शिमला। वित विधेयक के दौरान सदन से गैर हाजिर रहने पर अयोग्य ठहराए गए छह कांग्रेस के विधायकों की याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इन विधायकों के वकीलों से कहा कि वो इस मामले हाईकोर्ट क्यों नहीं गए। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि इस मामले में मौलिक अधिकारों की क्या बात है। जैन ने कहा कि विधायकों की सदस्यता रदद कर दी गई है।
अदालत ने पूछा ये तो मौलिक अधिकार नहीं हैं। जैन ने कहा कि उनकी सर्विस तक नहीं हुई हैं। अदालत ने कहा कि इस बात को तो स्पीकर ने अपने फैसले में साफ किया है कि इ मेल व वाटसएप के जरिए सर्विस हुई हैं। जैन ने कहा कि यह विरल में से विरलतम मामला है । विधायकों को 18 घंटों के भीतर अयोग्य ठहरा दिया गया।
इस पर जस्टिस खन्ना ने कहा कि चलों ये पीठ आपको को सुनेगी।
इससे पहले सुनवाई के दौरान जैन ने कहा कि इस मामले में वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे को आनलाइन जुड़ना था। वह जुड़ नहीं पाए। इसलिए मामले की सुनवाई स्थगित कर दी जाए। यह मामला पहले 36वें नंबर पर लगा था लेकिन इन विधायकों की ओर से हरीश साल्वे पैरवी करने आनलाइन नहीं जुड़ पाए। उसके बाद इसे दोवारा बाद में सुनवाई के लिए लगाया गया लेकिन साल्वे तब भी पैरवी करने नहीं जुड़ पाए। अदालत ने कहा कि शुक्रवार या सोमवार को अगली सुनवाई हो सकती हैं। अब मामले की सुनवाई को होनी निश्चित हुई हैं। दूसरी ओर से कपिल सिब्बल व अभिषेक मनु सिंघवी की ओर से पैरवी के लिए अदालत में हाजिर थे।
याद रहे कि 27 फरवरी को राज्यसभा चुनावों में क्रास वोटिंग करने वाले छह विधायकों को प्रदेश विधानसभा के स्पीकर वित विधयेक के दौरान गैर हाजिर रह कर व्हीप का उल्लंघन करने पर अयोग्य ठहरा दिया था व उनकी सदस्यता रदद कर दी थी ।
अब विधायक जिनमें सुधीर शर्मा, राजेंद्र राणा, देवेंद्र भुटटो, चैतन्य शर्मा ,रवि ठाकुर और इंद्र दत लखनपाल शामिल है । 28 फरवरी के बाद से वह हरियाणा व उतराखंड के आलीशान होटलों में घूम रहे हैं। बहरहाल अब मामले की सुनवाई सेमवार तक स्थगित हो गई हैं।
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