शिमला। अदालत के आदेशों पर अर्की पुलिस ने अर्की के पूर्व एसडीएम विकास शुक्ला और कांग्रेस पार्षद अनुज गुप्ता के खिलाफ जो एफआइआर दर्ज की है उसमें संगीन धाराएं लगाई हैं।
अर्की पुलिस की एफआइआर में शुक्ला व गुप्ता के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 409,( पब्लक सर्वेंट की ओर से भरोसा तोड़ना) 420( धोखाधड़ी),465(जालसाजी),468 (धोखा देने की नीयत से जालसाजी),471(जाली दस्तावेज को जानबूझ कर सही बताना और 120 बी(मिलीभगत कर अपराध करना)जैसी संगीन धाराओं के तहत मामला दर्ज किया हैं।
हालांकि पुलिस ने अपनी ओर से कुछ ज्यादा नहीं किया है। जो अदालत ने अपने आदेश में लिखा है वह सब कुछ एफआइआर में भी लिख डाला हैं। अब अर्की पुलिस को इस मामले में जांच करनी है बशर्तें इस एफआइआर को अपीलीय अदालत में आरोपी चुनौती ने दे दे।
विधि विशेषज्ञों का मानना हैं चूंकि तमाम दस्तावेजी सबूत रिकार्ड पर है तो चुनौती देने से शायद ही कोई लाभ मिले । फिलहाल इस एफआइआर से अर्की कांग्रेस में और अर्की की राजनीति में दोबारा से हलचल शुरू हो गई हैं।
अर्की नगर परिषद में एक अरसे से उठापठक ही चलती रही हैं ।
याद रहे अर्की नगर पंचााायके हुए चुनावों के दौरान नामांकन के साथ लगाए गए शपथ पत्र में अनुज गुप्ता ने गलत नो डयूज सर्टिफिकेट लगा दिया था कि उसकी ओर से सरकारी विभाग को कोई भी देय नहीं हैं। इस बावत नगर पंचायत अर्की के तत्कालीन सचिव व एसडीएम विकास शुक्ला ने गुप्ता को ये नो डयूज सर्टिफिकेट दे दिया था व तभी गुप्ता नामांकन भर सका था।
बाद में आरटीआइ में जानकारी में पता चला कि चुनाव जीतने के बाद गुप्ता ने 52 हजार रुपए का कर जमा करा रखा हैं। इस बावत अर्की के रमेश सोनी नामक व्यक्ति ने अर्की थाने से लेकर एसपी सोलन तक शिकायत की लेकिन जब कुछ नहीं हुआ तो उसने एडवोकेट आर एल ठाकुर के मार्फत अर्की की अदालत में 156/ 3 के तहत याचिका दायर कर गुप्ता व शुक्ला के खिलाफ एफआइआर करने की मांग कर दी।
अदालत में बतौर सरकारी दस्तावेज यानी लेजर भी लगा दिया गया है। जिससे साफ हो गया है कि नो डयूज सर्टिफिकेट झूठा था।
अदालत ने दस्तावेजों के आधार पर शुक्ला व अनुज गुप्ता के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के आदेश दे दिए व अर्की पुलिस को मजबूरन एफआइआर दर्ज करनी पड़ी। अब देखना है कि पुलिस क्या जांच करती है और नगर पंचायत के अध्यक्ष के लिए होने वाले चुनावों में अगले दो दिनों में क्या होता हैं।
(35)