शिमला। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के भ्रष्टाचार व अकूत संपमि एकत्रित करने का खुलासा करने वाले कांग्रेस के केंद्रीय मंत्री मोती लाल वोहरा,पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा को मानहानि मामले में बरी कर देने के सीजेएम शिमला के फैसले को धूमल हाईकोर्ट में चुनौती देंगे। उधर, मजेदार ये है कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने धूमल की संपतियों की जांच करने का जो काम विजीलेंस को सौंपा था। विजीलेंस का वो काम थम सा गया है।वीरभद्र सिंह के बेहद करीबी अफसर डीडब्ल्यू नेगी इस मामले में कतई भी आगे नहीं बढ़े है। हालांकि मोती लाल वोहरा व आनंद शर्मा के बरी हो जाने के बाद उन्हें बाकी आरोपों के अलावा इनआरोपों पर भी जांच के दायरे में लाने का मौका मिल गया है।
सीजेएम कोर्ट से आनंद शर्मा व मोती लाल वोहरा को धूमल की ओर से दायर मानहानि मामले में क्लीन चिट मिल जाने के बाद धूमल के खिलाफ इन नेताओं की ओर से लगाए गए आरोप कई कानूनविदों की राय में अभी स्टैंड करते है। इसका धूमल को राजनीतिक तौर पर नुकसान हो सकता है इसी राजनीतिक गुणा भाग को देखते हुए धूमल ने आज सीजेएम के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वो सीजेएम की जजमेंट का गहन अध्ययन करेंगे व कानूनविदों के साथ विमर्श करने के बाद इस फैसले को चुनौती देंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष प्रो0 प्रेम कुमार धूमल द्वारा दायर पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री आनंद शर्मा व कांग्रेस नेता मोती लाल वोरा के विरूद्ध मानहानि मामले को सीजेएम कोर्ट द्वारा मामले को रद्द किए जाने पर प्रो0 प्रेम कुमार धूमल ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि वह न्यायालय का सदा ही सम्मान करते हैं।धूमल ने कहा कि 2003 के चुनाव में कांग्रेस के नेताओं ने कीचड़ उछालो राजनीति का सहारा लेकर उन्हें बदनाम करने की कोशिश की थी लेकिन अलग अलग फोरम पर वह अपने बयानो से बचते व पलटते रहे तथा मामले को लम्बा खींचते रहे।
धूमल के इस बयान को लेकर राजनीतिक गलियारों में कई क्यास लगाए जाने लगे है। खास कर मोदी केबिनेट में मंत्री जगत प्रकाश नडडा का खेमा सीजेएम के फैसले से गदगद है।नडडा समर्थक खेमा इस फैसले को अलग नजरिए से देख रहा है। धूमल के लिए यही परेशानी का सबब है। उधर समझा जा रहा है कि बाकी राजनीतिक दल भी इस मसले पर राजनीति करने से पीछे नहीं हटेंगे।
लेकिन अब देखना ये है कि धूमल इस फैसले को चुनौती कब देते है।साथ ही बड़ा सवाल ये भी है कि वो चुनौती देते भी है या नहीं।अमूमन मानहानि मामले में अक्सर नेता फंस जाया करते है।उधर, वीरभद्र सिंह की विजीलेंस ने धूमल के खिलाफ संपति मामले में जांच को अभी तक रोका हुआ है। विजीलेंस आगे नहीं बढ़ रही है।
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