शिमला। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बतौर केंद्रीय स्टील मंत्री के कथित भ्रष्टाचार व आय से अधिक संपति अर्जित करने के मामले को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए अदालत ने सीबीआई से छह सप्ताह में जांच की स्टेटस रिपोर्ट अदालत में पेश करने के आदेश दिए है। अदालत ने अब मामले की सुनवाई फरवरी के लिए निर्धारित की है। ये जनहित याचिका मशहूर समाज सेवी एचडी शौरी की ओर से गठित स्वयं सेवी संस्था कॉमन कॉज की ओर से दायर की गई है।
कॉमन कॉज की ओर से पैरवी करते हुए प्रशांत भूषण ने कहा कि ये पूर्व केंद्रीय स्टील मंत्री और हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के भ्रष्टाचार का खुला मामला है । सीवीसी और सीबीआई ने इस मामले में कुछ नहीं किया है।इस पर सीबीआई के वकील ने कहा कि वह पहले से इस मामले में जांच कर रही है।
याचिका में वीरभद्र सिंह की आयकर विभाग में भरी रिटर्न में आय के बढ़ने के मामले के अलावा कहा गया है कि 30 नंवबर 2010 में आयकर विभाग की एक टीम स्टील किंग लक्ष्मी ए मित्तल के भाइयों प्रमोद व विनोद मित्तत की स्टील इंडस्ट्री के कई कार्यालयों में छापे मारे थे।
1 दिसबंर 2010 को आयकर विभाग ने इस्पात इंडस्ट्री से दस्तावेज जब्त किए।इन दस्तावेजों में कुछ एंट्रीज दिखाई गई है।इन एंट्रीज से लगता है कि 2007 के बाद उनके स्टाफ की ओर से विभिन्न लोगों को दिए कैश का जिक्र किया गया है। आयकर विभाग की ओर से जब्त की गई स्प्रैड शीट में वीबीएस के नाम से 28 अक्तूबर2009 को 50 लाख,23 दिसबंर को 50 लाख,24 अप्रैल 2010 को 27 लाख 74 हजार 535 और 24 अगस्त को एक करोड़ रुपए दर्शाए गए है।स्प्रैड शीट में 15 अप्रैल 2010 को 15 लाख रुपए मिन आफ स्टील एपीएस के नाम के आगे भी दर्शाए गए है।ये सारी पेमेंट अढाई करोड़ के करीब बनती है।
अभी तक संदेह जताया जा रहा है कि वीबीएस का मतलब वीरभद्र सिंह और और एपीएएस का मतलब आनंद प्रताप सिंह है। आनंद प्रताप सिंह इन दिनों विजीलेंस ब्यूरो में डीआईजी। याचिका में कहा गया है कि वीरभद्र सिंह इन दस्तावेजों में दर्ज वीबीएस को अपना नाम मानने से इंकार कर रहे है। लेकिन जब 2012 में वीरभद्र सिंह ने 2009-10,2010-11 और 2010-12 की 2 मार्च 2012 को रिवाइज्ड रिजर्न भरी तो उनकी कृषि योग्य आय 30 गुना और 18 गुना बढ़ी हुई दर्शाई गई।
याचिका में कहा गया है कि आनंद चौहान नामक एक व्यक्ति ने शिमला के पीएनबी बैंक खाते में 24 अप्रैल 2008 से 31 मार्च 2010 तक 5 करोड़ के करीब कैश जमा किया और बाद में चैक के जरिए उसने वीरभद्र सिंह, उनकी पत्नी व सांसद प्रतिभा सिंह,इनकी पुत्री अपराजिता कुमारी और पुत्र विक्रमादित्य के नाम से एलआइसी के बतौर प्रीमियम जमा कराए है।याचिका में आनंद चौहान और वीरभद्र सिंह के बीच बगीचे की देखरेख को लेकर हुए एमओयू का जिक्र किया है। याचिका में आरोपलगाया गया है कि ये एमओयू बाद बैकडेट से बनाया गया है।याचिका कर्ता ने इस सारे मामले की जांच सीबीआई और डायरेक्टर आयकर से कराने की गुहािर लगा रखी है। दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका पर आज सीबीआई को छह सप्ताह में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिए है।
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