शिमला। भ्रष्टाचार के आीरापों से घिरे मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा है कि प्रेम कुमार धूमल का परिवार, प्रशांत भूषण तथा अरूण जेतली एक साथ मिलकर उनकेखिलाफ एक जैसे आरोप लगा रहे हैजिससे षड़यंत्र की बू आती है। उन्होंने कहा कि प्रशांत भूषण तथा धूमल परिवार अपने कारनामों की जांच की तपिश झेल रहा है और जेतली को हिमाचल प्रदेश में धूमल परिवार के वकील के रूप में जाना जाता है, जो पूर्व में एचपीसीए मामले में भी धूमल परिवार की ओर से पेश हुए थे।
उन्होंने जेतली से जानना चाहा कि ऐसा क्या कारण है कि वे धूमल परिवार की ओर से बोल रहे हैं। उन्होंने जानना चाहा कि उनकी धूमल तथा उनके परिवार में क्या विशेष रूचि है। क्या उन्हें धूमल परिवार का पक्ष रखने के लिए वकील के रूप में भुगतान किया गया है या यह एक क्रिकेट कम्पनी का अपने साथी के प्रति नरम रवैया है या इसके भीतर कुछ और ही है, क्योंकि वे लगातार वही बातें कह रहे हैं, जो प्रेम कुमार धूमल के पुत्र ने शिमला में पांच बार प्रेस कांफ्रेंस करके कही हैं। उन्होंने कहा कि जेतली तथा धूमल अपने आप ही शिकायतकर्ता, वकील तथा जज की भूमिका निभा रहे हैं और एक साथ आरोप भी लगाते हैं, दोषी भी ठहराते हैं और निर्देश भी जारी करते हैं।
उन्होंने कहा कि वे उनकी सार्वजनिक छवि को खराब करने के लिए इस प्रकार की धमकियों एवं दुष्प्रचार से घबराने वाले नहीं है।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि कांग्रेस की चार्जशीट की जांच अब तेज होगी। इस आरोप पत्र में धूमल, उनके परिवार के सदस्यों, मंत्रियों तथा अन्य लोगों के विरूद्ध भ्रष्टाचार तथा भूमि घोटालों से संबंधित अनेक मामले शामिल थे। इसके अतिरिक्त इनमें रामदेव के पतंजलि योगपीठ, प्रशांत भूषण के न्यास, एचपीसीए के होटल, बैमलोई निर्माण, अनाडेल क्षेत्र जैसे घोटाले शामिल हैं।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि शिमला स्थित बैमलोई निर्माण परियोजना सहित अनेक मामलों में पीके धूमल तथा उनके परिवार के सदस्यों की भूमिका दिखती है। धूमल सरकार ने इस परियोजना को रातों-रात स्वीकृति दिलवाई और मृतक लोगों के आवेदन पर बैमलोई कॉलोनी के लिए वन क्षेत्र में सड़क निर्माण के लिए 32 लाख रुपए जारी किए। इस परियोजना के लिए कई पेड़ों को गिराया गया। धूमल सरकार ने उनके पुत्र के नेतृत्व वाले हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ को प्रदेश के पांच स्थानों पर 200 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की बेशकीमती भूमि दी। धर्मशाला में एचपीसीए के क्रिकेट स्टेडियम के निर्माण के लिए सरकारी सम्पत्ति को गैर कानूनी तरीके से गिराया गया। धूमल की सरकार ने गैर कानूनी ढंग से अपने राजनीतिक विरोधियों, अपने ही मंत्रियों, अधिकारियों व मीडिया कर्मियों के फोन टैप किए जो एक गम्भीर घोटाला है। इन सभी मामलों में गंभीर अपराधिकता जुड़ी है और इस पर जांच अग्रिम चरण में है। धूमल तथा उनके पुत्र दबाव की राजनीति कर ओछे राजनीतिक हथकंडे अपना रहे हैं।
ऐसा आभास होता है कि धूमल परिवार काले धन को वैध बनाने तथा बेनामी भूमि सौदों जैसे गंभीर मामलों में संलिप्त होने के साथ-साथ आय से अधिक सम्पत्ति जैसे गंभीर मामलों में शामिल है।
आरोप पत्र में दायर इन सभी गंभीर मामलों की अब जांच चल रही है और भाजपा के नेता इसकी तपिश महसूस कर रहे है। उन्होंने कहा कि विधान सभा चुनाव के दौरान अरूण जेतली सहित भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं ने उनके खिलाफ आयकर मामले तथा इस्पात कम्पनी को कथित रूप से लाभ पहुंचाने जैसे बेबुनियाद एवं आधारहीन आरोप लगाए थे। जेतली ने न केवल गैर कानूनी तरीके से उनकी आयकर रिर्टन की विस्तृत जानकारी प्राप्त की, जिसे आयकर दाता की अनुमति के बिना आर.टी.आई. के तहत भी प्राप्त नहीं किया जा सकता, बल्कि उन्होंने अपनी पार्टी की सुविधा के लिए इसके कुछ अंश छुपाए।।
अरूण जेतली द्वारा लगाए गए आरोपों के आधार पर भाजपा के नेताओं द्वारा करवाई गई गुमनाम शिकायत व दिल्ली उच्च न्यायालय में प्रशांत भूषण द्वारा दायर की गई जनहित याचिका के आधार पर सीबीआई की दिल्ली ब्रांच द्वारा प्राथमिक जांच की जा रही है। प्रशांत भूषण ने यह जनहित याचिका तब दायर की, तब हिमाचल प्रदेश सरकार ने उनके विरूद्ध पालमपुर में कुमुद भूषण शिक्षण समिति के नाम पर गैर कानूनी रूप से चाय बागान खरीदा, जबकि वह ऐसा नहीं कर सकते थे, क्योंकि चाय बागान तथा चाय उद्योग से संबद्ध भूमि के बेचने पर पूर्ण प्रतिबंध है। उन्होंने कहा कि वक्कामूला से उन्होंने चैक के माध्यम से उनसे ब्याज पर व्यक्तिगत ऋण लिया।
उन्होंने कहा कि जुलाई, 2011 से नवम्बर, 2011 के बीच उनके द्वारा 2.40 करोड़ रुपये तथा प्रतिभा सिंह द्वारा डेढ़ करोड़ रुपये का ऋण लिया गया था। इसमें से उन्होंने चैक के माध्यम से अपने बेटे विक्रमादित्य सिंह को 1.20 करोड़ रुपये दिए। इस अवधि के दौरान प्रदेश में भाजपा की सरकार थी। अतः इस व्यक्ति को लाभ पहुंचाने का प्रश्न ही पैदा नहीं होता।
उन्होंने कहा कि उनके परिवार के सदस्यों ने तारिणी इनफ्रास्ट्रक्चर लिमिटड से शेयर खरीदे थे। उन्होंन कहा कि इन शेयरों का पूर्ण रूप से भुगतान किया गया है और इन्हें वर्ष 2009 में प्राथमिक शेयर के रूप में खरीदा गया और इसे 2010-2011 में स्वीकृत किया गया। शेयर प्राप्त करने के लिए सभी नियमों का पालन किया गया और मैसर्ज तारिणी इनफ्रास्ट्रक्चर लिमिटड से शेयर खरीदने में किसी भी प्रकार के नियमों का उलंघन नहीं किया गया।
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रेम कुमार धूमल व अरूण जेतली अपनी जानबूझ कर वास्तविक तथ्यों को अपने राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए छुपा रहे हैं। वे अनेक तथ्यों को छुपा रहे हैं और महत्वपूर्ण तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश कर लोगों को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं।
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