शिमला। सुजानपुर विधानसभा हलके से भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र राणा की हार के साथ ही भाजपा के प्रदेश के सबसे बड़े नेता पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल का बदला पूरा हो गया हैं। राणा से तो हिसाब चुकता हो गया है अब भाजपा में नडडा –जयराम खेमे से हिसाब पूरा करना बाकी रह गया हैं। ये धूमल के वफादारों का कहना हैं।
इन वफादारों की माने तो इन चुनावों में हिसाब चुकता करने का मौका भी नडडा, मोदी और शाह ने ही दिया व कांग्रेस की सुक्खू सरकार को तोड़ने के मंसूबे के साथ छह कांग्रेस विधायकों को भाजपा में शामिल करा लिया और उन्हें टिकट भी दे दिया।
धूमल ने इस मौके को हाथ से नहीं जाने दिया। उन्होंने अपने पुत्र अनुराग ठाकुर की जीत को सुनिश्चित करने के बाद राणा से हिसाब चुकता करने खाका सोचा और 2022 में सुजानपुर से भाजपा प्रत्याशी कैप्टन रंजीत राणा को कांग्रेस में जाने से नहीं रोका। बताते है कि कैप्टन को लेकर फैसला चंडीगढ़ में सिरे चढ़ा और नई बिसात बिछी देख मुख्यमंत्री सुक्खू ने कैप्टन को कांग्रेस में शामिल करने व उन्हें पार्टी का टिकट दिलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। सुक्खू ने यहां पर बाकी सभी टिकट के दावेदारों को कैप्टन के पक्ष में खड़ा होने के लिए मना लिया।
लेकिन अब कैप्टन को जीताना टेड़ी खीर थी। ऐसे में राणा के खिलाफ भाजपाइयों का गुब्बार फूट गया और उन्होंने राणा को जातने नहीं दिया। राणा अपनों को भी अपने साथ नहीं कर पाए।
इस पर धूमल ने पीछे से सबका साथ दिया और राजेंद्र राणा की हार निश्चित कर दी।
इस बार राणा को हालीलाज कांग्रेस का साथ भी नहीं मिल पाया। बेशक संघ और नडडा –जयराम भाजपा मोर्चा संभाले रही लेकिन धूमल की राजनीति जब तक वो समझ पाते तब तक काम हो चुका था। इसके बाद आखिर में सुक्खू ने राणा की तमाम गतिविधियों को पुलिस के राडार पर ला दिया व आखिर में कुछ भी नहीं कर पाए।
अब धूमल को ये देखना है कि राणा का कद भाजपा में नडडा व जयराम कितना बढ़ा पाते हैं और राणा संघ की बैसाखियों के सहारे कहां तक पहुंच पाते हैं।
जो भी हो राणा की हार से सबसे ज्यादा अगर किसी नेता को सुकून मिला है तो वह प्रेम कुमार धूमल हैं।
चूंकि केंद्र में भाजपा में मोदी और शाह की पकड़ अब ढीली हो जाएंगी ऐसे में अब धूमल व उनके खेमे की की निगाह जयराम व नडडा भजपा पर रहेगी। अब उनसे हिसाब चुकता करना बाकी रह गया हैं।
याद रहे एक जमाने में राजेंद्र राणा ने हालीलाज कांग्रेस और भाजपा में नडडा खेमे की पीठ पर चढ़कर प्रदेश भाजपा के सबसे बड़े नेता प्रेम कुमार धूमल का राजनीतिक करियर तबाह कर दिया था। उन्होंने 2017 में बड़ा उल्टफेर करते हुए भाजपा के मुख्यमंत्री के चेहरे प्रेम कुमार धूमल के मुंह से मुख्यमंत्री का पद छीन लिया था। मादी-शाह-नडडा की जुंडली ने 2017 के विधानसभा चुनावों में धूमल का टिकट सुजानपुर कर दिया था।इससे धूमल निराशा हो गए थे।
उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा भी घोषित नहीं किया था लेकिन बाद में जब मोदी-शाह को लगा कि प्रदेश में भाजपा की सरकार नहीं बन सकती तो अमित शाह ने सिरमौर में एक चुनावी सभा में धूमल को मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर दिया। इन चुनावों में भाजपा जीत गई लेकिन धूमल हार गए। उसके बाद भाजपा ने उनका बहुत बुरा हश्र किया। उन्हें अपमान का हर घूंट पिलाया गया और 2022 में भी उन्हें टिकट नहीं दिया गया।
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