मौत का अहसास व्यक्ति को छह माह पूर्व ही हो जाता है। विकसित होने में 9 माह लेकिन मिटने में 6 माह। 3 माह कम।भारतीय योग तो हजारों साल से कहता आया है कि मनुष्य के स्थूल शरीर में कोई भी बीमारी आने से पहले आपके सूक्ष्म शरीर में छः माह पहले आ जाती है यानी छः माह पहले अगर सूक्ष्म शरीर पर ही उसका इलाज कर दिया जाए तो बहुत.सी बीमारियों पर विजय पाई जा सकती है। .ओशो
यदि किसी इमारत के सबसे नीचे की मंजिल को खोद दें। ऐसे व्यक्ति की आंखों के सामने बार.बार अंधेरा छा जाता है। उठते समयए बैठते समय या सफर करते समय अचानक आंखों के सामने अधेरा छा जाता है। यदि यह लक्षण दो.तीन सप्ताह तक बना रहे तो तुरंत ही योगए आयुर्वेद और ध्यान की शरण में जाना चाहिए या किसी अच्छे डाॅक्टर से सलाह लें।माना यह भी जाता है कि इस अंधेरा छा जाने वाले रोग के कारण उस चांद में भी दरार जैसा नजर आता है। यह उसे लगता है कि चांद दो टुकड़ों में है,जबकि ऐसा कुछ नहीं होता।
आंखों की कमजोरी से संबंधित ही एक लक्षण यह भी है कि व्यक्ति को दर्पण में अपना चेहरा न दिखकर किसी और का चेहरा होने का भ्रम होने लगता है।
जब कोई व्यक्ति चंद्र , सूर्य या आग से उत्पन्न होने वाली रोशनी को भी नहीं देख पाता है तो ऐसा इंसान भी कुछ माह और जीवित रहेगा, ऐसी संभावनाएं रहती हैं।
जब कोई व्यक्ति पानी में, तेल में, दर्पण में अपनी परछाई न देख पाए या परछाई विकृत दिखाई देने लगे तो ऐसा इंसान मात्रा छह माह का जीवन और जीता है।
जिन लोगों की मृत्यु एक माह शेष रहती है वे अपनी छाया को भी स्वयं से अलग देखने लगते हैं। कुछ लोगों को तो अपनी छाया का सिर भी दिखाई नहीं देता है।
आयुर्वेदानुसार मृत्यु से पहले मानव शरीर से अजीब.सी गंध आने लगती है। इसे मृत्यु गंध कहा जाता है। यह किसी रोगादि हृदयाघात, मस्तिष्काघात आदि के कारण उत्पन्न होती है। यह गंध किसी मुर्दे की गंध की तरह ही होती है।
इटली के वैज्ञानिकों के अनुसार मरते वक्त मानव शरीर से एक खास किस्म की बू निकलती है। इसे मौत की बू कहा जा सकता है। मगर मौत की इस बू का अहसास दूसरे लोगों को नहीं होता। इसे सूंघने वाली खास किस्म की कृत्रिम नाक
यानी उपकरण को विकसित करने के लिए इटली के वैज्ञानिक प्रयासरत हैं।
ंश्वास लेने और छोड़ने की गति भी तय करती है मनुष्य का जीवन। प्राणायाम करते रहने से सभी तरह के रोगों से बचा जा सकता है।
जिस व्यक्ति का श्वास अत्यंत लघु चल रहा हो तथा उसे कैसे भी शांति न मिल रही हो तो उसका बचना मुश्किल है। नासिका के स्वर अव्यवस्थित हो जाने का लक्षण अमूमन मृत्यु के 2.3 दिनों पूर्व प्रकट होता है।
कहते हैं कि जो व्यक्ति की सिर्फ दाहिनी नासिका से ही एक दिन और रात निरंतर श्वास ले रहा है सर्दी.जुकाम को छोड़कर तो यह किसी गंभीर रोग के घर करने की सूचना है। यदि इस पर वह ध्यान नहीं देता है तो तीन वर्ष में उसकी मौत तय है।
जिसकी दक्षिण श्वास लगातार दो.तीन दिन चलती रहे तो ऐसे व्यक्ति को संसार में एक वर्ष का मेहमान मानना चाहिए।
यदि दोनों नासिका छिद्र 10 दिन तकनिरंतर ऊर्ध्व श्वास के साथ चलते रहें तो मनुष्य तीन दिन तक ही जीवित रहता है। यदि श्वास वायु नासिका के दोनों छिद्रों को छोड़कर मुख से चलने लगे तो दो दिन के पहले ही उसकी मृत्यु जानना चाहिए।
जिसके मल, मूत्र और वीर्य एवं छींक एक साथ ही गिरते हैं उसकी आयु केवल एक वर्ष ही शेष हैए ऐसा समझना चाहिए।
जिसके वीर्य, नख और नेत्रों का कोना यह सब यदि नीले या काले रंग के हो जाएं तो मनुष्य का जीवन छह से एक वर्ष के बीच समाप्त हो जाता है।
जब किसी व्यक्ति का शरीर अचानक पीला या सफेद पड़ जाए और ऊपर से कुछ लाल दिखाई देने लगे तो समझ लेना चाहिए कि उस इंसान की मृत्यु छह माह में होने वाली है।
जो व्यक्ति अकस्मात ही नीले.पीले आदि रंगों को तथा कड़वे.खट्टे आदि रसों को विपरीत रूप में देखने.चखने का अनुभव करने लगता हैं वह छह माह में ही मौत के मुंह में समा जाएगा।
जब किसी व्यक्ति का मुंह, जीभ, कान, आंखें, नाक स्तब्ध हो जाएं यानी पथरा जाए तो ऐसे माना जाता है कि ऐसे इंसान की मौत का समय भी लगभग छह माह बाद आने वाला है।
जिस इंसान की जीभ अचानक से फूल जाए, दांतों से मवाद निकलने लगे और सेहत बहुत ज्यादा खराब होने लगे तो मान लीजिए कि उस व्यक्ति का जीवन मात्रा छह माह शेष है।
यदि रोगी के उदर पर सांवली तांबे के रंग की लाल, नीली, हल्दी के तरह की रेखाएं उभर जाएं तो रोगी का जीवन खतरे में हैए ऐसा बताया गया है।
यदि व्यक्ति अपने केश एवं रोम को पकड़कर खींचे और वे उखड़ जाएं तथा उसे वेदना न हो तो रोगी की आयु पूर्ण हो गई हैए ऐसा मानना चाहिए।
हाथ से कान बंद करने पर किसी भी प्रकार की आवाज सुनाई न दे और अचानक ही मोटा शरीर दुबला और दुबला शरीर मोटा हो जाए तो एक माह में मृत्यु हो जातीहै। सामान्य तौर पर व्यक्ति जब आप अपने कान पर हाथ रखते हैं तो उन्हें
कुछ आवाज सुनाई देती है लेकिन जिस व्यक्ति का अंत समय निकट होता है उसे किसी भी प्रकार की आवाजें सुनाई देनी बंद हो जाती हैं।
मौत के ठीक तीन.चार दिन पहले से ही व्यक्ति को हर समय ऐसा लगता है कि उसके आसपास कोई है। उसे अपने साथ किसी साए के रहने का आभास होता रहता है।यह भी हो सकता है कि व्यक्ति को अपने मृत पूर्वजों के साथ रहने का अहसास
होता हो। यह अहसास ही मौत की सूचना है।
समय बीतने के साथ अगर कोई व्यक्ति अपनी नाक की नोक देखने में असमर्थ हो जाता है तो इसका अर्थ यही है कि जल्द ही उसकी मृत्यु होने वाली है ।क्योंकि उसकी आंखें धीरे.धीरे ऊपर की ओर मुड़ने लगती हैं और मृत्यु के समय आंखें पूरी तरह ऊपर की ओर मुड़ जाती हैं।
यदि किसी व्यक्ति को नीले रंग की मक्खियां घेरने लगे और अधिकांश समय ये मक्खियां व्यक्ति के आसपास ही रहने लगें तो समझ लेना चाहिए कि व्यक्ति की आयु मात्रा एक माह शेष है।
प्रतिदिन कोई कुत्ता घर से निकलने के बाद आपके पीछे चलने लगे और ऐसा तीन.चार दिन तक लगातार हो तो आपको सतर्क होने की जरूरत है।
यदि बायां हाथ लगातार एक सप्ताह तक अकारण ही फड़कता रहेए तो समझना चाहिए कि मृत्यु किसी भी कारण से निकट है।
(35)