शिमला। पंद्रह दिन में भी कांग्रेस सरकार अपना मंत्रिमंडल तो गठित नहीं कर पाई है लेकिन भ्रष्टाचारियों ने कनिष्ठ कार्यालय सहायक आइटी का पेपर लीक कर सुक्खू सरकार के नाम जरूर कर दिया है। यह पेपर लीक कांड कहीं और नहीं मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के गृह जिला हमीरपुर में ही हुआ है और अधीनस्थ सेवाएं चयन आयोग हमीरपुर की गुप्त शाखा में तैनात वरिष्ठ अधीक्षक उमा आजाद और उनके पुत्र निखिल आजाद ने इस कांड को अंजाम दे दिया है। विजीलेंस ने इस मामले में छह लोगों को गिरफतार कर लिया है व आरोपियों से पांच हजार रुपए बरामद किए हैं। विजीलेंस के अधिकारियों के मुताबिक प्रश्नपत्र की एवज में ढा लाख रुपए की मांग की गई थी।
विजीलेंस ने इस मामले को तब पकडा जब किसी ने शिकायत नहीं कि अगर शिकायत नहीं होती तो सुक्खू सरकार में पेपर लीक कांड का किसी को पता ही नहीं चलता।विजीलेंस मुख्यालय में डीएसपी कमल किशोर ने मीडिया से जानकारी साझा की है कि 25 दिसंबर को होने वाली इन परीक्षाओं का पेपर ढाई लाख में बेचने की शिकायतकर्ता को पेशकश की गई।
चूंकि शिकायत की गई थी तो विजीलेंस ने आज 23 दिसंबर शुक्रवार को जाल बिछाया और विजीलेंस ने संजय ऊर्फ संजीव नामक दलाल को चिन्हित किया। संजय ने शिकायतकर्ता से दोबारा संपर्क किया और उसे एनआइटी में मिलने को कहा । यहां से वह शिकायतकर्ता को हाउसिंग बोर्ड कालोनी स्थित ऊमा आजाद के घर ले गया । जहां पर ऊमा और उसके बेटे निखिल ने उसे उसे प्रश्न पत्र बेच दिया।शिकायत कर्ता ने पांच हजार रुपए ही इन्हें दिए थे व कहा था कि बाकी िके पैसये वह प्रश्नपत्र हासिल करने के बाद देगा। विजीलेंस ने दलाल के साथ-साथ मां-बेटे को पकड लिया । इसके अलावा दो अन्य लोगों को भी पकडा गया जिन्होंने प्रश्नपत्र की एवज मेंदलाल को आनलाइन भुगतान किया था।
साफ है के पुलिस पेपर लीक कांड के बाद की गई पुलिस जांच के बाद भ्रष्टाचारियों में कोई खौफ नहीं है। उधर ,आयोग के सचिव जितेंद्र कवंर ने कहा कि इन परीक्षाओं को रदद कर दिया गया हैं।
कमजोर सरकार का गया संदेश
इस पेपर लीक कांड से साफ हो गया है कि प्रदेश में नई सरकार होने को भ्रष्टाचारियों कोई खौफ नहीं हैं। भ्रष्टाचारियों के लिए यह कमजोर सरकार है और कोई भी कुछ भी करता जा रहा हैं। न कहीं कोई मंत्री है और न ही नौकरशाही का कुछपता हैं।संदेश जा रहा है कि प्रदेश में सरकार नाम की कोई चीज ही नहीं हैं। जयराम सरकार की तरह ही सुक्खू सरकार में भी भ्रष्टाचारी बेखौफ हैं व इस पेपर लीक कांड ने यह साबित कर दिया हैं।
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