शिमला। मानदेय बढ़ाने व अपनी अन्य मांगों को लेकर रेजीडेंट डॉक्टरों ने हड़ताल क दी है। डाक्टर पंजाब की तर्ज पर मानदेय बढ़ाने की मांग कर रहे है।लेकिन सरकार ने इनकी मांगों को नहीं माना है।टांडा व आईजीएमसी के रेजीडेंट डाक्टरों ने दो घंटे तक पैन डाउन हड़ताल की व कोई काम नहीं किया।
उधर,इन रेजीडेंट डाक्टरों की मांगों का समर्थन करते हुए प्रदेश मेडिकल आफिसर एसोसिएशन ने हड़ताल का ठीकरा वीरभद्र सिंह सरकार के स्वास्थ्य सचिव के सिर फोड़ दियाहै। एसोसिएशन ने दिलचस्प दलील दी है कि अफसरशाही डॉक्टरों व सरकर के बीच खाई पैदा कर रही है। इसी के चलते स्वास्थ्य सचिव जानबूझ कर सीएम की अोर से मान ली गई मांगों को अमलीजामा पहनाने में आना काना कर रहे है।
एसोसिएशन के प्रधान संतलाल शर्मा व महासचिव जीवानंद चौहान ने रेंजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल को पुरी तरह जायज ठहराते हुए एलान किया है कि अगर मांगों को तुरन्त नहीं माना गया तो मजबूरी में उन्हें भी हड़ताल में उतरना पड़ेगा।
एचएमओए के अध्यक्ष डॉक्टर संतलाल शर्मा व महासचिव डॉक्टर जीवा नन्द चौहान ने हैरानी जताई है कि मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के साथ अगस्त को हुई एसोसिएशन के साथ हुई वार्ता में उनकी मांगो को मंजूरी दी थी पर अफसर शाही ने आज दिन तक उन्हें कार्यन्वित नहीं किया है। मुख्यमंत्री ने 90 दिनों के भीतर डॉक्टरों की वरियता सूची बनाने का आदेश दिया था वह भी पूरा नहीं हुआ। डॉक्टरों की सुरक्षा का मामला भी खटाई में पड़ा है। इससे साफ है कि अफसर शाही डॉक्टरों के प्रति पुरी तरह नाकारात्मक है।
एचएमओए ने स्वास्थ्य सचिव के नाकारात्मक रवैय की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि डॉक्टरों की लम्बें समय से पड़ी मांगो पर कोई विचार नहीं किया जा रहा है। रेंजिडेंट डॉक्टरों के मानदेय को तुरन्त बढ़ाने का समर्थन करते हुए एचएमओए ने कहा है कि अन्य राज्यों की अपेक्षा हिमाचल में आरडीए डॉक्टरों का मानदेय बहुत कम है जबकि डॉक्टरों की पढ़ाई आज के समय में बहुत मंहगी हो गई है। उन्होंने कहा है कि डॉक्टरों के साथ अन्याय सहन नहीं किया जाऐगा।
एमएमओए ने स्वास्थ्य सचिव को चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह द्वारा मानी गई मांगो को तुरन्त कार्यन्वित नहीं किया तो उन्हें भी हड़ताल पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा जिसकी पूरी जिम्मेवारी उनकी होगी।
(1)