शिमला। दिल्ली हाईकोर्ट ने प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के भ्रष्टाचार के मामले को लेकर चल रही सीबीआई जांच पर असंतोष जाहिर करते हुए सीबीआई को फटकार लगाई है। दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि सीबीआई जिस तरह रिपोर्ट लेकर आई है वह संतोषजनक नहीं है। अदालत ने कहा कि इस मामले पर इतना समय हो गया है लेकिन अभी तक सीबीआई ज्यादा कुछ नहीं कर पाई है। आज मामला कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश की अदालत में लगा। अदालत ने सीबीआई को आदेश दिए कि वो जांच प्रक्रिया को जल्द अंजाम दे।
इस मौके पर कॉमन कॉज की ओर से अदालत में पेश हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि उन्होंने याचिका कर्ता की ओर से एक और ताजा अर्जी दायर की है। जिसमें वीरभद्र सिंह व उनके परिवार के सदस्यों के भ्रष्टाचार व मनी लॉंडरिंग के कारनामों को उजागर किया गया है। अदालत ने सीबीआई ने इन मसलों पर भी नये सिरे से स्टेटस रिपोर्ट तलब की है। अब मामले की आगामी सुनवाई 30 अप्रैल को होगी।
प्रशांत भूषण ने कॉमन कॉज की ओर से वीरभद्र सिंह के कें्रदीय स्टील मंत्री रहते हुए वीबीएस रिश्वत कांड की जांच कराने की मांग की थी। दिल्ली हाईकोर्ट में इस मामले में सीबीआई ने कहा था कि वो इस मामले की पहले से जांच कर रहे है। अदालत ने सीबीआई से स्टेटस रिपोर्ट तलब की जिसे सीबीआई ने 12 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट में पेश कर दिया। 12 मार्च को अदालत ने कहा था कि रिपोर्ट पढ़ने के बाद आगे का कदम उठाएगी। आज अदालत ने रिपोर्ट पर असंतोष जाहिर कर दिया।
कॉमन काज के डायरेक्टर कमल कांत जसवाल की ओर से दायर नई अर्जी में वीरभद्र सिंह व उनके परिवार की सदस्यों के खाते मेें वकामूला की ओर से जमा कराए गए पैसे, सेब की फसलों की आय रिवाइज्ड आय कर रिटर्न में कई गुना बढ़ने, पांच करोड़ के बीमा प्रीमियम भरने समेत कई मसलों को उठाया गया है। इन सब आरोपों को अरुण धूमल कई बार उठा चुके है। अदालत ने सीबीआई को आज इस अर्जी पर ताजा स्टेटस रिपोर्ट देने के निर्देश दिए।
इस मामले में सीबीआई वीरभद्र सिंह से पूछताछ भी कर चुकी है। अब 30 अप्रैल को सीबीआई की ओर से पेश की जाने वाली स्टेटस रिपोर्ट से पता चलेगा कि उनकी मुश्किलें बढ्ेंगी या घटेंगी।
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