शिमला। प्रदेश के विभिन्न इलाकों में केवल दलितों,विधवा महिलाओं व गरीबों के अवैध जमीन पर कब्जों को हटाने पर गुस्साई हिमाचल किसान सभा व सेब उत्पादक संघ ने जनता से पंचायत चुनावों में कांग्रेसी प्रत्याशियों को हराने का आहवान किया है। प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर हमला करते हुए इन दोनों संगठनों ने मांग की कि वो श्वेत पत्र जारी कर ये खुलासा करे कि सरकारी एजेंसियों ने दस बीघा से ज्यादा जमीन कब्जाने वाले कितने लोगों के खिलाफ कार्रवाई की है। इन संगठनों ने कहा कि सरकार ने हाईकोर्ट के आदेशों की आड़ में केवल व केवल गरीबों को उजाड़ा है।ऐसी पार्टी व ऐसी सरकार को सता में नहीं रखा जाना चाहिए।
प्रदेश सेब उत्पादक संघ के अध्यक्ष राकेश सिंघा व हिमाचल किसान सभा के अध्यक्ष कुलदीप तंवर ने एक संवाददाता सम्मेलन में प्रदेश की वीरभद्र सिंह को दलित विरोधी,गरीब विरोधी व गरीब विरोधी करार देते हुए कहा कि केवल और केवल छोटे लोगों को उजाड़ा जा रहा है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार सता में है इसलिए उसकी ज्यादा जिम्म्ेदार है कि वो अदालत में तथ्यों को सही परिपेक्ष्य में रखे।
सिंघा ने साथ ही ये भी साफ कर दिया कि वो भाजपा को इस मामले में क्लीन चिट नहीं दे रहें है। ये भाजपा सरकार ही है जिसने प्रदेश की जनता से शपथपत्र लेकर अवैध कब्जों को नियमित करने का लालच दिया। तब से लेकर अब तक भाजपा ने भी कुछ नहीं किया।
सिंघा ने कहा कि सरकार अपने हाथ खड़े कर दें कि वो इस मामले में अदालत में किसानों का पक्ष रखने में नाकाम है। किसान सभा व सेब उत्पादक संघ दखल देगी। उन्होंने ये स्वीकार किया कि अदालत में जो महत्व सरकार की ओर से पक्ष रखने का वो बाकी संगठनों का नहीं है।किसान सभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि प्रदेश में 9.60 लाख जोतें हैजिनमें से बीजेपी के शासन में पौने दो लाख जोतों वालों ने अवैध कब्जों को लेकर शपथ पत्र दे रखे है।
प्रदेश सरकार ने इन परिवारों को जो कुल परिवारों का 20 प्रतिशत बनता है को,पंचायत चुनावों में लड़ने से बाहर कर दिया है।उन्होंने कहा कि ऐसे में गरीब ,दलित व महिलाएं चुनाव लड़ने के संविधान में दिए गए अपने अधिकार से वंचित करदी गई है।ये गलत है । ऐसा कई और राज्य भी कर रहे है।
उन्होंने कहा कि पंचायत चुनाव पार्टी चिन्ह पर लड़े जाने चाहिए।बाद में जो प्रत्याशी जीतता है,उसे कांग्रेस व भाजपा नेता प्रभाव का इस्तेमाल कर अपने दल में मिला लेते है।उन्होंने कहा कि ऐसे प्रत्याशियों को न जीताएं ।
अवैध कब्जों के नाम पर उजाड़ दिए परिवार-:
प्रदेश सेब उत्पादक संघ केअध्यक्ष राकेश सिंघा ने जिन लोगों के घर व बगीचेउजाड़े है उनकी एक लंबी फेहरिस्त गिनाई।सिंघा ने कहा कि 22 तारीख को आनी के शीली व चुवाई में छह दलित परिवारों के सेब के पेड़ काट दिए। इनमें से नरायणु राम ने तीन बीघा,धनराज ने तीन बीघा 10विस्वा,राजेंद्र ने 2बीघा10विस्वा,अमलू देवी जो विधवा है ने 1बीघा 10 विस्वा,सतीशकुमार ने एक बीघा 10 विस्वा,जमीन पर कब्जा किया था।इनके पास कोई भूमि नहीं थी तो 2002 में भाजपा सरकार के समय इन्होंने शपथपत्र देकर ये जमीन कब्जाई व यहां पर सेब के पेड़ लगा दिए।अब 13 साल बाद 2015 में जब इनको इस जमीन से आय होने लगी तो किसी की जमीन पर 70 ,किसी के 50 व किसीके 40 पेड़ों को काट डाला।जबकि सीएम ने भरोसा दिया था कि किसी को उजाड़ा नहीं जाएगा। लेकिन पुलिस व प्रशासन के70 लोगों की फौज लोगों को उजाड़ने पहुंच रही है।
इसी तरह लाहुल स्पिति के गांव दारचा,जोरनाम,घाटी, कुमकुम,सेरी व शकोटा में 1997 में ग्लेशियर में 193 परिवारों की जमीन तबाह हो गई थी।यहां के193 परिवारों को सरकार ने सरकारी जमीन पर बसा दिया।इन्हें अवैध कब्जाधारी करार देकर इनके घरों कीबिजली इस जाड़े के मौसम में काट दी है। इनमें से बेबस 64 परिवारों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा आग्रह किया है कि उनके परिवार है व इस जाड़े में उनकी बिजली न काटी जाए।
सिंघा ने कहा किन्नौर के चंगाव में यशोधा नामक दलित महिला ने केवल एक विस्वा सरकारी भूमि पर कब्जा कर रखा था । उसने जिला परिषद के लिए नामांकन भरा तो कांग्रेस पार्टी के विधायक व स्पीकर जगत सिंह ने एसडीएम निचार को फोन कर इसका नामांकन रदद करवा दिया। जबकि बड़े मगरमच्छो को छुआ तक नहीं जा रहा है।
उन्होंने कहा कि तकलेच पंचायत के दमराड़ी गांव में दलित दयाराम के 60 पेड़ काट दिए ,गुडडी देवी के अढाईबीघा में पेड़ काटदिए।छवारा ब्लाक में बाढ़ के कारण मैनराम की जमीन तबाह हो गई थी। उसने वै कल्पिक जमीन मांगी वो नहीं दी गई।जुलाई में छोटी वैरायटी के198 पेड़ काट दिए।खंगरेटी में 1991 में बादल फटा था जिसमें दलितों की जमीने बह गई। वहां जुलाई में सात परिवारों विधाव रिक्मू देवी,इंद्रा देवी,शंकरसिंह,दीवान चंद,मोती लाल और प्यारे लाल के सेब के पेड़ काट दिए।कुमार सैन में एक टीचर का घर उखाड़ दिया।यही स्थिति प्रदेश केबाकी इलाकों में भी है।
सिंघा ने कहा कि सरकार एक तरफ भरोसा देती है वोकिसी का घर नहीं उजाड़ेंगे जबकि दूसरी ओर वो कार्रवाई कर रही है।
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