाथों में खेल रहे है। बैंस ने इस बावत कोई सीधा जवाब नहीं दिया। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस के 15 विधायक अभी भी उनसे टच में है जो उनसे बातचीत करते है। ये सभी सुक्खू की कार्यशैली से खफा है।हालांकि इसका भी सबूत उनने ने नहीं साझा किया।
केसीसी बैंक से लिया कर्ज चूंकि पब्लिक मनी है क्या वो इसे लौटाएंगे। बैंस ने कहा कि उन्हें बीजेपी सरकार में 65 करोड़ का कर्ज मंजूर हुआ था । जिसमें से 28 करोड़ उन्हें 2019 में मिल गया था। इसमें से उन्होंने चार करोड़ वापस भी कर दिया था। लेकिन बीच में कोविड आ गया। इसके बाद प्रदेश में सुकखू सरकार के सत्ता में आने पर उनकी मनाली वाली जमीन पर बैंक ने कब्जा कर दिया। इस जमीन की सस्ते में नीलामी करा कर ये टोली इसे प्रियंका गांधी को गिफट करना चाहते थी ।
बैंक के जमीन पर कब्जा करने के मामले में उन्होंने सचिव सहकारिता के पास अपील की लेकिन सहकारिता सचिव ने उनकी अपील खारिज कर दी। इसके बाद उन्होंने डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल (कर्ज उगाही अपीलीय पंचाट)चंडीगढ़ में अपील कर दी। जहां से स्टे मिला हुआ है। ये जमीन अभी भी उन्हें नहीं मिली है।
उन्होंने दावा किया कि बैंक ने जब से जमीन अपनी कस्टडी में ली तो वहां पर उनका करोड़ों रुपए का सामान पड़ा हुआ था जिसमें लाखों रुपए के पत्थर और स्टील के अलावा बाकी चीजें थी।जो अब गायब हो चुका है। क्या इस बावत उन्होंने कहीं कोई एफआइआर की थी। इसका उनके पास कोई जवाब नहीं था। बैंस ने कहा कि जब उनकी जमीन उन्हें सौंप दी जाएगी तो वो एफआइआर कराएंगे।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि अब उन्होंने ये देखना है कि उन्हें बैंक को पैसा देना है या उनका जो नुकसान हुआ है उसकी एवज में बैंक ने उनको पैसा देना है।
विजीलेंस जांच को लेकर उन्होंने कहा कि उनके मामले में विजीलेंस पहले भी दो बार जांच कर चुकी है व उनको दोनों बार क्लीन चिट मिल चुकी है। ये पूछे जाने पर कि ये जांच कब हुई व दी गई क्लीन चिट की प्रतियों को साझा कर सकते है। बैंस ने कहा कि वो अभी प्रदेश से बाहर है व ये विजीलेंस की जांच पूर्व की जयराम सरकार में हुई थी व क्लीन चिट भी तभी मिली थी।
ये पूछे जाने पर कि उन्होंने ऊना में की प्रेस कांफ्रेंस में वीरभद्र सिंह को क्यों लपेट दिया जहां बैंस ने कहा था कि वो हिमाचल सहकारिता बैंक से कर्ज लेना चाहते थे लेकिन वीरभद्र सिंह ने उनसे कहा कि वो केसीसी बैंक से कर्ज लें। बैंस ने दावा किया कि कर्ज के लिए आवेदन उन्होंने वीरभद्र सिंह की सरकार में कर दिया था। वीरभद्र सिंह को उन्होंने कहीं नहीं लपेटा है। वो उनकी बेहद इज्जत करते है। सुक्खू के पास तो काम का अनुभव ही नहीं है वो न कभी चैयरमैन रहे, न मंत्री रहे।
उन्होंने कहा कि सरकार की ये टोली इसलिए उनके खिलाफ हो गई क्योंकि उनके पास इनके बहुत से राज है और वो आने वाले दिनों में और भी खुलासे करेंगे। उन्होंने सचिव सहकारिता को लेकर भी कुछ खुलासा करने का संकेत दिया।
reporterseye.com से युद्ध चंद बैंस की टेलीफोन पर हुई बातचीत के अंश
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