शिमला। पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल के शासनकाल में नागरीय अधिकारों व कानूनों का सरेआम उल्लंघन कर सैंकड़ों लोगों के टेप किए गए फोन मामले में विजिलेंस ने छह महीने बाद एफआईआर दर्ज कर दी है। मजे की बात है कि जांच करने वाली इस एजेंसी ने छह महीने बाद भी कलाबाजी दिखाने का अपना जौहर नहीं छोड़ा । विजिलेंस ने इस अत्यंत गंभीर मामले में दर्ज एफआईआर में किसी अपराधी का नाम नहीं लिखा है। जबकि अपराधी अफसर,नेता और सारे सबूत विजिलेंस के सामने है।
विजीलेंस अधिकारियों कहना है कि जैसे -जैसे जांच आगे बढ़ेगी एफआईआर मेंनाम दर्ज होते जाएंगे। ये दलील जांच एजेंसियों के अफसर एक अरसे से देते आए है और ये सिलसिला बंद नहीं हो रहा है। ये एक रणनीतिक कदम है।जिसे देश भर एजेंसियां अपने अनुकूल परिसिथतियां देख इस्तेमाल करती है। जबकि मामूली लोगों को लपेटना हो तो उन्हें सीधे अंदर ठोक दिया जाता है।
ऐसे में ये जांच एजेंसी खुद ही सवालों के घेरे में आ गई है। विजिलेंस एक अरसे से यही खेल खेलती आ रही है। जिन अपराधों में बड़े नेता व अफसर शामिल होते हैं उनमें बिना नाम की एफआईआर दर्ज कर दी जाती है और सालों तक जांच चलती रही है।
सूत्रों के मुताबिक बुधवार को चुनाव प्रचार के बाद सचिवालय बैठे वीरभद्र सिंह से पत्रकारों ने सवाल- सवाल किए तो उन्होंने विजिलेंस अधिकारियों को निर्देश दिए।आखिरकार शाम को विजिलेंस ने इस मामले में टेलीग्राफ एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की।अब तक विजिलेंस विभाग अफसर इस बेहद संवेदनशील मामले में एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया को जांच के नाम पर टालते रहे थे।
धूमल सरकार में नेताओं,मंत्रियों,अफसरों के अलावा पत्रकारों के फोन भी टेप किए गए थे। बहुत से मामलों में तो बाकायदा अफसरों ने फोन टेपिंग की मंजूरियां दे रखी है। एक्ट और केंद्र सरकार की ओर इस संवेदनशील मसले पर बाकायदा दिशा निर्देश और प्रक्रिया तय की हुई है। उनका उल्लंघन नहीं हो सकता । सीएम वीरभद्र सिंह,चीफ सेक्रेटरी एस राय और विजीलेंस चीफ पृथ्वीराज समय-समय पर ये सार्वजनिक तौर पर कहते आए है कि धूमल सरकार के शासनकाल में एक्ट और इन दिशानिर्देशों की सरेआम अवहेलना की गई है। अब एफआईआर दर्ज हुई तो वो भी बिना नाम की। विजिलेंस की सारी जांच पर जितना पैसाभी खर्च होता है वो सारा पब्लिक फंड से जाता है।
बड़ा सवाल ये खड़ा हो गया है पब्लिक को डिफेक्टिव जांच और ऐसी जांच करने वाले अफसर क्यों चाहिए । क्या अफसर खेल खेल रहे है या है कोई और वजह एफआईआर में नाम शामिल न करने की।आप अपनी प्रतिक्रियाएं नीचे बॉक्स में जाकर टाइप करे। मर्यादित भाषा का ही इस्तेमाल करे।
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