नई दिल्ली। दिल्ल्ाी हाईकोर्ट में हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के केंद्रीय स्टील मंत्री रहते हुए कथित वीबीएस घोटाला मामले में आज सुप्रीम कोर्ट के नामी वकील प्रशांत भूषण और और कपिल सिब्बल आमने सामने हुए। प्रशांत भूषण ने सीबीआई निदेशक रंजीत सिन्हा पर निशाना साधा और कहा कि सारे सबूत होने के बावजूद निदेशक वीरभद्र सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं होने दे रहे है।वह उन्हें बचाने का प्रयास कर रहे है। जबकि सिंह के खिलाफ मनी लांडरिंग,अधिक आय के स्पष्ट दस्तावेजी सबूत है।उन्होंने दलील कि आयकर जांच के बावजूद सीबीआई 18 महीनों से प्रारंभिक जांच ही कर रही है।
उन्होंने कहा कि आयकर विभाग ने जांच के बाद वीरभद्र सिंह के नाम बीस करोड़ रुपए का हिसाब किताब निकाला है जिसको लेकर आयकर विभाग ने वीरभद्र सिंह की व्याख्याओं को दरकिनार कर दिया।भूषण ने अदालत से आग्रह किया कि वीरभद्र सिंह के खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज की जाए हालांकि अदालत ने इस पर फिलहाल कोई आब्जर्वेशन नहीं दी।बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान आयकर विभाग ने सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंपी।
उधर, दूसरी ओर वीरभद्र सिंह की ओर से कपिल सिब्बल पहली बार मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जी रोहिणी और जस्टिस जयंत नाथ की अदालत में पेश हुए और अदालत में दलील दी कि प्रशांत भूषण के खिलाफ हिमाचल सरकार ने जमीन खरीद मामले में जांच शुरू की हुई है ।जिसमें अनियिमितताएं हुई है। इसलिए भूषण की ये याचिका पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन नहीं बल्कि पर्सनल इंटरेस्ट लिटिगेशन है। उन्होंने दलील दी कि प्रशांत भूषण ये सब अपनी जमीन का विवाद सुलझााने के लिए कर रहे है और पीआईएल का दुरुपयोग कर रहे है।
वीरभद्र सिंह की ओर से कपिल सिब्बल लिखित में सबमिशन लाए थे। जिन्हें अदालत ने लेने से इंकार कर दिया और सिब्बल को शपथ पत्र के साथ पर अपना पक्ष करने के निर्देश दिए।दोनों पक्षों की ओर से दलीलें सुनने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने आयकर विभाग और सीबीआई से पूरी रिकार्ड तलब किया और मामले की सुनवाई अब 1सिंतबर को निर्धारित की है।
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